अपने बयानों के कारण कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिजवी ने इस्लाम मजहब को छोड़ हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। उन्होंने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद गिरि की मौजूदगी में घर वापसी की। इस दौरान कई अनुष्ठान हुए। अब उनका नाम जितेंद्र नारायण होगा।
पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपना लिया है। गाजियाबाद की डासना देवी मंदिर में वह सनातन धर्म की पूरी रस्म के साथ हिन्दू धर्म में वापस आ गए।
— SANJAY KUMAR GUPTA (@sanjayguptamla) December 6, 2021
जय श्री राम 🚩
कई मीडिया रिपोर्टों में रिजवी का नया नाम हरबीर नारायण त्यागी बताया जा रहा है, लेकिन उनका नाम जितेंद्र नारायण स्वामी रखा गया है। इस बात की पुष्टि ऑपइंडिया से स्वयं महंत नरसिंहानंद गिरि ने की है।
हिंदू धर्म अपनाने के बाद रिजवी ने कहा, “मुगलों ने हमेशा परंपरा दी हिंदुओं को हराओ। जो पार्टी हिंदुओं को हराती है मुसलमान एकजुट होकर उसे वोट करते हैं। मुसलमान सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को हराने के लिए वोट करता है।”
उन्होंने कहा, “मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है, आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूँ।”
श्मशान घाट में शव जलाने की जताई थी इच्छा
बता दें कि वसीम रिजवी ने पहले ही घोषण की हुई थी कि वो आज यानी सोमवार को सनातन धर्म अपनाएँगे। वो पिछले कई दिनों से मंदिर के महंत से संपर्क में थे। कुछ दिन पहले उन्होंने ये भी इच्छा जताई थी कि जब भी उनका इंतकाल हो तो उन्हें दफनाने की बजाय श्मशान घाट पर जलाया जाए। उन्होंने अपनी चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार डासना मंदिर के महंत व जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिम्हानंद सरस्वती को दिया था।
रिजवी ने बताया था कि कट्टरपंथियों ने उनकी लाश के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं देने की घोषणा की है। उनकी मौत के बाद देश में किसी तरह की अशांति न हो, इसीलिए उन्होंने अपनी वसीयत में मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को जलाने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज़ से हो, इस संदर्भ में उन्होंने अपनी वसीयत की कॉपी प्रशासन को भी भेजी थी।
कट्टरपंथियों क्यों थे रिजवी से खफा
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने गाजियाबाद के डासना के महाकाली मंदिर में दर्शन करने के बाद महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से अपनी किताब ‘मोहम्मद’ का विमोचन कराया था। इसके बाद खुद असदुद्दीन ओवैसी ने उनके विरुद्ध शिकायत करवाई थी।
शिकायत में कहा गया था कि किताब की सामग्री और आपत्तिजनक बयानों को उनकी धार्मिक भावनाएँ आहत करने के मकसद से लिखा गया है जो पैगंबर मोहम्मद के अनुयायी हैं और इस्लाम के सिद्धांतों को मानने वाले हैं।
इस केस से पहले वसीम रिजवी कुरान की आयतें हटाने की याचिका दायर करने को लेकर भी सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने कुरान की 26 आयतों को आतंकवाद को बढावा देने वाली बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।