भारत के सबसे सफल कारोबारियों में से एक रतन टाटा अपनी मृत्यु से पहले अपने शुभचिंतकों और परिवार को अपनी कमाई हुई दौलत को बाँट गए। इसमें एक नाम मोहिनी मोहन दत्ता का भी है।
दत्ता को रतन की वसीयत में 588 करोड़ रुपए मिले। ये रतन की कमाई का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। लोगों के मन में सवाल हैं कि अचानक इतनी बड़ी रकम का उत्तराधिकार पाने वाले व्यक्ति मोहिनी मोहन दत्ता आखिर कौन हैं।
रतन टाटा की वसीयत में हर उस शख्स का नाम शामिल है जिसने उनके जीवन के किसी भी समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हीं में से एक नाम है मोहिनी मोहन दत्ता। सुनने में ये नाम भले ही एक महिला का लगता हो लेकिन असल में ये रतन टाटा के 60 साल पुराने और अजीज पुरुष मित्र हैं।
मोहिनी मोहन दत्ता हैं कौन
मोहिनी मोहन दत्ता जमशेदपुर में एक उद्यमी हैं। वर्तमान में उनकी आयु 77 वर्ष है। रतन टाटा से उनकी दोस्ती तब हुई जब दत्ता की उम्र 13 वर्ष थी और रतन 25 वर्ष के थे। उसके बाद से उन दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।
रिपोर्ट्स की मानें तो दत्ता कहते हैं कि टाटा ने ही उनके करियर को ऊँचाई तक पहुँचाने में मदद की। ताज होटल से ही करियर शुरू कर 1986 में उन्होंने ताज इंडस्ट्रीज से फंडिंग ली और अपनी कंपनी स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी शुरू की।
2006 से इस कंपनी की टाटा समूह के साथ साझेदारी थी। कंपनी में दत्ता की साझेदारी 80% और टाटा इंडस्ट्रीज के पास 20% हिस्सा था। दत्ता की बेटी ने भी टाटा समूह के साथ कई वर्षों तक काम किया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, दत्ता को ताज होटल्स ग्रुप को निदेशक की जिम्मेदारी भी दी गई। 2013 में स्टैलियन का ताज ग्रुप ऑफ होटल्स की सहायक कंपनी ताज सर्विसेज में विलय हो गया।
मोहन को क्यों थी वसीयत से परेशानी
मोहिनी मोहन दत्ता ने रतन की वसीयत में अपना हिस्सा अस्वीकार कर दिया था। उनका कहना था कि उनके लिए रतन ने जितनी रकम लिखी है वह काफी अधिक है। इसके बाद परिवार और वकीलों की बात मानने के बाद उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। उनके इसे स्वीकार करने के बाद ही वसीयत को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए प्रोबेट की प्रक्रिया में तेजी आएगी। प्रोबेट प्रक्रिया के लिए 27 मार्च को ही कोर्ट में याचिका डाल दी गई थी।
प्रोबेट प्रक्रिया से पहले सवाल उठाने के बाद वसीयत के नियम ‘नौ कॉन्टेस्ट क्लॉज’ के तहत मोहिनी मोहन दत्ता को टाटा की संपत्ति में अब लगभग 200 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस नियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति वसीयत को कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकता। अगर वह ऐसा करता है तो वह वसीयत से जुड़े सभी अधिकार खो देगा।
वसीयत में कितना हिस्सा किसको
रतन टाटा की मृत्यु 9 अक्तूबर 2024 को हुई थी। इसके बाद उनकी वसीयत को उनके परिवार और दोस्तों समेत सभी के सामने पढ़ा गया।
‘इकोनॉमिक टाइम्स‘ की रिपोर्ट के अनुसार, रतन टाटा ने अपनी ₹10 हजार करोड़ की संपत्ति करीब दो दर्जन लोगों में बाँटी है। रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का लगभग एक तिहाई हिस्सा, यानी लगभग 3800 करोड़ रुपए दान कर दिए हैं। इसके अलावा ‘रतन टाटा एडोमेंट फाउंडेशन’ (RTEF) जैसी चैरिटी संगठनों के लिए भी अपनी व्यक्तिगत संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रतन टाटा ने दिया है। इसमें ‘टाटा संस’ की 0.82% हिस्सेदारी शामिल है।
रतन टाटा की संपत्ति के बँटवारे के लिए प्रोबेट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रोबेट का अर्थ है कि मृत व्यक्ति की वसीयत की वैधता को न्यायालय में प्रमाणित करना और उसके बाद वसीयत के अनुसार संपत्ति के लिए नामित व्यक्ति को उसका अधिकार देना।
रतन के अविवाहित भी जिम को जुहू बँगले का एक हिस्सा दिया गया है। इसके अलावा सौतेली बहन शिरीन और डिनना जेजीभॉय को एक अन्य वित्तीय संपत्ति के तहत लगभग 800 करोड़ रुपए की वैल्यू के बैंक की FD व पेंटिंग्स समेत अन्य चीजें मिली हैं।
सौतेले भाई नोएल टाटा को ‘टाटा ट्रस्ट’ का चेयरमैन बनाया गया है। इसके अलावा रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगी और दोस्त शांतनु नायडू को स्टार्टअप ‘गुडफेलोज’ में टाटा की हिस्सेदारी मिली है। रतन टाटा की सेक्रेटरी दिलनाज गिल्डर को ₹10 लाख रुपए मिलेंगे।
पालतू जानवर को भी मिली संपत्ति
रतन टाटा की संपत्ति में से उनके रसोइए सुब्बैया को ₹30 लाख मिलेंगे, वहीं रसोई के ही राजन शॉ और उनके परिवार के लिए ₹50 लाख की राशि नामित की गई है। राजन को ही पालतू कुत्ते टीटो की देखभाल का जिम्मा भी दिया है। इसके अलावा ₹12 लाख रुपए की राशि उनके सभी पालतू जानवरों की देखभाल के लिए दिए हैं। इसमें से हर तीन महीने ₹30 हजार रुपए का खर्च निर्धारित किया गया है।