Tuesday, November 19, 2024
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जानिए कैसे श्याम प्रताप सिंह बन गया मौलाना मोहम्मद उमर, पूर्व PM का रिश्तेदार है परिवार: AMU से मिल चुका है सम्मान

6 भाइयों में श्याम प्रताप सिंह उर्फ़ मौलाना मोहम्मद उमर गौतम चौथे नंबर का है। माँ की मौत के बाद उन्हें सनातन प्रक्रिया से जलाए जाने के विरुद्ध वो शव को दफनाने की जिद कर रहा था, जिससे भाइयों में झगड़ा भी हुआ था।

उत्तर प्रदेश ATS ने जिन दो मौलानाओं को 1000 हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के आरोप में दबोचा है, उनमें से एक मौलाना मोहम्मद उमर गौतम पहले हिन्दू हुआ करता था। इस्लामी धर्मांतरण से पहले उसका नाम श्याम प्रताप सिंह था। वो मूल रूप से फतेहपुर जिले के थरियाँव थाना क्षेत्र के रमवा गाँव का निवासी है। उसने 1979 में ही गाँव छोड़ दिया था और नैनीताल के पंतनगर में रहने लगा था। फिर उसने दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया।

पंतनगर में एक मुस्लिम लड़की से उसे प्यार हो गया। उसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में प्रवक्ता बनाने का लालच दिया गया और इसके बाद उसने धर्मांतरण कर के इस्लाम अपना लिया। 1982 में वो उत्तर प्रदेश लौटा और गाजीपुर थाना क्षेत्र के खेसहन गाँव के रहने वाले छत्रपाल सिंह की बेटी राजेश कुमारी से शादी रचाई। फिर वो पत्नी को लेकर दिल्ली चला गया। धर्म-परिवर्तन के बाद उसका परिवार उससे नाराज़ रहता था और उससे बात भी न के बराबर ही होती थी।

‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, उमर साल दो साल में अपने गाँव आता ज़रूर था लेकिन परिजन उससे काफी कम बातचीत करते थे। गाँव के लोगों में से भी कुछ को उसके बारे में पता है तो कुछ उसे नहीं जानते। उसके चचेरे भाई राजू सिंह ने बताया कि हाईस्कूल पूरी करने के बाद ही वो पंतनगर चला गया था। 6 भाइयों में श्याम प्रताप सिंह उर्फ़ मौलाना मोहम्मद उमर गौतम चौथे नंबर का है।

पाकिस्तान-अरब से फंडिंग लेकर मूक-बधिर बच्चों को मुस्लिम बना कर उन्हें आत्मघाती हमलावर के रूप में इस्तेमाल करने की साजिश वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ तो स्थानीय डीएसपी सहित कई पुलिसकर्मी उसके पैतृक गाँव पहुँचे और चचेरे भाई से पूछताछ की। परिजनों ने बताया कि माँ की मौत के बाद उन्हें सनातन प्रक्रिया से जलाए जाने के विरुद्ध वो शव को दफनाने की जिद कर रहा था, जिससे भाइयों में झगड़ा भी हुआ था।

राजेश कुमारी के साथ उसकी शादी तो हुई थी लेकिन गौना नहीं हुआ था। इस बात को छिपा कर उसने चोरी-छिपे गौना करा लिया था। वापस आकर पत्नी ने अपने माता-पिता को जानकारी दी थी कि वो भी मुस्लिम बन गई है और ‘बीबी’ की तरह रहना स्वीकार कर लिया है। परिजनों ने एक निजी बैठक कर के मौलाना मोहम्मद उमर गौतम पर वापस हिन्दू धर्म अपनाने के लिए दबाव भी बनाया था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

जब वो श्याम प्रताप सिंह हुआ करता था, तब उसके ताहिर नामक दोस्त ने AMU में नौकरी और उसकी मुस्लिम गर्लफ्रेंड से निकाह का लालच देकर इस्लाम कबूल करवाया था। तब वो जीबी पंत विश्वविद्यालय में पढ़ता था। चूँकि धर्मांतरण गिरोह की जड़ें पूरे देश में फैली हुई है, NIA भी जल्द जाँच से जुड़ सकती है। मौलाना मोहम्मद उमर गौतम का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वो 18 बार इंग्लैंड जाने की बात कह रहा है।

साथ ही इस वीडियो में उसने दावा किया कि वो यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही 7 लोगों का इस्लामी धर्मांतरण करा चुका है। उसने बताया था कि गोरखपुर का उसका एक दोस्त 4 बार अफ्रीका और इंग्लैंड जा चुका है। पोलैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, सिंगापुर, अमेरिका और इंग्लैंड से लोगों ने आकर उसके इस्लामी सेंटर से धर्मांतरण और निकाह का प्रमाण-पत्र बनवाया। उसने कइयों के कोर्ट मैरिज कराए। हर महीने लगभग ऐसे 15 सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे।

मौलाना मोहम्मद उमर गौतम कहता था कि वो ‘अल्लाह का काम’ कर रहा है। उमर गौतम का इस्लाम के प्रति झुकाव प्रतापगढ़ के एक नासिर खान से मिलने के बाद पैदा हुआ। 1984 में एक दुर्घटना के कारण वो क्लासेज नहीं अटेंड कर पाता था, तब नासिर ने उसकी मदद की थी। वो उमर गौतम को अस्पताल लेकर गया था और अपने मेस से बना खाना उसे देता था। नासिर ने उसे पैगम्बर मुहम्मद पर किताब पढ़ने को दिया।

इस बीच नासिर श्याम को लगातार इस्लामिक किताबें पढ़ने के लिए देता रहा। करीब डेढ़ साल तक चले इस सिलसिले के बाद श्याम इस्लाम से इतना प्रभावित हुआ कि उसने हिंदू धर्म त्यागकर इस्लाम अपना लिया और नाम बदलकर मोहम्मद उमर गौतम रख लिया। उसने जामिया मिलिया इस्लामिया से इस्लामिक स्टडीज में एमए भी किया है। 57 वर्षीय मौलाना गौतम का परिवार पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप (VP) सिंह का दूर का रिश्तेदार है।

AMU ने इस्लाम का प्रचार-प्रसार के लिए मौलना मोहम्मद उमर गौतम को सम्मानित भी किया था। इसके ‘जेद्दाह चैप्टर’ विभाग ने उसे अवॉर्ड दिया था। कहा गया था कि वो ‘पूरी निष्ठा और दृढ़ता के साथ इस्लाम के प्रचार-प्रसार में लगातार अभूतपूर्व योगदान’ दे रहा है। डासना मंदिर में घुसने वाले विपुल और कासिफ से पूछताछ के दौरान इन दोनों का नाम सामने आया था। पाकिस्तान की ISI का रोल भी इसमें सामने आ रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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