Wednesday, June 18, 2025
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बंगाल में मंदिर की 30 बीघा जमीन पर कब्ज़ा करके बना दिया कब्रिस्तान, बनाई नकली कब्रें, गाँव में हिन्दुओं की नाकाबंदी: रिपोर्ट

बुजुर्ग ने कहा कि लॉकडाउन में जोर-जबरदस्ती से किए गए कब्जे के कारण अब वहाँ हिन्दू जा ही नहीं सकते। एक महिला ने बताया कि पहले वो लोग मंदिर में जाकर अगरबत्ती जला कर पूजा कर सकते थे, लेकिन अब नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि केवल हिन्दू होने के कारण उन्हें नहीं जाने दिया जा रहा है। कब्रिस्तान में मंदिर के अवशेष अब भी हैं और मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं, पूजा-पाठ के संकेत हैं।

पश्चिम बंगाल के नदिया में माता के मंदिर की जमीन हथिया कर उस पर कब्रिस्तान बनाने की बात सामने आई है। आरोप है कि जब कोरोना वायरस संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा था और लॉकडाउन लगाया गया था, तब वहाँ मंदिर की 30 बीघा जमीन हथिया कर उसे कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया गया। स्थानीय मुस्लिम समाज पर जमीन के अवैध कब्जे का आरोप लगा है। ये घटना पश्चिम बंगाल में नदिया के घोसपाड़ा इलाके की है।

‘न्यूज़ नेशन’ की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय दोनों समुदायों में बहस इस बात को लेकर शुरू हुई कि ये भूमि सरकारी है या फिर किसी समुदाय विशेष की और फिर दोनों पक्ष सबूत के रूप में दस्तावेज दिखाने लगे, लेकिन ये बहस जल्द ही मारपीट में बदल गई। वीडियो में लोगों को लड़ते हुए देखा जा सकता है, जिसमें बुजुर्ग महिलाएँ भी शामिल हैं। जहाँ हिन्दू समाज ने कहा कि ये सरकारी भूमि है और सार्वजनिक है, मुस्लिम समाज ने कागज़ उनके पास होने की बात कही।

लेकिन, पत्रकार ने दावा किया कि जब मुस्लिम समाज से उसने कागज़ात दिखाने को कहा तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि जबरन भूमि पर कब्ज़ा करने के प्रयास पूरे पश्चिम बंगाल के कई इलाके में चल रहा है। मारपीट में लाठियाँ भी चलीं। एक स्थानीय हिन्दू व्यक्ति ने बताया, “यहाँ बाउंड्री बना दी गई है। मुस्लिमों ने गेट लगा दी। यहाँ पहले कोई कब्रिस्तान था ही नहीं। बाउंड्री न होने के कारण लोगों की आवाजाही थी।”

आरोप है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने कब्रिस्तान में नकली कब्रें तैयार कर दी हैं, ताकि उस जमीन पर कोई और कुछ न कर सके। आरोप है कि उन्होंने बाउंड्री खड़ी कर के गाँव का रास्ता रोक दिया है। हिन्दुओं का कहना है कि उनका उत्पीड़न हो रहा है और अपने ही गाँव में उनकी नाकाबंदी कर दी गई है। एक बुजुर्ग ने बताया कि ये हिन्दुओं की जमीन है जहाँ सावन में मेला लगता था और पूजा होती थी।

बुजुर्ग ने कहा कि लॉकडाउन में जोर-जबरदस्ती से किए गए कब्जे के कारण अब वहाँ हिन्दू जा ही नहीं सकते। एक महिला ने बताया कि पहले वो लोग मंदिर में जाकर अगरबत्ती जला कर पूजा कर सकते थे, लेकिन अब नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि केवल हिन्दू होने के कारण उन्हें नहीं जाने दिया जा रहा है। ‘न्यूज़ नेशन’ का दावा है कि कब्रिस्तान में मंदिर के अवशेष अब भी हैं और मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं, पूजा-पाठ के संकेत हैं।

वहाँ अब भी सिन्दूर और रोली जैसी चीजें देखी जा सकती हैं। चुनावी माहौल में रंग चुके बंगाल के घोसपाड़ा के स्थानीय लोगों का कहना है कि जब यहाँ कब्रिस्तान होना चाहिए था तो असली कब्रें क्यों नहीं हैं, दिखाने के लिए नकली क्यों बनाई गईं? कुछ हिन्दुओं ने कहा कि रास्ता बंद हो जाएगा तो उन्हें भागने को मजबूर होना पड़ेगा, पलायन करना पड़ेगा। एक महिला कनकलता घोष का कहना है कि ये जमीन उनके पति की हुआ करती थीं, जिनकी मौत के बाद इस पर कब्ज़ा कर लिया गया।

महिला ने बताया कि हमारे घर के लोग पहले वहाँ जाते थे और पूजा-पाठ करते थे, लेकिन अब उन लोगों ने सब रोक दिया है। महिला ने बताया, “वो लोग कहते हैं कि यहाँ हिन्दुओं का आना मना है।” जबकि एक मुस्लिम बुजुर्ग ने बताया कि वो बचपन से देख रहा है कि यहाँ मिट्टी का घर था और कब्रिस्तान नहीं था। हिन्दुओं ने इसके लिए प्रशासन पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। हालाँकि, किसी भी समुदाय ने जमीन के कागजात नहीं दिखाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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