प्रधानमंत्री मोदी ने जब से वुहान कोरोना वायरस से लड़ने के लिए PM CARES फण्ड की स्थापना की है, PM CARES फंड और PMNRF फंड के बीच मौजूद समानताओं और विषमताओं पर विचार विमर्श शुरू है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष यानी PMNRF की स्थापना 1948 में की गई थी जिसका प्रारम्भिक उद्देश्य विभाजन की विभीषिका के बाद पाकिस्तान से खदेड़े गए, जान बचाकर भागे लोगों की सहायता करना था। आज के समय में PMNRF का उपयोग मुख्यतः प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, चक्रवात, भूकंप, आदि में मारे गए बेघर हुए लोगों की सहायता करना, साथ ही बड़ी दुर्घटनाओं, दंगों के पीड़ितों की सहायता करना हो चुका है।
इसके अतिरिक्त इस फंड का प्रयोग असहाय अथवा निर्धन व्यक्तियों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं यथा हार्ट सर्जरी किडनी ट्रांसप्लांटेशन कैंसर के इलाज आदि में मदद करने के लिए भी किया जाता है। यह फंड पूर्णतः जन सहयोग पर निर्भर करता है जिसके लिए बजटीय प्रावधानों की व्यवस्था नहीं है। यह कोष कामर्शियल बैंकों और दूसरी एजेंसियों के द्वारा निवेशित किया जाता है जिससे धन की निकासी प्रधानमंत्री की सहमति से ही होती है।
यहाँ यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि PMNRF फंड संसद द्वारा गठित नहीं किया गया है। देश के विभाजन के समय प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि हालाँकि भारत सरकार अपने कोष का उपयोग कर विस्थापितों को दोबारा बसाने में लगी हुई है, किन्तु यह कोष पूरा नहीं पड़ रहा। अतः विस्थापितों को दोबारा खड़ा करने के लिए राष्ट्र के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। इस उद्देश्य के साथ PMNRF की स्थापना की गई थी जो कालांतर में सभी प्रकार की आकस्मिक दुर्घटनाओं, आपदाओं आदि के समय उपयोग किया जाने लगा।
हालाँकि, जो तथ्य तबसे आज तक कम ही लोग जानते हैं, वह है – PMNRF कोष की मैनेजिंग कमेटी में हमेशा से कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की मौजूदगी थी। जिस समय फंड बनाया गया उसकी मैनेजिंग कमेटी में निम्न लोग शामिल थे :
i) भारत का प्रधानमंत्री
ii) भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष
iii) देश के उप प्रधानमंत्री
iv) देश का वित्त मंत्री
v) टाटा ट्रस्ट का प्रतिनिधि
vi) FICCI द्वारा चुना गया, इंडस्ट्री और कॉमर्स जगत का प्रतिनिधि
यहाँ तक की 1985 में किसी समय इस कोष की मैनेजिंग कमेटी ने कोष के प्रबंधन से संबंधित सभी अधिकार प्रधानमंत्री को सौंप दिए। प्रधानमंत्री को अधिकार मिल गया कि वह अपने प्रतिनिधि के रूप में किसी को “कोष का सचिव” नियुक्त कर सकता था जिसके पास अन्य बातों के अलावा यह भी कोष के बैंक अकाउंट संचालित करने का भी अधिकार था। बतातें चलें कि यह निर्णय उस वक्त लिया गया जब राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री थे।
वुहान कोरोना वायरस के इस संकट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने PM CARES फंड लॉन्च किया है, जिसमें सहयोग करने के लिए उन्होंने पूरे देश का आह्वाहन किया है। यह एक आपातकालीन कोष है जिसका उपयोग कोरोना वायरस से निपटने के लिए किया जाएगा। PM CARES यानी ‘प्राइम मिनिस्टर सिटीजन्स असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन’ कोष की स्थापना पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में की गई है। प्रधानमंत्री जहाँ इस ट्रस्ट के चेयरमैन हैं, वहीं देश के रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री तथा गृह मंत्री इस ट्रस्ट के सदस्य हैं।
जैसे ही यह कोष लॉन्च हुआ, देश के हर ख़ास ओ आम से इसे अपार सहयोग मिलना प्रारम्भ हो गया। जिसमें आम जनता से लेकर उद्योगपतियों फिल्म स्टार्स आदि ने अपना अपना अंशदान करना शुरू कर दिया। यहाँ ये सवाल लगातार पूछा जा रहा कि आखिर PM CARES फंड नामक नए फंड की जरूरत क्या थी जब कि PMNRF मौजूद था ही।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपने एक आर्टिकल में लिखा है कि PM CARES फंड PMNRF की तुलना में कहीं ज्यादा लोकतान्त्रिक है। वो लिखता है:
PMNRF के अंतर्गत कोष से पैसे का वितरण पूरी तरह प्रधानमंत्री के निर्देशों पर आधारित था। जबकि मोदी के PM CARES में निर्णयकर्ताओं में मोदी के साथ भारत सरकार के तीन महत्त्वपूर्ण पोर्टफोलियो संभालने वाले मिनिस्टर भी शामिल हैं। ट्रस्ट के चेयरमैन होने के नाते अभी भी मोदी के ही पास अपने मंत्रियों की किसी भी सलाह आदि पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार सुरक्षित है लेकिन PMNRF की भाँति मोदी ही ‘जज वकील और जल्लाद’ की भूमिका में नहीं हैं। इस तरह से मोदी ने खुद ही खुद के ऑफिस की शक्तियों पर अंकुश लगाने का काम किया है।
PMNRF और PM CARES के बीच का अंतर:
संक्षेप में PM CARES, PMNRF की तुलना में कहीं ज्यादा पारदर्शी और सक्षम है हालाँकि, PMNRF भी समय-समय पर नागरिकों की मदद के लिए आगे आता रहा है। यहाँ यह भी बताते चलें कि PM CARES में 13 विशेषज्ञों को भी शामिल करने का प्रावधान है जो अपनी सेवाएं देश के लिए निःशुल्क प्रदान करेंगे। इसमें सलाहकारी बोर्ड के तौर पर भी 10 व्यक्तियों को शामिल करने की व्यवस्था है- जिन्हें ट्रस्टीज द्वारा डॉक्टरों, स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों, अकादमिक जगत के लोगों, अर्थशास्त्रियों और वकीलों में से चुना जाएगा।
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने PM CARES पर कॉन्ग्रेस के विरोध को खुद के स्वार्थों से प्रेरित बताते हुए कहा कि वे सिर्फ इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकी PM CARES में PMNRF की भाँति कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को जगह नहीं दी गई है। बीजेपी नेता ने आगे कहा, ” इस फंड में बीजेपी से भी कोई नहीं है- ट्रस्ट में जो भी लोग हैं वो सरकार में अपनी पोजीशन की वजह से हैं।”