Sunday, March 16, 2025
Homeदेश-समाज'शादी केवल शारीरिक सुख और संतुष्टि के लिए नहीं होती, इसका मुख्य उद्देश्य बच्चे...

‘शादी केवल शारीरिक सुख और संतुष्टि के लिए नहीं होती, इसका मुख्य उद्देश्य बच्चे पैदा करना’: मद्रास HC की टिप्पणी

मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्णन रामास्वामी दंपति के बीच बच्चे की कस्टडी के विवाद के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस सुनवाई में जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं, लेकिन उनका बच्चों के साथ माता-पिता के रूप में संबंध बना रहता है।

मद्रास हाई कोर्ट ने शादी को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। बच्चे की कस्टडी के एक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा है कि शादी सिर्फ शारीरिक सुख पाने के लिए नहीं होती है, बल्कि शादी का उद्देश्य संतानोत्पत्ति, अर्थात परिवार को आगे बढ़ाना भी है। कोर्ट ने कहा कि संतान ‘जोड़ों को जोड़ने वाली कड़ी’ होती है।

दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्णन रामास्वामी दंपति के बीच बच्चे की कस्टडी के विवाद के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस सुनवाई में जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं, लेकिन उनका बच्चों के साथ माता-पिता के रूप में संबंध बना रहता है।

उन्होंने कहा, “अदालत वैवाहिक बंधन में बंधे व्यक्तियों को यह बताना चाहती है कि विवाह की अवधारणा केवल शारीरिक सुख की संतुष्टि के लिए नहीं है, बल्कि यह मुख्य रूप से प्रजनन के उद्देश्य के लिए है, जो पारिवारिक श्रृंखला के विस्तार के लिए आवश्यक है। विवाह से पैदा हुआ बच्चा दो व्यक्तियों को वाली कड़ी होता है।”

जस्टिस ने कहा, “पति-पत्नी के बीच विवाह समाप्त हो सकता है, लेकिन पिता और माता के रूप में उनके बच्चों के साथ उनका रिश्ता कभी नहीं। प्रत्येक बच्चे के लिए, पिता और माता शाश्वत हैं, भले ही माता-पिता में से कोई भी किसी अन्य व्यक्ति से दोबारा शादी कर सकता है।”

रिपोर्ट के अनुसार, पत्नी ने शिकायत की थी कि उनका पति उन्हें बच्चे से नहीं मिलने दे रहा है और इस तरह से वह कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं कर रहा है। इसलिए, पत्नी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए पेरेंटल एलिएनेशन (पतिपत्नी में किसी एक द्वारा बच्चे को दूसरे से दूर रखने के लिए भड़काना या खिलाफ करना) का आरोप लगाया था।

इस सुनवाई के दौरान माता-पिता के अलगाव को अमानवीय और बच्चे के लिए खतरा बताते हुए जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि एक बच्चे को माता-पिता के खिलाफ करना बच्चे को अपने खिलाफ करना है। उन्होंने कहा कि एक बच्चे को कम से कम वयस्क होने तक माता और पिता, दोनों को पकड़ने के लिए दो हाथों की सख्त जरूरत होती है।

मद्रास हाई कोर्ट के जज ने कहा, “कानून अहंकार को संतुष्ट कर सकता है, लेकिन इससे बच्चे की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया सकता। कानून के निर्माता केवल बच्चे के कल्याण के प्रति जागरूक थे। उन्हें इस तरह की मानसिक उथल-पुथल के बारे में नहीं पता था कि बच्चों को इस तरह की स्थिति का भी सामना करना पड़ेगा।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कौन हैं लाचित बरपुखान जिनके नाम पर असम में बनी अकादमी में पुलिसकर्मी पाते हैं प्रशिक्षण, क्यों अमित शाह ने कहा बनेगा देश का...

असम की लाचित बोरफुकन पुलिस अकादमी में सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों के पुलिस अधिकारियों को भी ट्रेनिंग मिलती है।

स्वाति को प्रेम जाल में फँसा नयाज ने बनाए रिश्ते, फिर गला घोंटकर मार डाला: तुंगभद्रा नदी से मिली थी लाश, पूर्व CM बोले-...

कर्नाटक के हावेरी में मुस्लिम युवक नयाज ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर हिन्दू युवती स्वाति की हत्या कर दी। उसका शव भी नदी में फेंक दिया गया।
- विज्ञापन -