Saturday, July 27, 2024
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‘हिजाब स्कूलों के लिए नहीं, महिलाओं को काबू करने के लिए’: बोले UP मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष- मौलवियों ने जानबूझकर खड़ा किया विवाद

"मौलवियों ने तीन तलाक, कई महिलाओं से निकाह या हिजाब विवाद को जन्म देकर मुस्लिम महिलाओं की आजादी को कुचलने की कोशिश की। मुस्लिमों में सबसे बड़ी दिक्कत नेतृत्व की है।"

कर्नाटक हिजाब विवाद को उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने मंगलवार (12 अप्रैल 2022) को मुस्लिम मौलवियों की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि ये विवाद मुस्लिमों के गलत नेतृत्व के कारण उपजा था। मौलवियों ने महिलाओं को अपने काबू में रखने और उन्हें मुस्लिम पितृसत्ता में छोटा महसूस कराने के लिए जानबूझकर हिजाब विवाद को जन्म दिया।

जावेद ने आरोप लगाया कि मौलवियों ने तीन तलाक, कई महिलाओं से निकाह या हिजाब विवाद को जन्म देकर मुस्लिम महिलाओं की आजादी को कुचलने की कोशिश की। मुस्लिमों में सबसे बड़ी दिक्कत नेतृत्व की है। मौलवियों को शांति बिल्कुल भी पसंद नहीं। उन्होंने आगे कहा, “वे हमेशा चाहते हैं कि कुछ मुद्दे विवाद पैदा करें।”

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मदरसा बोर्ड के चीफ ने कहा, “हिजाब में एक बहुत ही स्पष्ट अवधारणा है। महिलाएँ इसे घर, मस्जिदों, मजारों, शादियों और बाजारों में पहनने की हकदार हैं। लेकिन वो हिजाब को सेना में, केबिन क्रू के तौर पर, पुलिस फोर्स में, डॉक्टरों के रूप में, वकीलों के रूप में और यहाँ तक ​​कि इसे स्कूल पहनकर जाने का दावा नहीं कर सकती हैं। हिजाब ये सब काम करने के लिए नहीं है। मुस्लिम महिलाओं को मुख्यधारा से बाहर रखने के लिए जानबूझकर हिजाब का इस्तेमाल किया गया।”

इससे पहले इफ्तिखार अहमद जावेद ने बीते 25 मार्च 2022 को प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान को अनिवार्य कर दिया था। उन्होंने कहा था, “राष्ट्रगान विभिन्न स्कूलों में गाया जाता है और हम मदरसा के छात्रों में भी देशभक्ति की भावना जगाना चाहते हैं, ताकि वे हमारे इतिहास और संस्कृति को जान सकें।”

कब हुआ हिजाब विवाद

पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है।

हालाँकि, उसके बाद से हालात लगातार बिगड़ते चले गए। हिजाब विवाद को बढ़ाने में प्रतिबंधित कट्टर इस्लामिक संगठन पीएफआई और उसकी स्कूल शाखा सीएफआई का नाम भी सामने आया था। बाद में हिजाब विवाद कर्नाटक हाई कोर्ट की दहलीज पर पहुँचा, जहाँ कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। सभी को स्कूलों में यूनिफॉर्म कोड का पालन करना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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