अगर कोई व्यक्ति अपनी पूरी मशीनरी के साथ किसी चीज के खिलाफप्रोपेगेंडा फैलाने में लगा हो और कुछ ही दिनों बाद फिर से उसके पक्ष में बातें करने लगे तो ज़रूर दाल में कुछ काला है। शेखर गुप्ता का ‘द प्रिंट’ कोरोना के स्वदेशी टीकों के खिलाफ अफवाहें फैलाने में सबसे अगली पंक्ति में था। अब यही गुप्ता सभी के टीकाकरण का स्वागत कर रहे हैं। साथ ही वो केंद्र सरकार द्वारा ‘भूल सुधारने’ की बातें भी कर रहे हैं।
दरअसल, ये सब कुछ भारत सरकार के एक फैसले के बाद शुरू हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (अप्रैल 19, 2021) को कई मैराथन बैठकें की, जिसके बाद शाम को खबर आई कि मई 1 से 18 वर्ष की उम्र के लोग कोरोना वैक्सीन ले सकेंगे। इसके बाद इसका क्रेडिट लेने की होड़ मच गई। कॉन्ग्रेस नेताओं ने कहा कि ‘दूरदर्शी’ राहुल गाँधी के कहने पर ऐसा हुआ। TMC नेता कहने लगे कि देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री की सलाह केंद्र ने सुनी।
ऐसे में मीडिया के गिरोह विशेष का प्रतिनिधित्व करने वाले शेखर गुप्ता कैसे पीछे रहते। उन्होंने एक कहावत शेयर की, “सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो वो भूला नहीं कहलाता।” उन्होंने दावा किया कि पहले ही काफी समय जाया हो चुका है, कई लोग मर चुके हैं और कामकाज के कितने ही दिन बर्बाद हो गए हैं। साथ ही उन्होंने भारत सरकार के आदेश वाली प्रेस रिलीज शेयर की।
असल में भारत सरकार ने पहले ही टीकाकरण को कई चरणों में कराने का फैसला लिया था और इसके तहत सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों और कोरोना वॉरियर्स को प्राथमिकता दी गई। ये वो समय था, जब भाजपा विरोधी पूरा तंत्र वैक्सीन को लेकर इतनी अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त था कि कई लोग डर से भी इसे नहीं ले रहे थे। स्वाथ्यकर्मियों के बाद बुजुर्गों और फिर 45 वर्ष की उम्र के ऊपर के लोगो को वैक्सीन दी गई।
Subeh ka bhoola shaam ko ghar aa jaaye toh bhoola nahin kehlata….
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 19, 2021
Too much time is lost meanwhile, too many lives or work days wasted, totally unnecessarily… pic.twitter.com/cKZDfunYih
ध्यान देने वाली बात ये है कि अब तक इन सभी को स्वदेशी वैक्सीन ही दी गई है। अब अंतिम चरण में तो 18 वर्ष के ऊपर के ही व्यस्क बच जाते हैं न? तो फिर वैक्सीन उन्हें मिलनी ही थी। इसमें ‘भूल’ कहाँ हुई? क्या कोरोना वॉरियर्स को पहले वैक्सीन देना भूल थी? क्या वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता देना भूल थी? ऐसा तो है नहीं कि गुप्ता जी जैसों को लगता हो कि वैक्सीन की खेप PMO में रखी हुई थी और उसे बस रिलीज करना था।
इसके लिए सरकार को वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को पैसे देने होते हैं। अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड बनाने वाली कंपनियों को 4500 करोड़ से भी अधिक रुपए 100% एडवांस पेमेंट के रूप में जारी किए हैं, तब जाकर टीकाकरण के लिए 18 वर्ष के सभी योग्य लोगों के लिए सुलभ हो सकेगा। सरकार टीकाकरण का पूरा खर्च उठा रही है। अब तक जनता से एक पाई भी नहीं लिया गया है।
भारत इस मामले में डायनेमिक मैपिंग मॉडल पर कार्य कर रहा है, जिसके तहत जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें पहले वैक्सीन दी गई। इसका पहला फेज जनवरी 16, 2021 को ही शुरू कर दिया गया था। पीएम मोदी ने कल की बैठक में भी कहा कि सरकार देश में सभी पात्र लोगों के टीकाकरण के लिए एक वृहद योजना लेकर चल रही है।
Go and scan archives of every news channel & print media and platforms for the most sinister campaign against Covaxin – same folks can later be seen lobbying for free import of vaccines- for ex check how many stories @ThePrintIndia ran against Covaxin! https://t.co/XNedt6KeW8 pic.twitter.com/2L7fzO9qIr
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) April 18, 2021
क्या आपको पता है कि जब वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने की बारी थी, तब शेखर गुप्ता का ‘द प्रिंट’ क्या कर रहा था? फरवरी 3, 2021 को आई एक खबर में बताया गया था कि कैसे भारत बायोटेक और सीरम (SII) विवादों में घिरा हुआ है। उससे पहले जनवरी में दोनों वैक्सीन को वैज्ञानिक रूप से संदेहास्पद बताया गया। मार्च 13 की खबर में बताया गया कि सरकार को कोवैक्सीन पर विश्वास नहीं है और इसकी वजह हैं 43 कोरोना केसेज।
इतना ही नहीं, शेखर गुप्ता के पोर्टल की और भी कारस्तानियाँ सुनिए। जनवरी 2021 की ही एक अन्य खबर में दावा किया कि भारत बायोटेक ने एक ही दिन में एक्सपर्ट पैनल के दिमाग को बदल दिया। जनवरी 22 को कहा गया कि कोवैक्सीन WHO के मानकों पर खड़ा नहीं उतरता है। जनवरी की शुरुआत में कहा गया कि वैक्सीन का फेज 3 ट्रायल अपूर्ण है। जनवरी 16 को कहा गया कि कोवैक्सीन को लेकर लोगों में सकुचाहट है।
जनवरी 8 को एक खबर में दावा कर दिया गया कि भारतीय नियामकों में इतने छेद हैं कि दोनों वैक्सीन को मँजूरी मिल गई। DCGI ने जब वैक्सीन को अप्रूव किया तो इसे राजनीतिक जुमला बताया गया। कॉन्ग्रेस ने भी वैक्सीन को लेकर गड़बड़ दावे किए थे, जिन्हें शेखर गुप्ता ने आगे बढ़ाया। अब आप बताइए, वैक्सीन को लेकर लोगों को डराने वाले आज क्यों पूछ रहे हैं कि सभी को वैक्सीन क्यों नहीं दिया?
वैक्सीन पर अफवाह फैलाने वाली कॉन्ग्रेस भी ऐसी ही बातें करती रही है। इसलिए, इनके लिए ‘सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को’ वाली कहावत फिट बैठती है। सरकार ने 1 मई से टीकाकरण को लेकर जिस तरह पूरे प्लान के साथ आदेश जारी किया है, स्पष्ट है कि वो अचानक से नहीं हुआ। शेखर गुप्ता को अपने पुराने ट्वीट्स और खबरें देखनी चाहिए, जिसमें उन्होंने इन्हीं स्वदेशी टीकाओं को लेकर डर का माहौल बनाया था।