Friday, April 19, 2024
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‘…मुझे सड़क पर न फेंके’: क्रिश्चियन कॉन्वेंट की मनमानी पर सिस्टर लूसी ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार

सिस्टर लूसी ने कोर्ट के सामने कहा, "मैं महिला हूँ, न्याय के लिए लड़ने वाली नन हूँ। मेरे ननशिप के लिए जरूरी है कि मैं कॉन्वेंट में रहूँ। मैंने इसे 39 साल दिए हैं। कृपया मुझे सड़क पर न फेंके। मेरे पास कहीं और जाने की जगह नहीं है।"

रेप आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करके चर्चा में आई सिस्टर लूसी कल्लापुरा इस समय केरल हाईकोर्ट में चल रही एक सुनवाई के कारण सुर्खियों में हैं। उन्हें हाल में उनकी मंडली फ्रांसिस्कन क्राइस्ट कॉन्ग्रेगेशन (FCC) से निष्काषित किया गया था, जिसके बाद वेटिकन कैथोलिक चर्च ने भी उनकी सुनवाई करने से मना कर दिया और उन पर कॉन्वेंट छोड़ने का दबाव बनाया जाने लगा।

सिस्टर लूसी ने अपनी आवाज केरल हाईकोर्ट में उठाई। जहाँ मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजाविजयराघवन ने अपना आदेश रिजर्व रखा। साथ ही उनको कॉन्वेंट छोड़ने की सलाह देते हुए कहा कि ये उनकी सुरक्षा के लिए उचित है। अगर वो ऐसा करती हैं तो उन्हें पुलिस प्रोटेक्शन भी दी जा सकती हैं। लेकिन अगर वह कॉन्वेंट में रहेंगी तो शायद उन्हें पुलिस सुरक्षा न दी जाए।

लाइव लॉ के अनुसार, कल्लापुरा ने अपना मामला लड़ने के लिए कई वकीलों को संपर्क किया लेकिन सबने उनकी अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद वह खुद आगे आईं। कोर्ट में उन्होंने कहा,

“मैं पहली बार अदालत के समक्ष पेश हुई हूँ। मैंने एक साल पहले पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन किया था। उसी के लिए सुनवाई हाल ही में हुई थी, और मुझे अदालत ने सुरक्षा प्रदान की थी। वर्तमान में मुझे कॉन्वेंट से बेदखल करने की कार्यवाही चल रही है। मैं इसे चुनौती दे रही हूँ क्योंकि यह अनुचित है। इस संबंध में, मैंने 2019 में दीवानी अदालत के समक्ष एक शिकायत दायर की है और मेरे पक्ष में निषेधाज्ञा (वह आज्ञा, जो कोर्ट कोई होता हुआ काम रोकने के लिए देता है।) आदेश है।”

उन्होंने कोर्ट के सामने पेश होते हुए बताया कि कॉन्वेंट को छोड़ने के बाद उनके पास कहीं जाने के लिए कोई जगह नहीं है। वह कहती हैं, “मैं महिला हूँ, न्याय के लिए लड़ने वाली नन हूँ। मेरे ननशिप के लिए जरूरी है कि मैं कॉन्वेंट में रहूँ। मैंने इसे 39 साल दिए हैं। कृपया मुझे सड़क पर न फेंके। मेरे पास कहीं और जाने की जगह नहीं है।”

सिस्टर लूसी ने कहा, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैंने चर्च के मूल्यों के खिलाफ जीवन नहीं जिया है। वे मुझे बाहर नहीं निकाल सकते। मुझे न्यायिक प्रणाली में विश्वास है, इसलिए मैंने व्यक्तिगत रूप से अपने मामले पर बहस करने का फैसला किया।”

सुनवाई में नन ने स्वीकार किया कि उन्हें कानूनी शब्दावली की समझ नहीं है, लेकिन वह संबंधित न्यायाधीश को अपने तर्कों को संप्रेषित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगी। बता दें कि इसी साल जून में, वेटिकन ने FCC से सिस्टर लूसी के निष्कासन को चुनौती देने वाली तीसरी याचिका को खारिज कर दिया था। कलाप्पुरा ने कहा था कि उन्हें अपने निष्कासन के संबंध में वेटिकन से एक ताजा विज्ञप्ति मिली है। विज्ञप्ति जारी होने के बाद, एफसीसी की मदर सुपीरियर ने कलाप्पुरा को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उन्हें कॉन्वेंट में अपना कमरा खाली करने का निर्देश दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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