नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ शाहीन बाग में पिछले दो महीनों से प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शन के कारण बंद रास्ते को खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन शनिवार (फरवरी 22, 2020) को चौथे दिन शाहीन बाग में प्रदर्शकारियों से बातचीत करने पहुँचीं। हालाँकि ये बातचीत बेनतीजा रही।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने उनके सामने 7 डिमांडें रखीं। जो इस प्रकार हैं-
1.प्रदर्शनकारी सुरक्षा चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी इस पर एक आदेश जारी करे। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट हमारी सुरक्षा की पूरी तरह से जिम्मेदारी ले और लिखित में आश्वासन दे, तभी हम सड़क खाली करने के बारे में सोच सकते हैं।” अगर आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और अलुमिनियम शीट चाहिए।
2. जामिया के छात्रों के खिलाफ सभी मुकदमे वापस लिए जाएँ।
3. NPR दिल्ली में लागू न हो।
4. सभी भड़काऊ भाषणों की जाँच हो।
5. शाहीन बाग में ही एक वैकल्पिक विरोध स्थल बनाए जाए।
6. शाहीन बाग विरोध को लेकर दर्ज किए गए युवाओं के खिलाफ सभी मामलों को रद्द करें।
7. पूरे भारत में सीएए के विरोध के कारण हुए मौतों का संज्ञान लिया जाए।
Delhi: Sadhana Ramachandran, one of the Supreme Court-appointed mediators arrives at Shaheen Bagh to resume talks with protesters pic.twitter.com/Q2CXNSMIBJ
— ANI (@ANI) February 22, 2020
वार्ताकार साधना रामचंद्रन सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर शाहीन बाग पहुँची थीं और उन्होंने करीब डेढ़ घंटे प्रदर्शन स्थल पर बिताए और प्रदर्शकारियों से बातचीत की। कोर्ट ने रास्ता खुलवाने के लिए प्रदर्शकारियों से बातचीत के लिए वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को वार्ताकार बनाया था।
इससे पहले शुक्रवार (फरवरी 21, 2020) को हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करते हुए कहा था कि हम सब देख रहे हैं और आपकी बात कोर्ट में उठाएँगे। वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि आप सड़क खोल दें फिर देखिए कितने रास्ते खुल जाएँगे। इस बीच, सीएए को लेकर हो रहे प्रदर्शन की वजह से बंद नोएडा-फरीदाबाद सड़क को शुक्रवार को कुछ देर के लिए खोला गया था। हालाँकि कुछ देर बाद इसे फिर बंद कर दिया गया।
गौरतलब है कि CAA के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण देश में शरण लेने आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था। ऐसे सभी लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस कानून के विरोधियों का कहना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिमों को ही नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए यह कानून धार्मिक भेदभाव वाला है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
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