विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उससे संबंधित कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर इस वक्त तेजी से वायरल हो रही हैं। वहीं अब गैंगस्टर विकास दुबे के राइट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे की 29 जून को हुई शादी का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में चौकी इंचार्ज केके शर्मा भी दिखाई दे रहे हैं। यह केके शर्मा वहीं दारोगा है जिसे विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक मे निलंबित किया जा चुका है।
शादी में शामिल दारोगा केके शर्मा गैंग के सरगना विकास दुबे के साथ ब्राउन कलर की शर्ट पहने अमर दुबे के पीछे खड़ा है। यह तस्वीर पुलिस-अपराधियों की मिलीभगत पर गंभीर सवाल खडे़ कर रही हैं। एक अन्य तस्वीर में वह अमर और उसकी पत्नी खुशी को आशीर्वाद देते दिख रहा है जबकि एक तस्वीर में कुछ लोगों के बीच खड़ा है।
हिंदुस्तान न्यूज़ की रिपोर्ट में शेयर किए गए वीडियो में आप देख सकते है कि किस तरह वर वधू को आशीर्वाद देने के दौरान विकास दुबे दरोगा केके शर्मा से कह रहा है डरो नहीं पास आओ। वहीं विकास दुबे एक नवविवाहिता के साथ फोटो खिंचवाता दिख रहा है, जिसमें नवविवाहिता उसे मामा कहते हुए संबोधित करती है। और कहती है कि उसके साथ एक फोटो खिंचवा लो। जिस पर विकास दुबे जवाब देता है कि, वो बैठकर नहीं, खड़े होकर ही फोटो खिंचवाता है। यह वीडियो विकास के गुर्गे अमर दुबे और खुशी की शादी का है।
बता दें इससे पहले कानपुर कांड में पकड़े गए शशिकांत की पत्नी का ऑडियो वायरल हुआ था। ऑडियो में शशिकांत की पत्नी रिश्तेदार को फोन करके पूरी घटना के बारे में बता रही थी। जिसमें उसने विकास दुबे द्वारा मारे गए पुलिसकर्मियों और फरार होने की बात का खुलासा किया था।
जानकारी के मुताबिक शशिकांत ने गिरफ्तारी के बाद कैमरे के सामने स्वीकार किया है कि गोली जबरदस्ती विकास दुबे ने चलवाई थी। शशिकांत ने बताया, “घटना को अंजाम देने वालों में मैं, अमर दुबे, विकास दुबे, प्रभात मिश्रा, बउवा, अतुल दुबे शामिल थे। विकास ने हमारे ऊपर दबाव बनाया कि तुम गोली नहीं चलाओगे तो तुम्हे मार डालेंगे।”
गौरतलब है कि 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या करने वाले खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे की मदद और दबिश की मुखबरी करने के आरोपों में निलंबित चल रहे चौबेपुर के पूर्व SHO विनय तिवारी और सब इंस्पेक्टर केके शर्मा की गिरफ्तारी हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार विकास दुबे को भगाने के पीछे विनय तिवारी और केके शर्मा का हाथ बताया जा रहा है। इन लोगों ने ही दबिश के दौरान पुलिस की जान खतरे में डाली थी। और उन्हें मरता हुआ छोड़ कर भाग गए थे।
पुलिस अधिकारियों के गिरफ्तारी की पुष्टि आईजी मोहित अग्रवाल ने की है। गैंगस्टर विकास दुबे को बचाने में चौबेपुर थाने के एसएचओ विनय तिवारी और अन्य पुलिसकर्मियों पर संलिप्तता के आरोप लगने के बाद इसकी जाँच के आदेश दिए गए थे।
उल्लेखनीय है कि वारदात वाले दिन को लेकर पुलिस इस बात की भी आशंका जता रही थी कि महकमे के ही किसी शख्स ने इस बात की मुखबिरी की है। इसी सिलसिले में आईजी मोहित अग्रवाल ने चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया था।
जाँच के दौरान, पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के चलते 2200 नम्बरों को सर्विलांस पर लगाया है। जिससे मुठभेड़ रात तक मतलब 24 घंटे के भीतर विकास ने जिस भी किसी शख्स से बातचीत की हो उसका पता लगाया जा सके। रेड से पहले विकास गुप्ता को इसकी पल-पल की जानकारी मिल रही थी। काल डिटेल में कई पुलिसकर्मियों के भी नम्बर सामने आए थे। जिसके चलते चौबेपुर के दरोगा, सब इंस्पेक्टर केके शर्मा और होम गार्ड की तहकीकात की जा रही थी।
दबिश की सूचना को लीक करने का शक थानाध्यक्ष विनय तिवारी पर गया था। यहाँ तक इलाके की पूरी जानकारी होने के बावजूद दबिश के समय विनय तिवारी पीछे चल रहे थे और गोलीबारी के समय वे जेसीबी के पीछे छुप गए थे। और वहाँ से बच कर निकल गए थे। जिससे इस बात का साफ पता चलता है कि विनय तिवारी को पहले से ही इस हमले की जानकारी थी।