पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब की AAP सरकार को लताड़ा है। हाई कोर्ट ने कहा है कि AAP सरकार खर्चों के बारे में पूछी गई जानकारी नहीं देना चाहती। हाई कोर्ट ने AAP सरकार से विज्ञापन और गाड़ियों समेत कई कामों का खर्च माँगा था। हाई कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार के कोर्ट की अवमानना करने की बात कही थी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस कुलदीप तिवारी ने इस मामले में दाखिल किए गए पंजाब सरकार के हलफनामे पर कहा, “हलफनामे में दिए गए कारणों से तो लगता है कि सरकार का हमारे निर्देश का पालन करने का कोई इरादा नहीं है।” हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा है कि क्या वह सही में अपने खर्च बताने की इच्छा भी रखती है या नहीं।
कोर्ट ने इस बात को लेकर नया हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले की सुनवाई अब 14 फरवरी 2025 को होने वाली है। हाई कोर्ट ने सितम्बर, 2024 में आदेश दिया था कि पंजाब सरकार अपने विज्ञापनों, नई गाड़ियों, मंत्री-विधायको के आवास पर होने वाले खर्च और दिल्ली की अदालतों में केस मुकदमे लड़ने के लिए खर्च का ब्योरा दे।
हाई कोर्ट ने यह ब्यौरा कई अस्पतालों की याचिकाओं की सुनवाई पर माँगा था। अस्पतालों ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार के पैसा देने के बावजूद पंजाब की भगवंत मान की सरकार उनका ₹500 करोड़ का बकाया भुगतान नहीं कर रही है। यह पैसा आयुष्मान योजना का था और अस्पतालों को मरीजों के इलाज के एवज में मिलना था।
हाई कोर्ट में पंजाब सरकार पैसा ना देने के मामले पर साफ जवाब नहीं दे पाई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि सारे खर्चों का एक विस्तृत ब्यौरा उसे दिया जाए। हालाँकि, पंजाब सरकार ने यह दाखिल नहीं किया। इस मामले में जब 23 जनवरी, 2025 को सुनवाई हुई तो कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार ने रिकॉर्ड ना देकर अवमानना की है।
इसके बाद हुई सुनवाई में उसने पंजाब सरकार की मंशा पर ही प्रश्न उठा दिए। हालाँकि, यह कोई पहली बार नहीं है, जब पंजाब सरकार से उसके विज्ञापन जैसे खर्चों का रिकॉर्ड माँगा गया हो। इससे पहले हाल ही में फॉरेंसिक सुविधाओं के लिए जब पंजाब ने पैसा ना होने की बात कही थी, तो भी हाई कोर्ट ने यही जानकारी माँगी थी।