अपराध और राजनीति की मिलीभगत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद वोहरा कमिटी की रिपोर्ट को लेकर चर्चाओं का बाजार फिर से गर्म हो गया है। शुक्रवार (नवंबर 20, 2020) को अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने 1993 की वोहरा कमिटी की रिपोर्ट पर एक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव एनएन वोहरा की नेतृत्व वाली कमिटी ने आपराधिक नेटवर्कों, सरकारी अधिकारियों और नेताओं के बीच के नेक्सस की जाँच की थी।
उपाध्याय ने ध्यान दिलाया कि इस रिपोर्ट का 100 पन्नों का एक अपूर्ण वर्जन 1995 में संसद में रखा गया था, जिससे उसकी वैधता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को ये जानने का अधिकार है कि किन अपराधियों-अधिकारियों-नेताओं के नेक्सस का पता चला था, ताकि पारदर्शिता बनाई रखी जा सके। उन्होंने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल ट्रायल कोर्ट्स के गठन का भी आदेश दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित निवेदन किए:
- वोहरा कमिटी की पूर्ण रिपोर्ट सभी जाँच एजेंसियों के निदेशकों को भेजी जाए।
- एनआईए, सीबीआई, आईबी, ईडी सहित अन्य एजेंसियों को वोहरा कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने के लिए कहा जाए, ताकि अपराधी-नेता नेक्सस की पोल खुले।
- लोकपाल को भी इस रिपोर्ट के आधार पर नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा जाए।
- इन जाँच एजेंसियों की जाँच की निगरानी के लिए एक न्यायिक कमिटी का गठन किया जाए।
- वोहरा कमिटी की रिपोर्ट में जिन नेताओं और सरकारी अधिकारियों के नाम हैं, उन्हें पद्मश्री सहित मिले अन्य सरकारी अवॉर्ड्स को वापस छीन लिया जाए।
‘संडे गार्डियन लाइव’ के एक लेख के अनुसार, वोहरा कमिटी की रिपोर्ट के सामने आने से कई नेताओं-अधिकारियों की पोल खुल सकती है। महाराष्ट्र और गुजरात के तब के कई नेताओं ने अंडरवर्ल्ड, खासकर दाऊद इब्राहिम और इक़बाल मिर्ची के साथ अपने सम्बन्ध बना लिए थे। मार्च 1993 में बॉम्बे बम ब्लास्ट के बाद बनी इस कमिटी ने 3 महीने की जाँच के बाद रिपोर्ट दिए थे। अमित शाह ने भी आरोप लगाया था कि एनसीपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने इक़बाल मिर्ची की पत्नी हाजरा मेमन के साथ वित्तीय लेनदेन किया था।
अमित शाह ने इसे देशद्रोह करार देते हुए कहा था कि इसके दस्तावेजी साक्ष्य भी मौजूद हैं, जिसे पटेल ने नकार दिया था। 70 के दशक से लेकर 90 के दशक तक दाऊद और इक़बाल की कई नेताओं ने मदद की थी। 1995 में रिपोर्ट के 11 पन्ने सार्वजनिक जरूर किए गए थे, लेकिन इसमें सिर्फ एक ही नाम था और वो भी इक़बाल मिर्ची का। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे 80 के दशक में दारू-सिगरेट की तस्करी करने वाला मिर्ची रियल एस्टेट का बड़ा कारोबारी बन गया।
मिर्ची के न सिर्फ कई बैंक एकाउंट्स थे, बल्कि वो अपने आदमियों को ही लाखों रुपए देता था और उसकी संपत्ति करोड़ों की हो गई थी। साथ ही लिखा था कि कुछ नेताओं के संरक्षण के कारण उसके खिलाफ सरकारी एजेंसियाँ भी कुछ नहीं कर पाती थीं। राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की माँग की, लेकिन वो सफल नहीं हुए। कहा जाता है कि उस समय कई नेता दाऊद की मेहरबानी पर थे और उसकी मदद करते थे। अश्विनी उपाध्याय ने कहा:
“दाऊद के गुर्गे सांसद, विधायक और मंत्री हैं। दाऊद के गुर्गों को पद्म अवार्ड मिला है। विश्वास नहीं है तो वोहरा जी बात करिए। वोहरा रिपोर्ट की एक कॉपी उनके पास है। संसद के पटल पर मात्र 11 पेज रखा गया, जबकि वोहरा कमेटी रिपोर्ट 110 पेज की है। वोहरा रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए। देश जानना चाहता है कि दाऊद के कितने गुर्गे आज भी सांसद, विधायक और मंत्री बने हुए हैं तथा कितने गुर्गों को अब तक पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण मिल चुका है?”
देश जानना चाहता है कि दाऊद के कितने गुर्गे आज भी सांसद, विधायक और मंत्री बने हुए हैं तथा कितने गुर्गों को अब तक पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण मिल चुका है?@HMOIndia @AmitShah @PMOIndia @narendramodi pic.twitter.com/sFUSboScRw
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) November 22, 2020
महाराष्ट्र के एक बहुत बड़े नेता की दाऊद इब्राहिम के साथ नजदीकियों की बात सामने आई थी। उस नेता को 1993 बम ब्लास्ट तक दाऊद इब्राहिम से 70 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। साथ ही एक नेता को 1990 का चुनाव लड़ने के लिए 5 करोड़ रुपए हवाला लेनदेन की मदद से पहुँचाए गए थे। साथ ही एक मुख्यमंत्री के रिश्तेदार को दाऊद द्वारा 10 करोड़ रुपए देने की बात सामने आई थी, जो बाद में खुद भी नेता बन गया।
आईबी के एक सूत्र का कहना था कि इस रिपोर्ट में गुजरात के कई नेताओं के भी नाम थे। एक वरिष्ठ आईबी अधिकारी ने बताया कि अगर केंद्रीय गृह मंत्री उस रिपोर्ट को देखते हैं तो वो पाएँगे कि इसमें कई परिचित नाम हैं। अब चर्चा हो रही है कि क्या सुप्रीम कोर्ट वोहरा कमिटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने या फिर उसके आधार पर कार्रवाई करने की अनुमति देगा, जिससे उन नेताओं की जनता के सामने पोल खुले और उन्हें सज़ा मिले।
जहाँ तक दाऊद इब्राहिम की बात है, फ़िलहाल उसके पाकिस्तान स्थित कराची में रहने की बात सामने आई है। स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैनिपुलेटर्स एक्ट (SAFEMA) के तहत मोस्ट वॉन्टेड आतंकी दाऊद इब्राहिम की महाराष्ट्र की 6 प्रॉपर्टी को इसी महीने नीलाम किया गया है। इसमें दाऊद के पैतृक गाँव रत्नागिरी में उसकी सम्पत्ति भी शामिल थी। यह संपत्ति उसकी माँ अमीना बी और बहन हसीना पार्कर के नाम पर रजिस्टर्ड थी।