जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश की वैधानिकता को मंगलवार (अगस्त 6, 2019) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। वकील मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले में एक याचिका दायर की है।
उन्होंने अपनी याचिका में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-A को लेकर जारी की गई अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है और कहा कि सरकार इस तरीके का काम करके देश में मनमानी कर रही है। इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है और केंद्र को संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए।
After the Govt’s huge decision of amending and in effect nullifying #Article370 & #Article35A, the first legal challenge to this presidential order is on its way as Advocate ML Sharma moves petition in #SupremeCourt. India Ahead’s @Ddibyayudh speaks to the petitioner pic.twitter.com/8N9AzizQmZ
— India Ahead News (@IndiaAheadNews) August 6, 2019
साथ ही याचिका में कहा गया है कि आर्टिकल 370 को हटाने के लिए सरकार ने आर्टिकल 367 में जो संशोधन किया है, वह असंवैधानिक है। सरकार ने मनमाने और असंवैधानिक ढंग से ये बदलाव किया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि इस अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित कर रद्द किया जाए।
एडवोकेट ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की अधिसूचना ही संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। मनोहर लाल शर्मा बुधवार (अगस्त 7, 2019) को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका की तुरंत सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं।
इससे पहले शाह फैसल की पार्टी से जुड़ीं शेहला रशीद ने मोदी सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी। शेहला ने कहा था कि सरकार को गवर्नर मान लेने और संविधान सभा की जगह विधानसभा को रखने का फैसला संविधान के साथ धोखा है। सभी प्रगतिशील ताकतें एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगी। शेहला ने सरकार के इस कदम को पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि देश के संघीय ढाँचे और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को मजबूत करने के बजाय, सरकार उसे कमजोर कर रही है। यह देश के संघीय व्यवस्था का अपमान है।