Friday, April 26, 2024
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1942 में पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सामने गाया गया था ‘जन गण मन’, 1950 से पहले देश के पास नहीं था राष्ट्रगान

फ्री-इंडिया सेंटर के सदस्य एनजी गणपुले ने ही राष्ट्रगान की धुन को सबसे पहले टेप में रिकॉर्ड किया था। गणपुले की मृत्यु के बाद टेप को ऑल इंडिया रेडियो को सौंप दिया गया था। इसे ऑल इंडिया रेडियो द्वारा 1980 में 'निर्वासन में जन्मे राष्ट्रगान' नामक कार्यक्रम में प्रसारित किया गया था।

अक्सर एक सवाल उठता है कि देश का राष्ट्रगान (National Anthem) ‘जन गण मन’ सबसे पहले कब गाया गया? इसका जवाब यह है कि 11 सितंबर 1942 को ‘जन गण मन’ को पहली बार जर्मनी के हैम्बर्ग में होटल अटलांटिक में राष्ट्रगान के रूप में बजाया गया था।

राष्ट्रगान के जन्म को लेकर लेखक अनुज धर (Anuj Dhar) ने 942 में रिकॉर्ड की गई इसकी मूल रिकॉर्डिंग को साझा किया। उन्होंने लिखा, “1942 में जर्मनी के हैम्बर्ग में रेडियो सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के द्वारा जन गण मन बजाई गई। यह हमारे राष्ट्रगान का जन्म था। #नेताजी को धन्यवाद।” बता दें कि अनुज धर वही लेखकर हैं, जिन्होंने Subhas Bose’s Life after Death किताब को लिखा है। उन्होंने नेताजी के जीवन पर काफी रिसर्च किया है।

जर्मनी में रहने वाले नेताजी के पोते सूर्य कुमार बोस (Surya Kumar bose) ने भी साल 2008 में राष्ट्रगान के इस मूल टेप को पत्रकारों के सामने बजाया था। उन्होंने कहा था, “बहुत से लोग नहीं जानते कि राष्ट्रगान का जन्म कैसे हुआ।” कहा जाता है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस इंडो-जर्मन एसोसिएशन बनाना चाहते थे, जिसकी शुरुआत 11 सितंबर 1942 को हैम्बर्ग के होटल अटलांटिक में हुई थी। इस अवसर पर हैम्बर्ग के मेयर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जर्मन सरकार के प्रतिनिधि सहित तमाम लोग मौजूद थे। यहीं पर इसे पहली बार बजाया गया था।

उस मौके पर हैम्बर्ग के रेडियो सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ने जर्मनी के राष्ट्रगान के साथ-साथ फ्री-इंडिया सेंटर के गान के रूप में राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ को बजाया था। फ्री-इंडिया सेंटर को जर्मनी और इटली जैसे देशों ने मान्यता दी थी। फ्री-इंडिया सेंटर 1943 में सिंगापुर में गठित आजाद हिंद फौज का पूर्ववर्ती संगठन था।

फ्री-इंडिया सेंटर के सदस्य एनजी गणपुले ने ही राष्ट्रगान की धुन को सबसे पहले टेप में रिकॉर्ड किया था। गणपुले की मृत्यु के बाद टेप को ऑल इंडिया रेडियो को सौंप दिया गया था। इसे ऑल इंडिया रेडियो द्वारा 1980 में ‘निर्वासन में जन्मे राष्ट्रगान’ नामक कार्यक्रम में प्रसारित किया गया था।

उल्लेखनीय है कि 1947 में आजाद हुए भारत देश के पास उसका राष्ट्रगान नहीं था। जनवरी 1950 में भारत से एक डेलिगेशन अमेरिका के न्यूयॉर्क में हो रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए गया था। उस दौरान आजाद हिंद सरकार द्वारा निर्मित जन गण मन की एक रिकॉर्डिंग एक प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र को सौंपा था, जिसे बाद में बजाया गया।

भारत लौटने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को को जानकारी दी कि जन गण मन की संयुक्त राष्ट्र में काफी सराहना की गई थी। बाद में 24 जनवरी 1950 को देश की संविधान सभा ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए गीत ‘भरतो भाग्य बिधाता’ के पहले छंद को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया। उल्लेखनीय है कि जनवरी 1950 तक देश के पास अपना राष्ट्रगान नहीं था, लेकिन इसे भारतीय संविधान सभा के सदस्यों द्वारा 14 अगस्त और 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में विधानसभा का पहला सत्र समाप्त होने के बाद सर्वसम्मति से गाया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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