Tuesday, March 18, 2025
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गजराज पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, कहा- मंदिर में हाथियों का उपयोग हमारी संस्कृति: जानिए क्या है मामला

केरल हाई कोर्ट ने इसे पहले नवम्बर, 2024 में 'पशु अधिकार' कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाथियों के मंदिर में इस्तेमाल पर कई बंदिशें लगा दी थीं। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी उत्सव में हाथियों को 30 किलोमीटर से अधिक नहीं चलवाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केरल के मंदिरों के भीतर हाथी जुलूस और उनके धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग में रोक को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाथियों का मंदिरों में उपयोग हमारी संस्कृति का हिस्सा है और हाई कोर्ट का आदेश इसे रोकने की क्षमता रखता है।

हाथी संस्कृति का हिस्सा: सुप्रीम कोर्ट

सोमवार (17 मार्च, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने यह रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश गज सेवा समिति नाम के एक NGO की याचिका पर दिया है। केरल हाई कोर्ट ने मंदिरों में हाथियों के उपयोग को लेकर यह आदेश जनवरी, 2025 में दिया था।

यह याचिका लगाने वाले गज सेवा समिति ने आरोप लगाया है कि हाथियों पर रोक लगाने की माँग करने वाले कथित एक्टिविस्ट हिन्दुओं की 2 हजार साल से अधिक पुरानी परमपराएं बंद करवाना चाहते हैं। गज सेवा समिति ने आरोप लगाया कि यह एक्टिविस्ट विदेशी फंड के सहारे काम करते हैं और यह हिन्दुओं की परंपराओं को रोक रहे हैं।

गज सेवा समिति ने कहा कि हाथियों को केरल के भीतर पवित्र माना जाता है और उन्हें शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। गज सेवा समिति ने आरोप लगाया कि कथित पशु अधिकार वाले पूरी तरह से मंदिरों में उनका इस्तेमाल रोकना चाहते हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि जनवरी, 2025 में दिए गए आदेश में केरल हाई कोर्ट ने मंदिर के उत्सवों में हाथियों के उपयोग को लेकर कई बातें कहीं थीं। हाई कोर्ट ने कहा था कि 31 मई, 2022 से पहले रजिस्टर नहीं हुए मंदिर और देवासम हाथियों का जुलूस नहीं करवा सकेंगे।

हाई कोर्ट ने लगाई थी बंदिशें

केरल हाई कोर्ट ने इसे पहले नवम्बर, 2024 में ‘पशु अधिकार’ कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाथियों के मंदिर में इस्तेमाल पर कई बंदिशें लगा दी थीं। हाई कोर्ट ने कहा था कि मंदिरों में इस्तेमाल किए जाने वाली हाथी किसी ‘नाजी कैम्प’ जैसी जिन्दगी गुजारते हैं।

केरल हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी उत्सव में हाथियों को 30 किलोमीटर से अधिक नहीं चलवाया जाएगा। इसके अलावा उन्हें एक दिन में 125 किलोमीटर से अधिक दूर नहीं ले जाया जाएगा। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन्हें 6 घंटे से अधिक किसी वाहन में नहीं रखा जाएगा।

केरल हाई कोर्ट ने दिन में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच भी सार्वजनिक रोड पर हाथियों के जुलूस भी करने पर रोक लगा दी थी, उनको रात में भी इस्तेमाल करने पर बंदिशें थीं। जुलूस के दौरान भी हाथियों के बीच 3 मीटर की दूरी रखी जानी थी। हाई कोर्ट ने यहाँ तक कहा था कि कोई ऐसी धार्मिक परंपरा नहीं है, जिसमे हाथियों का उपयोग अनिवार्य हो।

इस आदेश के बाद केरल के बड़े मंदिरों ने कहा था कि अब हाथियों का उपयोग लगभग असंभव हो जाएगा। कई मंदिरों ने इस आदेश के बाद रोबोट वाले हाथी मँगाए थे। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने दिसम्बर, 2024 में रोक दिया था। हालाँकि, इसके बाद भी जनवरी, 2025 में हाई कोर्ट ने नया ऐसा ही आदेश दिया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब रोक लगाई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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