Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाज'सिर्फ गाली देने से नहीं लगा सकते SC/ST एक्ट': सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,...

‘सिर्फ गाली देने से नहीं लगा सकते SC/ST एक्ट’: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ‘मूर्ख’ और ‘बेवकूफ’ कहने पर लगा दिया था एक्ट

कोर्ट ने कहा कि मामले में किसी व्यक्ति को अपमानित करने की मंशा स्पष्ट होनी चाहिए। हर अपमान या धमकी SC/ST Act के धारा 3(1) (एक्स) के तहत अपराध नहीं होगा। जब तक कि इस तरह की टिप्पणी में जातिवादी मंशा ना हो, तब तक इस एक्ट में मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सिर्फ अभद्र भाषा का प्रयोग किसी व्यक्ति के खिलाफ ST/ST Act लगाने के लिए काफी नहीं है। अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ लगाए आरोप को खारिज कर दिया।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसआर भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने शुक्रवार (19 मई 2023) को कहा कि यह जरूरी है कि इस ऐक्ट के तहत आरोपित पर मुकदमा चलाने से पहले उसके द्वारा सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी को आरोप पत्र में रेखांकित किया जाए। इससे अदालतें अपराध का संज्ञान लेने से पहले यह निर्धारित कर पाएँगी कि एससी/एसटी अधिनियम के तहत एक मामला बनता है या नहीं।

बेंच ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी को सार्वजनिक रूप से ‘बेवकूफ’ या ‘मूर्ख’ या ‘चोर’ कहता है तो यह आरोपित द्वारा अपशब्द कहे जाने का कृत्य माना जाएगा। यदि यह SC/ST व्यक्ति को कहा गया है, तब तक धारा 3(1)(एक्स) के तहत व्यक्ति को आरोपित नहीं किया जा सकता, जब तक कि इस तरह के शब्द जातिसूचक टिप्पणी के साथ नहीं कहे गये हों।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने यह बात उस मामले की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1) (एक्स) के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। यह धारा सार्वजनिक तौर पर एससी-एसटी समाज के व्यक्ति के इरादतन अपमान करने से संबंधित है।

अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस संबंध में ना ही प्राथमिकी में और ना ही आरोप पत्र में यह जिक्र किया गया था कि मौखिक विवाद के दौरान शिकायतकर्ता की जाति का कोई संदर्भ नहीं दिया गया था।

अदालत ने यह नोट किया कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय शिकायतकर्ता के अलावे उसकी पत्नी और बेटे उपस्थित थे। इसके अलावा कोई और मौजूद नहीं था। कोर्ट ने कहा कि पत्नी-बेटे की उपस्थिति में कही गई बात को सार्वजनिक नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि मामले में किसी व्यक्ति को अपमानित करने की मंशा स्पष्ट होनी चाहिए। हर अपमान या धमकी SC/ST Act के धारा 3(1) (एक्स) के तहत अपराध नहीं होगा। जब तक कि इस तरह की टिप्पणी में जातिवादी मंशा ना हो, तब तक इस एक्ट में मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

अग्निवीरों को पुलिस एवं अन्य सेवाओं की भर्ती में देंगे आरक्षण: CM योगी ने की घोषणा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी रिजर्वेशन...

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी और एमपी एवं छत्तीसगढ़ की सरकार ने अग्निवीरों को राज्य पुलिस भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -