Thursday, April 25, 2024
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फव्वारा साबित करने के लिए ज्ञानवापी ढाँचे में मिले शिवलिंग में 63cm छेद: कोर्ट में हिंदू पक्ष ने बताया- भगवान का अपमान, पूरे परिसर को सील करने की माँग

अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने वाले को CRPF ने पकड़ा है। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद चकरी को दूसरे पक्ष के लोग फव्वारा का हिस्सा बताते हुए लेकर जा रहे थे।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी ढाँचा परिसर (Gyanvapi Structure, Varanasi) में कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हिंदू पक्ष का कहना है कि शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ कर उसे अपमानित करने की कोशिश की गई। साथ ही शिवलिंग को फव्वारा साबित करने के लिए उसमें 63 सेंटीमीटर छेद किया गया है।

वाराणसी कोर्ट में गुरुवार (26 मई 2022) को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष पर कई आरोप लगाए। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में बताया कि हिंदू धर्म के आस्था के प्रतिबिंब महादेव के प्रतीक शिवलिंग का तिरस्कार किया गया और साक्ष्यों के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई।

न्यूज 18 इंडिया के पत्रकार यतेंद्र शर्मा का कहना है, “एक चकरीनुमा लोहे की वस्तु से शिवलिंग को फ़व्वारा की शक्ल देने की कोशिश हुई थी… बाद में चकरी को स्टोर रूम में रख दिया था… सर्वे के बाद जब शिवलिंग मिले तो सबूत मिटाने के लिए उस चकरी को बाहर ले जाते समय CRPF के जवानों ने मुस्लिम युवक को पकड़ लिया।” शर्मा ने इस घटना को 26 मई से 4-5 दिन पहले का बताया है।

वाराणसी कोर्ट में लगभग दो घंटे तक चली बहस में हिंदू पक्ष पर मुस्लिम पक्ष ने स्थान का स्वरूप बदलने का आरोप लगाया। इस हिंदू पक्ष वकील विष्णु जैन ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि वहाँ मंदिर था और शिवलिंग मिला है। जब शिवलिंग मौजूद है तो इसी से साफ हो जाता है कि धार्मिक स्वरूप किसने बदलने की कोशिश की।

विष्णु जैन ने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने वाले को CRPF ने पकड़ा है। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद चकरी को दूसरे पक्ष के लोग फव्वारा का हिस्सा बताते हुए लेकर जा रहे थे। ऐसा करते हुए CRPF ने उन्हें पकड़ लिया और सामान को स्टोर में रखवा दिया। अधिवक्ता जैन ने पूरे परिसर की निगरानी को मजबूत करने की माँग की। 

उधर, विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन ने भी चौक थाना में एक पत्र देकर ज्ञानवापी परिसर में मौजूद स्वरूप के साथ लगातार छेड़छाड़ की जाने की शिकायत की है। इस मामले उन्होंने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की माँग की है।

इधर, मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि इस मामले में पूजास्थल कानून-1991 लागू होता है। इसके साथ ही उसने तर्क दिया कि माता श्रृंगार गौरी का केस सुनवाई करने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि परिसर में शिवलिंग मिलने की अफवाह उड़ाई गई है।

इस पर हिंदू पक्ष के ही वकील हरिशंकर जैन ने जिला जज की अदालत में 42 बिंदुओं में क्रमवार जवाब दाखिल किया। मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए अधिवक्ता जैन ने कहा कि डॉ. एएस अल्टेकर की किताब ‘हिस्ट्री ऑफ बनारस’ में यहाँ पूजा-अर्चना के प्रमाण उपलब्ध हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में साफ कहा गया है कि अंजुमन इंतजामिया ने अवैध कब्जा किया हुआ है।

तमाम दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने 30 मई तक के लिए मामले को टाल दिया है। बता दें कि इस मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को 8 सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान नमाज पढ़ने और शिवलिंग की सुरक्षा सहित सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम निर्देश लागू रहेंगे।

नमाज के लिए परिसर में जुटे मुस्लिम

सर्वे के बाद यह दूसरा शुक्रवार है, जिस दिन मुस्लिम जुमे की नमाज पढ़ते हैं। विवाद बढ़ने के साथ ही नमाज पढ़ने आने वाले मुस्लिमों की संख्या बढ़ती जा रही थी। हालाँकि, कमिटी ने नमाज के लिए कम से कम लोगों को आने का आग्रह किया था। इसके बाद इस शुक्रवार को नमाजियों की संख्या पहले के मुकाबले थोड़ी कम रही।

मसाजिद कमिटी ने मुस्लिमों से अपील की जाती थी कि बहुत बड़ी तादाद में लोग नमाज के लिए आने से परहेज करें। जुमे की नमाज वे अपने-अपने मोहल्लों ही में अता करें। इसके साथ कमिटी ने यह भी अपील की थी कि जो लोग जुमे की नमाज आएँ वे इस्तिंजा (शौच) और वजू (हाथ-मुँह धोकर) करके आएँ। बता दें कि मस्जिद के वजूखाना में ही शिवलिंग मिला है, जिसे मुस्लिम फव्वारा बता रहा है। वहीं, लोग पूछ रहे हैं कि 500 साल पहले यह फव्वारा चलता कैसे था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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