Saturday, July 27, 2024
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फिल्ममेकर आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह का केस, अब्दुल खादर ने की थी शिकायत: लक्षद्वीप प्रशासक को बताया था ‘बायो-वेपन’

आयेशा सुल्ताना ने लिखा था कि पटेल और उनकी नीतियाँ 'बायो-वेपन' के रूप में कार्य कर रही हैं। साथ ही उन्होंने लक्षद्वीप में कोरोना फैलने को लेकर भी पटेल व उनके मातहत अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था।

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के लिए कथित एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह (Sedition) का मामला दर्ज किया गया है। गुरुवार (जून 10, 2021) को लक्षद्वीप पुलिस ने स्थानीय नागरिक और फिल्म एक्टिविस्ट व फिल्ममेकर आयशा सुल्ताना के खिलाफ FIR दर्ज की। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल पटेल को ‘केंद्र द्वारा लक्षद्वीप के खिलाफ उपयोग किया जाने वाले बायो-वेपन’ बताया था।

आयशा सुल्ताना के खिलाफ लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती के पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया। लक्षद्वीप भाजपा के अध्यक्ष सी अब्दुल खादर हाजी ने उनके खिलाफ तहरीर दी थी। उनके खिलाफ IPC की धारा-124 (राजद्रोह) का मामला दर्ज किया गया। इसके तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जिनके बयानों या कृत्यों से देश की एकता व अखंडता को नुकसान पहुँचता हो। खादर ने अपनी शिकायत के पीछे मलयालम चैनल ‘MediaOne TV’ की एक चर्चा में आयशा द्वारा दिए गए बयान का जिक्र किया।

बता दें कि प्रफुल खोड़ा पटेल गुजरात के बड़े भाजपा नेता रहे हैं, जो नरेंद्र मोदी की राज्य सरकार में वहाँ के गृह मंत्री हुआ करते थे। अगस्त 2016 से जनवरी 2020 तक वो दमन एवं दीव के प्रशासक थे, जिसके बाद उन्हें दादर व नगर हवेली और फिर लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया। उनके पिता खोड़ाभाई रणछोड़भाई पटेल RSS नेता थे, जिनकी पीएम मोदी से खासी नजदीकी थी। सोहराबुद्दीन केस में जब अमित शाह जेल गए थे तो उनके 10 में से 8 विभाग प्रफुल पटेल को मंत्री बना कर ही सौंपा गया था।

आयशा सुल्ताना द्वारा प्रफुल पटेल के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। केरल में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस बयान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। लक्षद्वीप और केरल में सुधारवादी फैसलों के खिलाफ आयशा सुल्ताना खासी मुखर हैं। बाद में एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए इसे दोहराया भी था।

उन्होंने लिखा था कि पटेल और उनकी नीतियाँ ‘बायो-वेपन’ के रूप में कार्य कर रही हैं। साथ ही उन्होंने लक्षद्वीप में कोरोना फैलने को लेकर भी पटेल व उनके मातहत अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। आयशा सुल्ताना ने पूछा था कि वो उन्हें और क्या कहतीं? ‘लक्षद्वीप साहित्य प्रवर्तन संगम’ ने आयशा का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्हें देशद्रोही बताना ठीक नहीं है, क्योंकि उन्होंने प्रशासक के ‘अमानवीय’ फैसलों के खिलाफ आवाज़ उठाई है।

संगम ने भी इस आरोप को दोहराया कि पटेल के कारण ही लक्षद्वीप कोरोना प्रभावित क्षेत्र बना। साथ ही दावा किया कि लक्षद्वीप का ‘सांस्कृतिक समुदाय’ आयशा सुल्ताना के साथ खड़ा है। बता दें कि प्रफुल पटेल लक्षद्वीप को एक सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान बनाने के लिए कुछ सुधार कानून लेकर आए हैं, जिससे वहाँ पर्यटन को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी। लक्षद्वीप को मालदीव्स की तर्ज पर लोगों का टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने का लक्ष्य लेकर वहाँ का प्रशासन चल रहा है।

ये ड्राफ्ट रेगुलेशन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अंतर्गत प्रशासक को विकास के उद्देश्य से द्वीपों पर “किसी भी क्षेत्र को एक प्लॉनिंग एरिया घोषित करने” का अधिकार देता है, और प्रशासक को अधिकार के तहत सार्वजनिक उद्देश्य के लिए आवश्यक किसी भी भूमि का अधिग्रहण करने की भी अनुमति देता है। जब से ये योजनाएँ प्रस्तावित की गई हैं तभी से कुछ राजनेता व कट्टरपंथी इनके विरोध में लगे हुए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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