Saturday, July 27, 2024
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शम्सुद्दीन को 190 साल की सजा: 22 लोग जिंदा जल कर मरे थे, यात्रियों को अनसुना कर तेज चला रहा था बस

इस मामले में बस मालिक ज्ञानेंद्र पांडेय को भी 10 साल की सजा मिली है। जाँच के दौरान पाया गया कि बस की आपातकालीन विंडो को लोहे की रॉड से बंद कर उसकी जगह पर एक और सीट लगा दी गई थी। इसके कारण यात्री बस से बाहर नहीं निकल पाए।

मध्य प्रदेश में एक विशेष अदालत ने एक बस हादसे के मामले में आरोपित बस ड्राइवर शम्सुद्दीन को 190 साल की जेल की सजा सुनवाई है। इसके साथ ही बस के मालिक को भी 10 साल का कठोर कारावास और जुर्माने की सजा दी है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अपर सत्र न्यायधीश आरपी सोनकर ने शुक्रवार (31 दिसंबर 2021) को यह फैसला सुनाया।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिला अदालत ने अपने फैसले में बस के 47 वर्षीय ड्राइवर शम्सुद्दीन को धारा 304 (2) (काउंट 19) के तहत 10-10 साल की कुल 190 साल की सजा सुनाई है। स्पेशल जस्टिस आरपी सोनकर की अदालत में सरकार की तरफ से विशेष लोक अभियोजक कपिल व्यास ने इस क्राइम को गंभीर मानते हुए अदालत से अधिक-अधिक सजा देने का आग्रह किया था। कोर्ट ने शम्सुद्दीन को गैर-इरादतन हत्या और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने का दोषी माना है।

क्या है मामला

दिल को दहला कर रख देने वाला यह हादसा 4 मई 2015 को हुआ था। अनूप बस सर्विस की गाड़ी संख्या एमपी 19, पी-0533 छतरपुर से पन्ना 40 यात्रियों को लेकर दोपहर करीब 12:40 पर रवाना हुई थी। करीब एक घंटे के बाद बस पन्ना जिले में पांडव फॉल के पास ड्राइवर शम्सुद्दीन की लापरवाही के कारण पलट गई थी। बस कई फीट नीचे खाई में जा गिरी, जिसके कारण उसमें भीषण आग लग गई। इस सड़क हादसे में 22 यात्री जिंदा जलकर मर गए थे। हालाँकि, कुछ लोग बस से कूदकर अपनी जान बचा पाने में सफल रहे थे।

मामले की जाँच के दौरान पाया गया कि बस की आपातकालीन विंडो को लोहे की रॉड से बंद कर उसकी जगह पर एक और सीट लगा दी गई थी। इसके कारण यात्री बस से बाहर नहीं निकल पाए। ये 22 यात्री बस के अंदर ही फँस कर रह गए और आग लगने के बाद जिंदा जल कर मर गए। तेज रफ्तार बस चलाने को लेकर यात्रियों ने शम्सुद्दीन से धीर चलाने के लिए कहा था, लेकिन उसने यात्रियों की बात को अनसुना कर दिया था।

इस मामले में बस मालिक ज्ञानेंद्र पांडेय और ड्राइवर शम्सुद्दीन के खिलाफ आईपीसी की धारा 279, 304 ए, 338, 304/2 और 287 और मोटर वेहिकल एक्ट की धारा 182, 183, 184 और 191 के तहत केस दर्ज किया गया है। अब घटना के मामले में साल बाद अपर सत्र न्यायधीश आरपी सोनकर ने यह सजा सुनाई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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