Friday, April 19, 2024
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‘गलती से हुआ’: उत्तराखंड सरकार ने बाबा रामदेव की 5 दवाओं पर लगा बैन हटाया, बोले आचार्य बालकृष्ण – ऋषि परंपरा को कलंकित कर रहे अयोग्य अधिकारी

"माननीय प्रधानमंत्री भी देश को सभी प्रकार की गुलामी की निशानियों को मिटाकर अपनी विरासत के गौरव को प्रतिष्ठित करने के लिए अखण्ड पुरुषार्थ कर रहे हैं। उत्तराखण्ड के आयुर्वेद लाइसेंसिंग अधिकारी अज्ञानी, असंवेदनशील, अयोग्य अधिकारी पूरी आयुर्वेद की ऋषि परम्परा को कलंकित कर रहे हैं।"

शुक्रवार (11 नवंबर, 2022) को उत्तराखंड सरकार की ‘आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी’ ने केरल के एक डॉक्टर की शिकायत के बाद ‘भ्रामक विज्ञापनों’ का हवाला देते हुए पतंजलि कंपनी की ‘दिव्य फॉर्मेसी’ की 5 दवाओं के उत्पादन पर बैन लगा दिया था। हालाँकि, अब शनिवार (12 नवंबर) को सरकार ने अपनी ‘गलती’ मानते हुए यह बैन हटा दिया है। बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेदि लिमिटेड के डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने इसकी जानकारी दी है।

आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर कहा है, “उत्तराखण्ड सरकार ने मानी गलती, पतंजलि की पाँचों दवाओं पर लगा बैन हटाया। पतंजलि संस्थान ने विश्व में सर्वप्रथम आयुर्वेद की औषधियों को 30 वर्षों के निरन्तर पुरुषार्थ व अनुसंधान से अनुसंधान और साक्ष्य आधारित दवा के रूप में स्वीकार्यता दिलाई है।”

उन्होंने यह भी कहा, “माननीय प्रधानमंत्री भी देश को सभी प्रकार की गुलामी की निशानियों को मिटाकर अपनी विरासत के गौरव को प्रतिष्ठित करने के लिए अखण्ड पुरुषार्थ कर रहे हैं। उत्तराखंड के आयुर्वेद लाइसेंसिंग अधिकारी अज्ञानी, असंवेदनशील, अयोग्य अधिकारी पूरी आयुर्वेद की ऋषि परम्परा को कलंकित कर रहे हैं।”

इससे पहले दिव्य फार्मेसी की दवाओं पर बैन लगाने की खबर सामने आने के बाद पतंजलि की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया था कि उनकी कंपनी में जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनती हैं सभी निर्धारित मानकों के अनुरूप व वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं।

पतंजलि की ओर से यह भी कहा गया था कि पतंजलि की औषधि निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है। जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल व क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है, उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा। कंपनी ने कहा था कि जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ केवी बाबू ने राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने दिव्य फार्मेसी की दवाओं को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद उत्तराखंड की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी ने दिव्य फार्मेसी को आदेश जारी कर बीपीग्रिट, मधुग्रिट, थाइरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड दवाओं का उत्पादन रोकने के लिए कहा था। यही नहीं, भ्रामक विज्ञापनों का हवाला देते हुए, प्राधिकरण ने पतंजलि को फॉर्मूलेशन शीट और लेबल में बदलाव करते हुए इन पाँचो दवाओं के लिए फिर से मंजूरी लेने के लिए भी कहा था।

बता दें कि बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी ‘पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड’ कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करती है। इसके अंतर्गत काम करने वाली कंपनी दिव्य फार्मेसी दवाओं का निर्माण करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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