Wednesday, May 1, 2024
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वो अंत में निकले, मुस्कुराते हुए… जिनके जज्बे की बात अपने परिजनों से करते थे 40 मजदूर, उन गब्बर सिंह नेगी के PM मोदी भी हुए कायल: बेटे से कहा था – सबकी जिम्मेदारी मेरी

बचाव अभियान के दौरान वो गब्बर सिंह नेगी ही थे जो मजदूरों को जेहनी तौर पर मजबूत करते रहे। यही नहीं, उनके जरिए ही सीएम से लेकर सभी ने मजदूरों से संपर्क साधा। सब उनके इस सहज नेतृत्व की सराहना करते रहे हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे से 17 दिनों बाद वहाँ फँसे 41 मजदूर सकुशल बाहर निकल आए। लेकिन, पल-पल निराशा और आशा के बीच जूझते हुए उनका जो वक्त वहाँ गुजरा शायद वो उसे कभी भुला न पाएँ, इस सबके बीच ये सभी मजदूर गब्बर सिंह नेगी की ज़िंदादिली के भी ताउम्र के लिए कायल हो गए। गब्बर सिंह नेगी उन 41 श्रमिकों में शामिल थे, जो अंदर 17 दिनों तक फँसे रहे।

वो नेगी ही थे जिन्होंने मुश्किल की उन घड़ियों में जिंदगी जीने की उम्मीद इनके दिलों में जलाए रखी। यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कोटद्वार के पहाड़ के गब्बर के लिए कहना पड़ा, “देखो गब्बर सिंह, मैं तुम्हें तो विशेष रूप से बधाई देता हूँ, क्योंकि मुझे डेली रिपोर्ट हमारे मुख्यमंत्री जी बताते थे कि आप दोनों ने जो लीडरशिप दी और जो टीम स्प्रिट दिखाई मुझे तो लगता है शायद किसी यूनिवर्सिटी को एक केस स्टडी तैयार करनी पड़ेगी।”

गब्बर ने दिया सब को हौसला

बचाव अभियान के दौरान वो गब्बर सिंह नेगी ही थे जो मजदूरों को मानसिक रूप पर मजबूत करते रहे। यही नहीं, उनके जरिए ही सीएम से लेकर सभी ने मजदूरों से संपर्क साधा। सब उनके इस सहज नेतृत्व की सराहना करते रहे हैं। और करें भी क्यों न? आसान नहीं होता मुश्किल में फँसे एक दो नहीं बल्कि पूरे 40 लोगों को दिलासा देना, हिम्मत देना। दीवाली की सुबह 12 नवंबर, 2023 को हादसे के दिन इस साइट पर 51 साल के गब्बर सिंह नेगी बतौर फोरमैन तैनात थे।

भूस्खलन की वजह से सुरंग में मलबा गिरने से कुछ देर पहले ही वो सुरंग में अंदर गए थे। उनके बेहद करीब आकर मलबा गिरा और वो वहीं फँसे रह गए। इन मुश्किल हालात में उन्होंने अपने साथ वहाँ फँसे 40 मजदूर साथियों को हादसे के बारे में बताया ही नहीं बल्कि उन्हें न घबराने और शांति बनाए रखने के लिए कहा।

वहीं थे जिन्होंने सुरंग से बाहर भी वॉकी-टॉकी के जरिए हादसे के बारे में सूचना दी थी। वो मजदूरों के साथ ही सुरंग में फँसे थे, लेकिन इस दौरान जब सुरंग में मजदूरों को एक-एक दिन पहाड़ सा भारी लगने लगा तो इस पहाड़ी गब्बर ने मोर्चा सँभाल लिया। वो बाहर बचाव टीम से भी लगातार संपर्क बनाए रहे थे।

वो इन 17 दिनों में सभी मजदूरों को दिलासा देते रहे, हिम्मत बँधाते रहें। यही वजह रही की मजदूर सुरंग के अंदर से अपने परिवारवालों से बात करने के दौरान भी गब्बर सिंह नेगी का जिक्र करना और उनकी तारीफ करना नहीं भूले।

सुरंग में फँसे मजदूरों के परिजनों ने की तारीफ

लखीमपुर खीरी के मजदूर मंजीत लाल के पिता चौधरी ने कहा कि गब्बर सिंह नेगी की वजह से उनके बेटे का मनोबल बना रहा। वहीं दूसरी तरफ मजदूर सबा अहमद के भाई नैयर अहमद भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते, वो कहते हैं कि गब्बर सिंह सरल स्वभाव के अनुभवी शख्स रहे जो सबका हौसला बढ़ाते रहे।

गब्बर सिंह नेगी के बेटे आकाश सिंह नेगी का कहना था, ‘‘मुझे कुछ सेकेंड के लिए पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की मंजूरी मिली थी। इस पाइप से सुरंग में फँसे श्रमिकों को आक्सीजन दी जा रही थी। पापा ने कहा वे सभी सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे फ़िक्र न करने को कहा और कहा कंपनी उनके साथ है।”

गब्बर सिंह ने बेटे आकाश को ये भी बताया था कि वह सुरंग में अकेले नहीं हैं और अन्य साथियों की सुरक्षा का जिम्मेदारी भी उनकी ही है। वो अपने साथियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। तब आकाश पिता की बात सुन भावुक हो उठे। गब्बर सिंह के इस जज्बे को उनके पूरे परिवार ने भी सराहा था।

वो लगातार अपने साथ फँसे मजदूरों से कहते रहे कि हम लोगों को जल्दी ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। उन्होंने अपने साथ फँसे मजदूरों से कहा था कि मैं सबसे आख़िर में बाहर आऊँगा और ऐसा ही किया भी था। गब्बर के भाई जयमाल सिंह नेगी ने बताया, “वह सबसे आख़िर में निकले। बाहर आने पर वो मुस्कुरा रहे थे।”

25 साल सुरंग में काम करने का अनुभव

सिलक्यारा सुरंग बना रही कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड में गब्बर सिंह नेगी फोरमैन पद पर है। वो पौड़ी जिले के कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के तहत आने वाले विशनपुर में रहते हैं और बीते 25 साल से सुंरग निर्माण कर रही कंपनियों में काम करते आ रहे हैं।

उन्हें भूस्खलन की घटनाओं का खासा अनुभव है। पीएम मोदी से बातचीत के दौरान उन्होंने ऐसे अनुभव पर बताया था, “सर उस वक्त में सिक्किम में था। तब एक लैंड स्लाइड हुआ था तब हम फँसे हुए थे। काफी परेशानी आई थी।” जवाहर सुंरग के निर्माण में भी वो काम कर चुके हैं। सुरंग में रहने के दौरान भी गब्बर सिंह नेगी ने अपने साथ फँसे अन्य 40 मजदूरों को बताया था कि वो कुछ साल पहले भी इस निर्माण के दौरान सुरंग में फँस चुके हैं।

गब्बर सिंह के बड़े भाई जयमल नेगी भी पाइप के जरिए उनसे लगातार बात करते रहे थे। बकौल जयमल गब्बर सिंह को सभी मजदूरों की जिंदगी की फिक्र है। इसलिए वो सुरंग के अंदर मजदूरों को टहलने और योगाभ्यास करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्रेम पोखरियाल की भी सुरंग में फँसे मजदूरों से लगातार बात होती रही थी। उनका कहना था कि गब्बर सिंह काफी समझदार हैं। वो सभी का हौसला बनाए हुए हैं और सुरंग के अंदर डॉक्टरों की टीम के निर्देशों का पालन भी मजदूरों से वही करवा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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