सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 अक्टूबर 2021) को केंद्र सरकार की योजना पर मुहर लगाते हुए कोरोना वायरस से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। शीर्ष न्यायालय ने इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”ये मुआवजा राज्यों की अनुग्रह राशि देने की अन्य योजना से अलग होगा। ये मुआवजा भविष्य में होने वाली मौतों पर भी लागू होगा। इसका भुगतान राज्य आपदा राहत कोष से होगा।”
अदालत ने कहा कि लाभार्थी का पूरा विवरण इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया में प्रकाशित किया जाए। आदेश में यह भी कहा गया है कि मृतक के परिजनों को 50,000 रुपए की राशि का भुगतान हर हाल में किया जाएगा और यह विभिन्न परोपकारी योजनाओं के तहत केंद्र और राज्य द्वारा भुगतान की गई राशि से अलग होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि ये मुआवजा आवेदन जमा करने और मृत्यु का कारण COVID-19 के रूप में प्रमाणित होने के 30 दिनों के भीतर दिया जाए। कोई भी राज्य इस आधार पर 50,000 रुपए का लाभ देने से इनकार नहीं कर सकता। इसके अलावा कोरोना होने के बाद 30 दिनों के भीतर खुदकुशी करने वालों को भी यह मुआवजा मिलेगा।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौत के लिए मुआवजे की घोषणा पर मोदी सरकार की सराहना की थी। कोर्ट ने कहा था कि विपरीत परिस्थितियों में भारत जो कर दिखाया, वैसा और कोई देश नहीं कर सका। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि COVID-19 के कारण मरने वालों के परिजनों को राज्य सरकारों से 50,000 रुपए का मुआवजा मिलेगा।
इस पर न्यायमूर्ति शाह ने कहा था, “आज हम बहुत खुश हैं। यह पीड़ित लोगों के लिए कुछ सांत्वना होगी। सरकार सब कुछ कर रही है… हमें खुशी है कि पीड़ित व्यक्ति के आँसू पोंछने के लिए कुछ किया जा रहा है। हमें इस तथ्य का नोटिस लेना होगा कि भारत सरकार ने जो किया है, कोई अन्य देश नहीं कर सकता।”