केरल में कोल्लम ज़िले के इरुकुजुई में एक वरिष्ठ मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) कार्यकर्ता को सीएए-एनआरसी अधिकारी समझकर एक मुस्लिम परिवार ने बेरहमी से पीट दिया। आशा कार्यकर्ता की पहचान महेश्वरी अम्मा के रूप में की गई, जो कि एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी हैं।
ख़बर के अनुसार, सामाजिक कार्यकर्ता महेश्वरी अम्मा, गुरुवार (23 जनवरी) को सैनुद्दीन के घर का दौरा कर रही थीं, वहाँ उनकी पिटाई कर दी गई जिसके बाद उन्हें कदक्कल के ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आशा कार्यकर्ता महेश्वरी अम्मा, जिनकी उम्र 50 वर्ष के क़रीब हैं, वो 19 जनवरी को आयोजित राज्यव्यापी अभियान में पोलियो वैक्सीन का संचालन करने वाली अन्य आशा कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ थीं। वहाँ मुस्लिम परिवार ने उन्हें आशा कार्यकर्ता न समझकर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के लिए डेटा इकट्ठा करने वाली समझ लिया।
दरअसल, महेश्वरी अम्मा सईनुद्दीन के घर उन बच्चों की पहचान करने के लिए गई थीं, जिन्हें पोलियो का टीका नहीं लगा था। पूछताछ के बाद, सईनुद्दीन परिवार ने आशा कार्यकर्ताओं को सूचित किया कि उनके यहाँ पाँच वर्ष से कम आयु का कोई बच्चा नहीं है।
इसके बाद महेश्वरी अम्मा जैसे ही उस घर को चिन्हित करने के लिए आगे बढ़ीं, इससे नाराज़ होकर मुस्लिम परिवार ने उनकी पोलियो वैक्सीन की बोतलों को नष्ट कर दिया और उनके साथ मारपीट की। इस मामले में केरल पुलिस ने सईनुद्दीन और उनके परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया है।
इससे पहले, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। यहाँ दो महिलाओं को CAA-NRC से संबंधित आँकड़े जुटाने वाली समझकर मुस्लिम भीड़ ने उनके ऊपर हमला कर दिया था। राजस्थान के कोटा में, राष्ट्रीय आर्थिक जनगणना विभाग में काम करने वाली नज़ीरान बानो पर मुस्लिम भीड़ ने उस समय हमला किया गया था, जब वह बृजधाम क्षेत्र में राष्ट्रीय अर्थशास्त्र जनगणना 2019-2020 के लिए डेटा इकट्ठा कर रही थीं। जब उन्होंने भीड़ को यकीन दिलाया कि वह उनकी तरह मुस्लिम हैं, तब कही जाकर उन्हें छोड़ा गया।
दूसरे मामले में, पश्चिम बंगाल के बीरभूम में, गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट के लिए काम करने वाली 20 साल की चुमकी खातून पर गाँव वालों ने हमला कर दिया। गाँव वालों को लगा कि वह NRC के लिए डेटा इकट्ठा कर रही हैं। गौरबाजार गाँव में स्थित खातून के घर को लोगों ने आग के हवाले कर दिया और उनके परिवार को मजबूरी में स्थानीय पुलिस थाने में शरण लेनी पड़ी थी।
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