अयोध्या मामले के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (अगस्त 29, 2019) को 15 वें दिन सुनवाई हुई। इस दौरान राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने पाँच सदस्यीय बेंच के सामने दलीलें पेश की।
उन्होंने मिश्रा ने कहा कि विवादित जमीन मुस्लिम पक्षकार को नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे यह साबित नहीं कर पाए हैं कि बाबर ने ही मस्जिद का निर्माण किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के हवाले देते हुए कहा कि यह साबित नहीं हो पाया है कि विवादित जमीन पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण बाबर ने कराया था या औरंगजेब ने? इसलिए कोई सबूत नहीं होने के कारण मुस्लिम पक्षकार को यह जमीन नहीं दी जा सकती।
मिश्रा ने दलील देते हुए कहा कि यह तो स्पष्ट है कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर बनाया गया था। मंदिर के अवशेष उस जगह से मिले हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाई गई।
उन्होंने दलील दी कि बाबर ने मस्जिद का निर्माण नहीं कराया था और न ही वह विवादित जमीन का मालिक था। जब वह जमीन का मालिक ही नहीं था तो सुन्नी वक्फ बोर्ड का मामले में दावा ही नहीं बनता। मुस्लिम पक्षकार यह साबित नहीं कर पाए थे कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया था।
उन्होंने कहा, “बाबर विवादित जमीन का मालिक नहीं था। ऐसे में मेरा कहना है कि जब कोई सबूत ही नहीं है तो मुस्लिम पक्षकार को विवादित जमीन पर कब्जा या हिस्सेदारी नहीं दी जा सकती।”
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं।