नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में 2 महीने से ज्यादा से धरना चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार बुधवार (19 फरवरी 2020) को प्रदर्शनकारियों से बात करने शाहीन बाग पहुँचे। इस बातचीत से मीडिया को दूर रखा गया।
हालाँकि, तीनों वार्ताकार अपने-अपने तरीके से शाहीन बाग में बैठे लोगों को सुनने-समझने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, जिस शिद्दत से वे अपना काम कर रहे हैं, क्या वाकई उन्हें वास्तविक प्रतिक्रिया जानने को मिलेगी? ये सवाल इसलिए क्योकिं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन वार्ताकारों की नियुक्ति के बाद शाहीन बाग से एक विडियो सामने आया है। इसमें खुद को ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ कहने वाली तीस्ता सीतलवाड़ वहाँ बैठी महिला प्रदर्शनकारियों को सवाल समझाकर तैयार करती नजर आ रही हैं। इस विडियो को भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर शेयर किया है।
अमित मालवीय ने बुधवार (फरवरी 19, 2020) को ट्वीट करते हुए लिखा, “..तीस्ता सीतलवाड़ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को समझा रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकार उनसे क्या सवाल पूछेंगे। देखिए ये आंदोलन कितना स्वाभाविक और प्रायोजित है?”
Teesta Setalvad tutoring Shaheen Bagh protestors on what questions to ask the interlocutors, appointed by the Supreme Court… See how organic and spontaneous this movement is? pic.twitter.com/gsZCBS5l0t
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 19, 2020
2 मिनट के इस विडियो में देखा जा सकता है कि एक लड़की कुछ सवालों की सूची तैयार करके महिलाओं को समझा रही हैं। बताया जाता है कि वार्ताकार उनसे ये सवाल पूछ सकते हैं। वीडियो में तीस्ता को लड़की के ठीक पीछे खड़े देखा जा सकता है और लड़की के हर वाक्य के बाद उनके भाव देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस प्रकार किसी परीक्षा से पहले शिक्षक अपने छात्रों से पूछते हैं कि सवाल समझने में उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं है, उसी प्रकार तीस्ता भी प्रदर्शनकारियों से इसी भाव से सवाल ठीक है कि नहीं पूछती दिख रही हैं।
गौरतलब है कि विडियो में महिला प्रदर्शनकारियों को जो सवाल समझाएँ जा रहे हैं। वो इस प्रकार हैं-
- क्या शाहीन बाग आंदोलन की जगह बदलने से आंदोलन कमजोर होगा?
- अगर जगह बदलने की बात होती है तो महिलाओं की हिफाजत की जिम्मेदारी कौन लेगा?
- आंदोलन की वजह से कुछ पब्लिक को दिक्कत हो रही है, इसके बारे में हमें क्या करना है?
- आधा रास्ता खोलने से मसला हल होगा क्या?
- क्या शाहीन बाग आंदोलन का रंगरूप बदलने से आंदोलन कमजोर होगा?
वीडियो में नजर आ रही लड़की द्वारा सवाल समझाए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ माइक सॅंभालती दिखती हैं और प्रदर्शनकारियों को सवालों को समझाती हैं। जब कोई महिला उनसे रंगरूप का मतलब पूछती है, तो वे बताती हैं कि रंग-रूप का मतलब है कि आप लोग यहाँ पर 24 घंटे ना बैठें, हफ्ते में एक बार या दो बार आए, कभी-कभी शाम को ही आएँ।
.@TeestaSetalvad did not come to Shaheen Bagh recently: @shoaibJamei, Spokesperson, Shaheen Bagh tells Navika Kumar, Group Editor- Politics, TIMES NOW. | #TeestaTutorsShaheen pic.twitter.com/oMHXXKQjyC
— TIMES NOW (@TimesNow) February 19, 2020
बता दें, तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति 1.4 करोड़ रुपए का फंड गबन करने के मामले में सुर्खियों में रह चुके हैं। इन पर आरोप था कि साल 2002 के दंगा पीड़ितों की मदद के लिए इन्होंने अपने एनजीओ के जरिए पैसा इकट्ठा किया। लेकिन बाद में अपनी सुविधाओं और खर्चे की पूर्ति के लिए उसका इस्तेमाल कर लिया। ये आरोप उस दौरान प्रकाश में आया था, जब गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी के एक निवासी ने इस मामले में शिकायत की थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीवुल्लाह को वार्ताकार के रूप में नियुक्त किए गया हैं। ये सभी प्रदर्शनकारियों से उनकी जगह बदलने की अपील करेंगे। उनकी बात सुनेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट को इससे अवगत कराएँगे। यहाँ गौर करने वाले बात है कि इन वार्ताकारों में संजय हेगड़े ऐसे वकील हैं, जिन्हें कई बार झूठी खबरें फैलाते पकड़ा जा चुका है। इसके कारण उनका ट्विटर अकॉउंट भी सस्पेंड हुआ था और उन्होंने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक ले जाने की बात की थी।