Saturday, July 27, 2024
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सुपरटेक फ्लैट खरीदारों को 12% ब्याज समेत लौटाए पूरी रकम, समय सिर्फ 28 फरवरी तक: ट्विन टॉवर केस में सुप्रीम कोर्ट

SC ने स्पष्ट किया कि रिफंड में कोई टैक्स नहीं काटा जाएगा और उन खरीदारों को भी रिफंड दिया जाए, जो अवमानना की याचिका लेकर शीर्ष न्यायालय नहीं आए, उन्हें याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 जनवरी 2022) को सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के टि्वन टावर के फ्लैट खरीदारों बड़ी राहत दी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया ​है कि बिल्डर कंपनी सुपरटेक नोएडा स्थित टि्वन टावर के फ्लैट खरीदारों को 28 फरवरी तक 12% ब्याज समेत पूरी रकम वापस कर दे।

जस्टिस चंद्रचूड़ डीवाई और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने इसके साथ ही स्पष्ट किया कि रिफंड में कोई टैक्स नहीं काटा जाएगा और उन खरीदारों को भी रिफंड दिया जाए, जो अवमानना की याचिका लेकर शीर्ष न्यायालय नहीं आए हैं। इस मामले में कोर्ट ने सलाहकार गौरव अग्रवाल की ओर से पेश किए गए रिफंड फॉर्मूले को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होंने पीठ को बताया था कि सुपरेटक खरीदारों को रिफंड करने में TDS काट रहा है और वह उन लोगों को रिफंड नहीं दे रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट नहीं आए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के प्रतिनिधि, कोर्ट सलाहकार और बॉयर्स मीटिंग करें और रिफंड के तरीके को अंतिम रूप दें कि किस तरह से रिफंड किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग अदालत नहीं आए हैं, उन्हें याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

मालूम हो कि इससे पहले पिछली सुनवाई में 17 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने घर खरीदारों को पैसे नहीं लौटाए तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।

सुपरटेक टि्वन टावर का पूरा मामला

बता दें कि 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट के 40 फ्लोर के टि्वन टावर को गिराने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की पीठ ने मामले की सुनवाई में पाया था कि अतिरिक्त टावरों का निर्माण जिसमें तकरीबन 1000 फ्लैट बनने थे, वह नियम और कानून के विरुद्ध है। फैसले में ये भी कहा गया है कि ये निर्माण सुपरटेक द्वारा अपनी लागत पर दो माह के भीतर तोड़ा जाना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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