Monday, June 17, 2024
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क्या है पीटर पैन सिंड्रोम? जानिए मुंबई की अदालत ने नाबालिग के यौन शोषण मामले में आरोपित को क्यों दी जमानत

अदालत ने दलीलें सुनने के बाद आरोपित को जमानत देते हुए कहा, ''उसे हिरासत में रखने कोई फायदा नहीं है, क्योंकि मामले की जाँच पूरी हो चुकी है। पीड़िता का बयान प्रथम दृष्टया दिखाता है कि उसने...."

मुंबई की एक अदालत ने 14 साल की एक लड़की के अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामले में ‘पीटर पैन सिंड्रोम’ (Peter Pan Syndrome) से पीड़ित एक व्यक्ति को सोमवार (21 जून 2021) को जमानत दे दी। विशेष न्यायाधीश एससी जाधव ने 25000 रुपए के मुचलके और कई अन्य शर्तों पर 23 वर्षीय आरोपित की जमानत को मंजूरी दी। आरोपित की ओर से पेश हुए वकील सुनील पांडे ने दलील दी कि उनका मुवक्किल ‘पीटर पैन सिंड्रोम’ से पीड़ित है।

पांडे ने अदालत से कहा कि दोनों के बीच संबंध सहमति से बने थे। पीड़िता के परिवार को उनके रिश्ते के बारे में पता था, लेकिन लड़के की बीमारी और उसकी अच्छी पृष्ठभूमि नहीं होने के कारण लड़की का परिवार उनके रिश्ते और लड़के के परिवार वालों को पसंद नहीं करता था। वकील ने कहा कि पीड़िता को इस बात की जानकारी थी कि वह क्या कर रही है और उसने अपनी इच्छा से संबंध बनाया था।

अदालत ने दलीलें सुनने के बाद आरोपित को जमानत देते हुए कहा, ”उसे हिरासत में रखने कोई फायदा नहीं है, क्योंकि मामले की जाँच पूरी हो चुकी है।” अदालत ने कहा कि पीड़िता का बयान प्रथम दृष्टया दिखाता है कि उसने अपने माता-पिता का घर खुद छोड़ा और आरोपित के साथ आई।

पीटर पैन सिंड्रोम क्या है?

गुरुग्राम स्थित क्लीनिक की मनोवैज्ञानिक मानवी शर्मा ने इंडिया टुडे को बताया कि आम आदमी की भाषा में कुछ वयस्कों को भावनात्मक और वित्तीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चुनौतीपूर्ण लगता है। इस व्यवहार को पीटर पैन सिंड्रोम कहा जाता है। यह कहीं अधिक जटिल है, क्योंकि पीटर पैन सिंड्रोम से पीड़ित लोग दूसरों की जरूरतों के प्रति असंवेदनशील हो सकते हैं, ये काम नहीं करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति व्यवहारिक नहीं होता है, सहानुभूति व्यक्त नहीं कर सकता है। वे शराब के आदी हो सकते हैं, आक्रामक हो सकते हैं और अनुचित तरीके से कार्य कर सकते हैं। लेकिन उन्हें प्यार से समझाकर उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया जा सकता है।”

पहली बार पीटर पैन सिंड्रोम के नाम का इस्तेमाल डॉ डैन केली ने 1983 में लिखी अपनी पुस्तक ‘पीटर पैन सिंड्रोम: मेन हू हैव नेवर ग्रोन अप’ में किया गया था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है व्यवहार के इस पैटर्न का किसी के रिश्तों और जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ सकता है। पीटर पैन सिंड्रोम का नाम स्कॉटिश उपन्यासकार और नाटककार जेएम बैरी के नाटक के पात्र पीटर पैन के नाम पर रखा गया है। नेवरलैंड द्वीप पर रहने वाला पीटरपैन एक उत्साही और शरारती लड़का है, जो उड़ सकता है लेकिन कभी बड़ा नहीं हो सकता। इस उपन्यास पर फिल्म भी बन चुकी है।

क्या सिंड्रोम एक वास्तविक विकार है?

पीटर पैन सिंड्रोम को व्यापक रूप से एक pop-psychology शब्द के रूप में मान्यता प्राप्त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक विकार के रूप में मान्यता नहीं दी है। वर्तमान मामले में, यह बताने के लिए कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है कि आरोपित मानसिक बीमारी से पीड़ित था।

कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस शब्द के इस्तेमाल को आगे बढ़ाया है, लेकिन इसे अभी भी एक pop-psychology विषय माना जाता है। सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत मामलों दोनों में जिम्मेदारियों की उपेक्षा करना और भावनात्मक रूप से असंवेदनशील होना पाया गया है। इस सिंड्रोम से पीड़ित वयस्क पुरुष या महिला सामाजिक रूप से अपरिपक्‍व होती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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