Monday, October 7, 2024
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कर्नाटक दंगे में 10 FIR, 50 गिरफ्तार और 94 की तलाश: इंस्पेक्टर निलंबित, कट्टरपंथी मुस्लिमों ने मस्जिद के पास गणपति विसर्जन यात्रा पर किया था हमला

दरअसल, बदरीकोप्पलु गाँव के युवक कस्बे में गणेश प्रतिमा विसर्जन जुलूस निकाल रहे थे। जुलूस जैसे ही एक मस्जिद के पास सड़क पार करने लगा, तभी मैसूर रोड पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस में शामिल लोगों से तीखी बहस शुरू कर दी। इस विवाद को देखते हुए उपद्रवियों ने जुलूस के ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके अलावा लोगों को हथियार भी दिखाए गए।

कर्नाटक के मांड्या जिले के नागमंगला कस्बे में 11 सितंबर 2024 को गणपति विसर्जन के दौरान पथराव के मामले में पुलिस इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में पुलिस ने शुक्रवार (13 सितंबर 2024) को 10 प्राथमिकी दर्ज की है। घटना में शामिल अब तक 56 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 90 अन्य की तलाश की जा रही है। वहीं, शिक्षण संस्थानों में छुट्टी कर दी गई है।

इस बीच दंगों के दौरान ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में शुक्रवार (13 सितंबर) को एक पुलिस इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया। पुलिस इंस्पेक्टर अशोक कुमार पिछले साल भी गणेश चतुर्थी के दौरान इसी तरह की दंगे की घटना के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने में विफल रहे थे। इस बार भी अशोक कुमार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में विफल रहे थे।

मांड्या के एसपी मल्लिकार्जुन बालादंडी ने कहा कि मांड्या के बदरीकोप्पलु गाँव में मस्जिद के पास का स्थान संवेदनशील क्षेत्र है। वहाँ और अधिक सुरक्षा बल तैनात किए जा सकते थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसा और दंगे के लिए 150 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। BNSS की धारा 16, 109, 115, 118, 121, 132, 189, 190 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

पुलिस इलाके की सीसीटीवी फुटेज जुटाकर आरोपितों की पहचान कर रही है और उनके बारे में जानकारी जुटा रही है। इस तरह शुक्रवार को भी पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इससे पहले गिरफ्तार किए गए 52 आरोपितों को गुरुवार (12 सितंबर) की शाम को अदालत में पेश किया गया। मंड्या जिला अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

सबूत जुटाने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम ने गुरुवार को घटनास्थल का दौरा किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है। पुलिस विभाग ने 14 सितंबर तक कर्फ्यू लगा दिया है। वहीं, अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। पुलिस ने स्थिति को देखते हुए नागमंगला शहर में फ्लैग मार्च किया और इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।

इस घटना को लेकर कर्नाटक भाजपा ने एक समिति गठित की है। पाँच सदस्यीय इस समिति के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश भाजपा ने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “नागमंगला में गणेश विसर्जन जुलूस के दौरान हुई घटना की सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने नेताओं की एक तथ्यान्वेषी टीम गठित की है और एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।”

दरअसल, बदरीकोप्पलु गाँव के युवक कस्बे में गणेश प्रतिमा विसर्जन जुलूस निकाल रहे थे। जुलूस जैसे ही एक मस्जिद के पास सड़क पार करने लगा, तभी मैसूर रोड पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस में शामिल लोगों से तीखी बहस शुरू कर दी। इस विवाद को देखते हुए उपद्रवियों ने जुलूस के ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके अलावा लोगों को हथियार भी दिखाए गए।

इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी सहित कई लोग भी घायल हो गए थे। उपद्रवियों ने कुछ दुकानों में तोड़फोड़ की और सामान में आग लगा दी। रिपोर्ट में कहा गया कि लगभग 25 दुकानों में लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इसके अलावा, कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।

बता दें कि कर्नाटक के मांड्या से पहले भी गणपति विसर्जन के दौरान हिंसा की घटनाएँ घटीं। गुजरात के सूरत में भी पंडाल पर मुस्लिम नाबालिगों ने पथराव किया था। इसके अलावा लखनऊ में भी इस्लामी भीड़ने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाते हुए पंडाल पर अटैक किया था। वहीं, वडोदरा में भी गणेश पंडाल का विरोध करते हुए मुस्लिमों ने अपने घर के बाहर अरबी झंडे लगा लिए थे। इसके अलावा कच्छ में भी भगवान गणेश की प्रतिमा पर हमला हुआ था। भरूच में भी गणेश चतुर्थी के मौके पर मजहबी झंडे लगाने को लेकर बवाल हुआ था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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