जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के अन्य राज्यों में POJK विस्थापितों को केंद्र शासित प्रदेश (J&K) की सरकार ने उनकी पहचान वापस लौटाने का ऐतिहासिक फैसला लेते हुए डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसिजर) रूल्स, 2020 की अधिसूचना सोमवार (मई 18, 2020) को जारी कर दी। अब इसी के जरिए प्रमाण पत्र पाने वाले लोगों को राज्य में नौकरी व अन्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
J&K Govt notified ‘J&K Grant of Domicile Certificate Procedure Rules 2020’.
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) May 18, 2020
These rules prescribe procedure for issuance of domicile certificates, domicile has been made basic eligibility condition for appointment to any post under UT of J&K. 1/n pic.twitter.com/sioWrvOXUc
जम्मू-कश्मीर नॉउ के मुताबिक, सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट, रिलीफ रीहैबिलिटेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन, की ओर से दिए गए आदेश के बाद अब करीब 5300 परिवारों को सरकार जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी होने का प्रमाण देगी। ये सभी परिवार यहाँ से 1947 में विस्थापित हुए थे।
#BIG 5,300 POJK Displaced Families (Living outside J&K) have been declared eligible for “Domicile of J&K”,
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) May 18, 2020
Other bonafide persons like Kashmiri Hindus forced to leave the valley after 1989, who are not registered as migrants, are also eligible for Domicile now. https://t.co/0Km1TnvsFH pic.twitter.com/abUt1zesZh
इसके अलावा, सरकार ने 1989 के बाद कश्मीर घाटी से विस्थापित उन सभी हिंदू परिवारों को प्रदेश का स्थाई निवासी होने का प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला भी किया है, जो प्रदेश से निकलकर देश के अन्य हिस्सों में बस गए। मगर, उनके बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों को राज्य का स्थाई निवासी होने का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया।
इसका मतलब साफ है कि रिलीफ एंड रीहैबिलिटेशन कमिश्नर के पास रजिस्ट्रेशन कराने से चूँकने वाले विस्थापित परिवारों को भी इस आदेश में जम्मू-कश्मीर का स्थाई निवासी बनने के लिए मौका दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत अधिकार और जम्मू-कश्मीर नागरिक सेवा अधिनियम, 2010 के नियमों के तहत डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। डोमिसाइल प्रमाणपत्र के आवेदन के लिए प्रारूप भी जारी कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल के मुताबिक, जिन लोगों के पास राज्य विषय प्रमाण पत्र है, वे स्वचालित रूप से अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे। वहीं, विस्थापित कश्मीरी पंडित जो पंजीकृत नहीं हैं, वे स्थाई प्रमाणपत्र होने पर भी अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
J&K Govt notified ‘J&K Grant of Domicile Certificate Procedure Rules 2020’.
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) May 18, 2020
These rules prescribe procedure for issuance of domicile certificates, domicile has been made basic eligibility condition for appointment to any post under UT of J&K. 1/n pic.twitter.com/sioWrvOXUc
जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक निवास करने वाले व्यक्ति या फिर 7 साल तक पढ़ाई करने वाले को भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट (Domicile certificate) जारी किया जाएगा। प्रदेश में पढ़ाई करने वाले के लिए शर्त यह है कि संबंधित व्यक्ति ने जम्मू-कश्मीर के शिक्षण संस्थानों से कक्षा 10 वीं या 12 वीं की परीक्षा भी दी हो।
जम्मू-कश्मीर में 10 साल तक सेवा करने वाले केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के बच्चे, अखिल भारतीय सेवा, बैंक और पीएसयू, वैधानिक निकाय और केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारी भी इसके लिए पात्र होंगे। डोमिसाइल प्रमाणपत्र के लिए जो भी व्यक्ति तय शर्तें पूरी करेगा, उसे सक्षम प्राधिकारी प्रमाणपत्र जारी करेगा।
जैसे, जारी निर्देशों के अनुसार, आवेदक को प्रमाण पत्र पाने के लिए राशन कार्ड, शिक्षण रिकॉर्ड आदि पेश करने होंगे। 15 साल जम्मू-कश्मीर में रहे व्यक्ति के बच्चों के मामले में भी तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी रहेगा।
वहीं, विस्थापितों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र राहत और पुनर्वास आयुक्त माइग्रेंट जारी करेंगे। व केंद्रीय विभागों या संस्थानों के कर्मचारियों के बच्चों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र सामान्य प्रशासनिक विभाग के अतिरिक्त सचिव या डिवीजनल कमिश्नर कार्यालयों में अतिरिक्त कमिश्नर जारी करेंगे।
कौन हैं 5300 पीओजेके से विस्थापित हुए परिवार?
साल 1947 में आजादी व भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 22 अक्टूबर 1947 को राजा हरिसिंह द्वारा भारत के अधिमिलन करने के फैसले से पहले पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोला था। इस हमले के बाद उन्होंने कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया था। उस दौरान करीब 50 हजार परिवार विस्थापित हुए।
इनमें से अधिकांश परिवार तो जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में जाकर बस गए थे। मगर, 5300 ऐसे परिवार थे जो देश के अन्य हिस्सों में बसे और करीब 72 साल तक आर्टिकल 35ए और आर्टिकल 370 के कारण इन्हें अपना अधिकार पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा।
ऐसे में पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए और आर्टिकल 370 हटने के बाद नई डोमिसाइल पॉलिसी बनाई गई। इस नई नीति के तहत 37,000 पीओजेके विस्थापित परिवारों को तो स्थाई निवासी मान लिया गया जो 1947 या फिर 1971 में विस्थापित होकर जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग राज्यों में बसे थे। लेकिन, इस फैसले में वे 5,300 परिवार छूट गए थे। इसी कारण अब इन परिवारों को भी डोमिसाइल प्रमाण पत्र देने का फैसला करके सरकार ने परिवारों को स्थाई नागरिकता देकर उनकी 73 वर्ष पुरानी माँग को पूरा किया।