प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (13 जनवरी 2025) को गांदरबल में जेड मोड़ टनल का शुभारंभ करके जम्मू-कश्मीर को एक और सौगात दी। यह टनल श्रीनगर-लेह हाइवे NH-1 पर स्थित है और इसकी कुल लंबाई 6.4 किलोमीटर है। ऑल वेदर कनेक्टिविटी वाले इस टनल में डबल लेन है, जो श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़ेगी। इस पीएम मोदी ने कहा कि ‘ये मोदी है। वादा करता है तो निभाता है’।
लगभग 3 घंटे के सफर को सिर्फ 20 मिनट में पूरा कराने वाली इस टनल का पीएम मोदी ने निरीक्षण किया। इस दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की जमकर प्रशंसा की और कहा कि वो जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं।
#WATCH | Sonamarg, Jammu & Kashmir: After inaugurating the Z-Morh tunnel, Prime Minister Narendra Modi inspects the tunnel.
— ANI (@ANI) January 13, 2025
CM Omar Abdullah, LG Manoj Sinha and Union Minister Nitin Gadkari are also present.
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इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की लद्दाख की एक और बहुत पुरानी डिमांड आज पूरी हो गई है। इससे सोनमर्ग के साथ करगिल और लेह के लोगों की जिंदगी भी बहुत आसान होगी। उन्होंने टनल बनाने वाले श्रमिकों की भी तारीफ की। पीएम ने कहा कि टनल बनाने वाले श्रमिक न डिगे और ना ही घर लौटे। उन्होंने अपने जीवन को संकट में डालकर कठिन परिस्थितियों में काम किया। इस प्रोजेक्ट में जान गँवाने वाले 6 श्रमिकों और एक डॉक्टर को भी उन्होंने याद किया। आतंकियों ने इनकी हत्या कर दी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “अपने पुराने मुश्किल दिनों को पीछे छोड़कर हमारा कश्मीर धरती का स्वर्ग होने की अपनी पहचान वापस पा रहा है। आज लोग रात के समय लाल चौक पर आइसक्रीम खाने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा, “चिनाब ब्रिज की इंजीनियरिंग देखकर दुनिया हैरत में है। यहाँ कुछ दिन पहले पैसेंजर ट्रेन का भी ट्रायल हुआ है। यहाँ के प्रोजेक्ट्स 42,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के हैं, जिन पर काम चल रहा है।”
यह टनल घोड़े के नाल के आकार की है। हालाँकि, इस सुरंग के बनने से पहले यहाँ की सड़क अंग्रेजी के जेड ‘Z’ अक्षर के आकार की है। इसलिए वहां बनने वाले सुरंग का नाम ही जेड-मोड़ सुरंग कर दिया गया। जेड मोड़ टनल बन जाने के बाद गगनगीर से सोनमर्ग के बीच एक घंटे की दूरी अब 15 मिनट में पूरी होगी। वहीं, दुर्गम पहाड़ी वाले इस इलाके को पार करने में लगने वाली 3 से 4 घंटे का समय सिमट कर 30 से 45 मिनट रह गया है।
टनल में गाड़ियों की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़कर 70 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई है। इस टनल के बन जाने से चीन सीमा पर सैनिकों को हर मौसम में रसद पहुँचाना भी आसान हो गया है। इसके साथ लद्दाख एवं कारगिल में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बर्फबारी देखने के साथ-साथ घुमने के लिहाज से भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर्यटकों का पसंदीदा जगह है। इसके कारण स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
समुद्र तल से 2600 मीटर यानी 5652 फीट की ऊँचाई पर यह टनल 12 साल में बनकर तैयार हुई है। साल 2012 में इसे बनाने का काम बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) को दिया गया था। हालाँकि, बाद में इसे निजी कंपनी को काम सौंप दिया गया। यह PPP मॉडल पर तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट में कुल 2700 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें से 36 करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण और इंन्फ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में लगे।
यह टनल न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग (NAT) तरीके से बनाई गई है। इस प्रक्रिया में टनल खोदने के साथ-साथ ही उसका मलबा भी निकाला जाता है और वहाँ टनल का दिवार तैयार किया जाता है। इससे भूस्खलन की आशंका नहीं रहती है। जेड मोड़ टनल के आगे बन रही जोजिला टनल साल 2028 में बनकर पूरी हो जाएगी। इससे बालटाल (अमरनाथ गुफा), कारगिल और लद्दाख को ऑल वेदर कनेक्टिविटी मिलेगी।