आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटी के गौमूत्र पर दिए गए बयान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने गौमूत्र से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। लोगों ने इसे वैज्ञानिक तौर आधारहीन करार दिया और कहा कि ऐसे दावे प्रमाणित शोध पर आधारित होने चाहिए। इसी बीच Zoho कंपनी के CEO श्रीधर वेम्बु ने आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी कामकोटी का समर्थन करते हुए कहा कि आधुनिक विज्ञान हमारे पारंपरिक ज्ञान को मान्यता दे रहा है।
वेम्बु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “IIT मद्रास के डायरेक्टर प्रोफेसर कामकोटी एक सम्मानित शोधकर्ता और शिक्षक हैं। उन्होंने गौमूत्र के फायदों पर आधारित वैज्ञानिक शोध के उदाहरण दिए हैं। आधुनिक विज्ञान अब हमारे पारंपरिक ज्ञान का महत्व समझने लगा है। लेकिन ऑनलाइन आलोचक केवल अपने पूर्वाग्रह दिखा रहे हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। प्रोफेसर कामकोटी, मजबूत बने रहिए। इन आलोचनाओं के आगे झुकने की जरूरत नहीं है।”
IIT Madras Director Prof Kamakoti is an accomplished researcher and educator.
— Sridhar Vembu (@svembu) January 21, 2025
He gave citations of scientific papers on the beneficial properties of cow urine. Modern science is increasingly recognising the value of our traditional insights. Online mobs are simply channeling…
इसके अलावा वेम्बु ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “जो लोग गौमूत्र का मजाक उड़ा रहे हैं, वे नहीं जानते कि स्वस्थ व्यक्तियों (खासतौर पर पुराने समाजों, जो आधुनिक खानपान से अछूते रहे हैं) से ली गई फीकल ट्रांसप्लांट और फीकल पिल्स पर वैज्ञानिक रुचि बढ़ रही है। यह प्रक्रिया लाभकारी आंत बैक्टीरिया को बहाल करने में मदद करती है।”
उन्होंने आगे लिखा, “आँत बैक्टीरिया हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए ‘गौमूत्र और गोबर के फायदेमंद गुण’ कोई अंधविश्वास नहीं है। आधुनिक विज्ञान भी अब इस पर सहमति जताने लगा है। ऑनलाइन आलोचना करने वाले संकीर्ण सोच वाले लोग ही इसे नकारते हैं।”
The people who are mocking cow urine don't know how fecal transplants and fecal pills (yes!) from very healthy individuals (preferably from pre-industrial societies, not exposed to modern diets) are seeing growing scientific interest due to their role in restoring beneficial gut…
— Sridhar Vembu (@svembu) January 21, 2025
बता दें कि आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटी ने एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि एक सन्यासी ने बुखार के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने की बजाय गौमूत्र का सेवन किया और 15 मिनट के भीतर उनका बुखार उतर गया। यह कार्यक्रम पोंगल के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने गौमूत्र को ‘महत्वपूर्ण दवा’ बताया और इसके एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों का जिक्र करते हुए कहा कि यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी बीमारियों में मदद कर सकता है। उन्होंने इसके बाकी औषधीय गुण भी बताए।