Sunday, September 8, 2024
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अखलाक की मौत हर मीडिया के लिए बड़ी खबर… लेकिन मुहर्रम पर बवाल, फिर मस्जिद के भीतर तेजराम की हत्या पर चुप्पी: जानें कैसे हुई बरेली में मॉब लिंचिंग

तेजराम मुस्लिम पक्ष के लोगों को झगड़ा ना करने के लिए समझाने गया। झगड़ा शांत करने के बजाय मुस्लिम भीड़ तेजराम पर हमलावर हो गई। तेजराम को भीड़ में शामिल युवक गाँव की मस्जिद में उठा ले गए और लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीटा।

बरेली में एक गाँव गौसगंज में तेजराम नाम के एक युवक की मुस्लिम भीड़ ने मॉब लिंचिंग कर दी। इलाज के दौरान तेजराम की मौत हो गई। पूरा विवाद घर की महिलाओं के साथ अभद्रता से जुड़ा था, जिसका तेजराम ने विरोध किया था। तेजराम की लिंचिंग की खबर मीडिया से लगभग गायब है।

लिंचिंग के बाद आरोपितों के अवैध निर्माण पर चले बुलडोजर को जरूर दिखाया जा रहा है, जिससे उनके लिए सहानुभूति बने। तेजराम की मौत की खबर गूगल में सर्च करने पर नहीं मिल रही जबकि कुछ साल पहले अखलाक के मारे जाने पर आसमान सर पर उठाया गया था।

तेजराम: मुहर्रम के बाद हुई हिंसा का शिकार

बरेली का एक थाना है, शाही। इसका एक गाँव है गौसगंज। गौसगंज गाँव में 19 जुलाई, 2024 की बड़ा बवाल हुआ। इस बवाल की शुरुआत 16 जुलाई, 2024 से हो चुकी थी। 16 जुलाई को मुहर्रम जुलूस के दौरान गाँव में मुस्लिमों और हिन्दुओं के बीच विवाद हुआ था। बताया गया विवाद का कारण एक ऐसी जगह ताजिया रखा जाना था जो नई थी। यहाँ पहले कभी ताजिया नहीं रखा गया था। हालाँकि, इस विवाद के बाद शान्ति हो गई थी।

19 जुलाई, 2024 को विवाद की शुरुआत अब्दुल के गाँव के पूर्व प्रधान हीरालाल के पक्ष की एक महिला पर लेजर लाईट मारने से हुई। हीरालाल ने इसका विरोध किया और लाईट ना जलाने को कहा। इसके बाद अब्दुल ने आसपास से अपने साथियों को बुला लिया और इलाके में तोड़फोड़ और पथराव चालू कर दिया। लगभग 60-70 की संख्या में लोग हीरालाल और आसपास के लोगों को घरों में घुसने लगे और लोगों को मारने पीटने लगे। महिलाओं पर भी हमला किया गया।

इस हमले में कई लोग घायल हो गए। इसके बाद हीरालाल का बेटा तेजराम मुस्लिम पक्ष के लोगों को झगड़ा ना करने के लिए समझाने गया। झगड़ा शांत करने के बजाय मुस्लिम भीड़ तेजराम पर हमलावर हो गई। तेजराम को भीड़ में शामिल युवक गाँव की मस्जिद में उठा ले गए और लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीटा। तेजराम को मस्जिद में ले जाने की पुष्टि परिजनों और स्थानीय लोगों ने की है। यह खुलासा आप इस वीडियो में 5:00 से 10:00 के बीच सुन सकते हैं।

घटना में तेजराम गंभीर रूप से घायल हो गया। उसको ऐसे फेंक दिया गया। तेजराम को इसके बाद परिजन बरेली के एक अस्पताल में ले गए। यहाँ उसका इलाज करवाया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। तेजराम की 22 जुलाई, 2023 की रात मौत हो गई। इसके बाद उसके शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया। घटना में घायल हुए बाक़ी लोगों का इलाज चल रहा है। तेजराम की मौत के परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो गए।

आरोपितों पर बुलडोजर की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस गौसगंज गाँव में पहुँची। यहाँ उसने दोनों पक्षों के बीच मामला शांत करवाया। पुलिस ने इस संबंध में दो FIR दर्ज की हैं। पुलिस ने मामले में 70 से अधिक लोगों को आरोपित बनाया है। पुलिस ने 35 उपद्रवियों को गाँव में छापा मार कर पकड़ा है। 2 आरोपितों को पुलिस ने एनकाउंटर के बाद पकड़ा। कई लोगों को तलाश जारी है। पुलिस ने राजस्व विभाग से गाँव में आरोपितों के निर्माण की नापजोख भी करवाई, इसमें 10 से अधिक निर्माण अवैध मिले।

प्रशासन ने बख्तावर, इशारत, मुकीम, यासीन, युसूफ, इश्तियाक और अशफाक समेत कई अवैध निर्माण सोमवार को बुलडोजर की मदद से ढहा दिए। कार्रवाई के डर से हिंसा के कई आरोपित अभी फरार हैं। कई अपना घर छोड़ चुके हैं और बाहर के इलाकों में छुपे हुए हैं। अशरफ और आसिफ नाम के दो आरोपितों पर पुलिस ने ₹25,000 का इनाम भी रखा हुआ है।

सवाल: अखलाक की मौत पर हल्ला, तेजराम की मौत पर चुप्पी

तेजराम की मॉब लिंचिंग के कारण मौत हो गई। उसकी मौत की खबर को मीडिया में कोई ख़ास जगह नहीं मिली। मीडिया ने भी एक हिन्दू व्यक्ति के मरने को तरजीह नहीं दी। हालाँकि, तेजराम की मौत के बाद आरोपितों के अवैध निर्माण गिराए जाने को खूब मीडिया कवरेज मिली। कब्जा करने वालों के घरों की महिलाओं के रोते हुए विजुअल चलाए गए। भारत में यदि किसी की मॉब लिंचिंग हो जाए, तो मौत पर कितना विरोध हो और कितनी आवाज उठाई जाए, यह धर्म देखकर तय होता है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण तेजराम है। तेजराम को मात्र अपने पक्ष के लोगों की आवाज उठाने के लिए मार दिया गया है। एक और घटना याद कीजिए, एक तबरेज नाम का व्यक्ति था, जिसकी मौत हो गई थी। आरोप था कि उसकी हत्या की गई। झारखंड में 2019 में हुई इस मौत पर खूब बवाल हुआ था जबकि तबरेज पर चोरी का आरोप था। बाद में सामने आया था कि तबरेज की मौत का कारण हृदयाघात था। ऐसी ही 2015 की एक और घटना में उत्तर प्रदेश के ही चरखी दादरी में अखलाक नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

तब मीडिया ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अखलाक की मौत का मुद्दा उठा था। मीडिया ने महीने भर तक गाँव में डेरा डाल दिया। गाँव वालों ने त्रस्त हो कर मीडिया को भगाना चालू कर दिया था। अखलाक की मौत का कारण पिटाई बताया गया था जो कि गौमांस पकाने के आरोप में हुई थी। अखलाक के मामले में करोड़ों का मुआवजा दिया गया। मीडिया कवरेज इसके सालों बाद तक जारी है। भारत पर प्रोपेगेंडा चलाने वाले चैनलों ने इसके ऊपर पूरी सीरिज चलाई। लेकिन तेजराम की मौत पर सन्नाटा है।

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अर्पित त्रिपाठी
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