वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर शिवलिंग एवं हिंदू मंदिर के अन्य सबूत मिलने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने खुशी जाहिर की और कहा कि अब इस स्थान को हिंदू भाइयों को खुशी-खुशी सौंप देना चाहिए। वहीं, माता श्रृंगार गौरी में प्रतिदिन पूजा की माँग को लेकर याचिका दाखिल करने वाली पाँच महिलाओं में से एक सीता साहू ने कहा कि वह अपने अंतिम साँस तक इस लड़ाई लड़ती रहेंगी।
ज्ञानवापी में सर्वे का काम जैसे ही समाप्त हुआ और परिसर में शिवलिंग मिलने की बात सामने आई, वैसे ही कुछ मुस्लिम महिलाओं ने इस पर खुशी जाहिर की। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदस्या नजमा परवीन ने कहा कि काशी में भगवान शिव का मिलना ही अपने आपमें बहुत बड़ा सबूत है कि काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हिंदू महिलाओं के साथ मिलकर मुस्लिम महिलाओं ने ढोल-नगाड़े बजाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया।
इसके साथ ही परवीन ने मुस्लिमों से अपील है कि उस स्थान को तत्काल खाली कर देना चाहिए और उसे हिंदू भाइयों को सौंप देना चाहिए। उनका कहना है कि हर जगह अधिकार जमाना और संपत्ति हड़पना गलत है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में कहा गया है कि जहाँ नमाज अता की जाए, वह जमीन और आसमान अपना होना चाहिए। कब्जे वाली जगह पर नमाज कबूल नहीं होती।
नजमा परवीन ने कहा कि जो कट्टरपंथी मुस्लिमों को भड़का रहे हैं, उन्हें भी कठोर संदेश देने की जरूरत है। उन्हें ये बता देने की जरूरत है कि लोग अब जागरूक हो गए हैं और हिंदू-मुस्लिम के नाम पर अब किसी को भड़काया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहाँ शिवलिंग मिला है, वहाँ भव्य मंदिर बनना चाहिए।
उधर सीता साहू ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि माता श्रृंगार गौरी में साल में सिर्फ एक दिन ही हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलता है तो उनका मन दुखी हो गया। उन्होंने कहा कि जहाँ पूजा होता था, वह माता श्रृंगार गौरी के मंदिर की चौखट थी, वह मंदिर नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें पढ़ा और सुना था कि ज्ञानवापी परिसर में देवी-देवताओं के विग्रह मौजूद हैं। इसके अलावा, नंदी बाबा को भी मस्जिद की ओर ही मुँह करके विराजमान देखते थे तो अजीब लगती थी।
दैनिक भास्कर को साहू ने बताया, इस स्थिति को जानने के बाद उन लोगों ने आपस में विचार किया और कहा कि ज्ञानवापी परिसर की हकीकत का पता लगाया जाना चाहिए। इसके बाद वे लोग एडवोकेट हरिशंकर जैन से मिले और फिर विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की अगुआई में इस लड़़ाई को शुरू किया। उन्होंने कहा कि वे इस लड़ाई को मरते दम तक लड़ती रहेंगी।