सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (26 मई 2023) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन कराने के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि शुक्र मनाओ पर कोर्ट जुर्माना नहीं लगा रहा है।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने कहा कि याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सीआर जया सुकिन के पास इस तरह की याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा कि उन्हें आभारी होना चाहिए कि अदालत उन पर जुर्माना नहीं लगा रही है।
बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, “आपका उद्देश्य क्या है? हम जानते हैं कि आपने ये याचिका क्यों दायर की है। हम अनुच्छेद 32 के तहत हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।” इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की कोर्ट से अनुमति माँगी, कोर्ट ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी।
अदालत में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “याचिका वापस लेने की अनुमति देने से उन्हें उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता मिलेगी। ये न्यायसंगत नहीं है। अदालत को इस पर ध्यान देना चाहिए।” कोर्ट ने कहा, “काफी समय तक बहस करने के बाद याचिकाकर्ता इसे वापस लेने की माँग कर रहा है, लेकिन हम याचिका को खारिज करते हैं।”
दरअसल, अधिवक्ता सीआर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 18 मई 2023 को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और लोकसभा के महासचिव द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद के अभिन्न अंग हैं। इसलिए उन्हें उद्घाटन से दूर नहीं रखा जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है, “राष्ट्रपति भारत के पहले नागरिक हैं और संसद की संस्था के प्रमुख हैं। इसलिए देश के बारे में सभी महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं। संसद में राष्ट्रपति और दोनों सदन- राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास संसद को बुलाने और सत्रावसान करने या लोकसभा को भंग करने का अधिकार है।”
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस समारोह का कॉन्ग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्रपति का अपमान है।