महाराष्ट्र के मालेगाँव में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव और दस्तूर बचाओ समिति के संस्थापक मौलाना उमरैन महफ़ूज़ रहमानी ने मजहब विशेष से नागरिकता क़ानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में सड़कों पर उतरने का फरमान जारी किया है।
मुस्लिमोंं से अपील करते हुए मौलाना ने कहा, “पिछले एक महीने से, हमने निवासियों को अपने दस्तावेज़ोंं पर ध्यान केंद्रित करने से रोक दिया है। नागरिकता विधेयक के क़ानून बनने के बाद, हम लोगों से सड़कों पर आने के लिए अपील कर रहे हैं।”
ख़बर के अनुसार, मौलाना रहमानी गुरुवार (19 दिसंबर) को हुए हिंसक विरोध के आयोजक थे। मौलाना रहमान का कहना है:
“जब असम में NRC की जा रही थी, तो हमने मुस्लिमों से कहा था कि वो अपने पास 23 आवश्यक दस्तावेज़ों की लिस्ट रख लें और उसे ध्यान से देखें कि उसमें कोई स्पेलिंग मिस्टेक तो नहीं है। यह बड़ी अजीब बात है कि केंद्र सरकार अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए अल्पसंख्यकों से पहचान-पत्र माँग रही है, लेकिन अगर उनके दस्तावेज़ों में किसी तरह की कोई स्पेलिंग मिस्टेक होगी तो स्थानीय निवासियों को नागरिकता नहीं दी जाएगी।”
उन्होंने कहा असम में NRC के दौरान मालेगांव नगर निगम के बाहर के बाहर कई चिंतित मुस्लिमों की लंबी कतारें लग गईं।
वहीं, इस मुद्दे पर मालेगाँव सेंट्रल के विधायक मुफ़्ती मोहम्मद इस्माइल ने कहा, “मालेगाँव की आबादी का बड़ा हिस्सा पिछले 2 दशकों में उत्तर प्रदेश से पलायन कर यहाँ आया है। तीन पीढ़ियों से जो लोग मालेगाँव में रह गए वो अब यूपी जा रहे हैं और अपनी पहचान से जुड़े दस्तावेज़ तलाश रहे हैं… लोग सचमुच में काफी डरे हुए हैं।” इसके आगे विधायक मुफ़्ती मोहम्मद इस्माइल ने कहा:
“अगर उनके आधार कार्ड में हुई स्पेलिंग की ग़लती को उन्हें सुधरवाना है तो स्थानीय विधायक से लेटर लेना पड़ता है। मेरे विधायक चुने जाने के बाद पहले कुछ हफ्तों में, हर दिन कम से कम एक हज़ार लोग इस तरह के पत्र को हासिल करने के लिए मेरे कार्यालय पहुँचे थे।”
हालाँकि, बीजेपी के मालेगाँव इकाई के अध्यक्ष किशोर गायकवाड़ ने अल्पसंख्यकों में डर व्याप्त होने की बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मौलवी, मुस्लिमों के बीच प्रोपगैंडा फैला रहे हैं।
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