Sunday, April 28, 2024
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गाँधी परिवार से कौन सी खुन्नस निकाल रहीं ममता बनर्जी? चाय-बिस्कुट पर सिमटी INDI बैठक में नीतीश ही नहीं, राहुल-प्रियंका को भी ठिकाने लगाने की कोशिश

इंडी गठबंधन: अब 'गली' वॉर पूरे राज्य में फैल चुका है। दूसरे की माँद में घुसा वो साथी कह रहा है कि इस माँद में अब मत आ जाना, आना भी तो एक कोने में... जगह भी हमारी होगी, कोना भी हमारा होगा, वहाँ जमीन कितनी देंगे, इसका फैसला भी हमारा होगा।

बीजेपी और नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों का बना I.N.D.I गठबंधन अब असली रंग दिखा रहा है। साजिशें अब परतों से बाहर झाँकने लगी हैं। दाँव-पेंच चले जा रहे हैं। एक गुट दूसरे गुट को नीचा दिखा रहा है। किसी तीसरे के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाई जा रही है।

नीतीश कुमार की तड़प सामने आ चुकी है तो एमपी में कॉन्ग्रेस-सपा की झड़प किसी से नहीं छिपी। एक तरफ दिल्ली से लेकर पंजाब तक आम आदमी पार्टी कॉन्ग्रेस को चुनौती दे रही है, तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अड़ी हुई हैं। बिहार में आरजेडी चुप है, क्योंकि नीतीश कुमार फ्रंट पर हैं, लेकिन सीट बँटवारे की बात आएगी तो अदावत यहाँ भी होगी।

झारखंड में जेएमएम को भी सम्मान देना होगा तो तमिलनाडु में डीएमके-एआईएडीएमके के साथ भी संबंधों में पेंच फँसेगा। एआईएडीएमके एनडीए से निकल चुकी है। उसे भी साथी की तलाश है। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) को भाव दिया जाए या एनसीपी (शरद पवार गुट) को, इसको लेकर भी मामला फँसने वाला है। सीटों की शेयरिंग को लेकर भी मामला फँस सकता है।

I.N.D.I गठबंधन का सबसे बड़ा दल जो खुद कई राज्यों में छोटे दलों से कमजोर है, वो अपनी गुफा में गुर्राता है तो पलटकर छोटा दल भी दहाड़ता है कि यहाँ से निकलकर मेरी ‘गली’ में आओ, फिर बताते हैं। अब ‘गली’ वॉर पूरे राज्य में फैल चुका है। दूसरे की माँद में घुसा वो साथी कह रहा है कि इस माँद में अब मत आ जाना। आना भी तो एक कोने में…। जगह भी हमारी होगी, कोना भी हमारा होगा। वहाँ जमीन कितनी देंगे, इसका फैसला भी हमारा होगा।

खैर, हम जिक्र कर रहे हैं I.N.D.I गठबंधन के सबसे बड़े दल कॉग्रेस की और दूसरे सबसे बड़े दल (सीटों पर चुनाव लड़ने की संख्या के मामले में) समाजवादी पार्टी की। वो दिन ज्यादा दूर के नहीं है, जब एमपी के अपने गढ़ में कॉन्ग्रेस के कमलनाथ ने मीडिया से बातचीत में बड़े उखड़े मूड़ में कह दिया था कि ‘छोड़िए अखिलेश-वखिलेश को’। इसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव यूपी में कॉन्ग्रेस में खास भाव देने के मूड में नहीं हैं।

I.N.D.I गठबंधन में होने के बावजूद अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में हुई अपनी बेईज्जती का बदला लेने के लिए एकतरफा फैसला कर लिया है। उन्होंने साफ कह दिया है कि वो 60 सीटों पर तो सीधे चुनाव लड़ेंगे, इसके बाद ही किसी सीट के बँटवारे पर बातचीत होगी। ऐसे में बाकी की 20 सीटों पर कॉन्ग्रेस और RLD किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, ये मामला उलझ सकता है।

समाजवादी पार्टी ऐसी सीटों को सहयोगियों के लिए छोड़ना चाहती है, जिन पर वो कभी चुनाव नहीं जीत सकी है। ऐसी पार्टियाँ भाजपा या बसपा की गढ़ भी हो सकती हैं। वहीं, कॉन्ग्रेस की ओर से बसपा को इंडी गठबंधन में शामिल करने की माँग पर भी अखिलेश यादव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “जो हमारी बात होनी थी, हो गई है। हम 2-3 सप्ताह में सीटों के बँटवारे को फाइनल कर लेंगे।”

वहीं, शिवसेना (यूटीबी) के नेता उद्धव ठाकरे ने इंडी गठबंधन से पहले ही नीतीश कुमार को झटका दे दिया था। उन्होंने कहा था कि कोई जरूरी नहीं है कि संयोजक को ही प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया जाए। वहीं, नीतीश कुमार ने खुद को भाव न मिलता देख गठबंधन की बैठक में ही हंगामा मचा दिया। हंगामा भी हिंदी वर्सेज अन्य भाषा को ही लेकर।

बिहार की दूसरी पार्टी आरजेडी ने अभी तक अपना मुँह भी नहीं खोला है। शायद वो नीतीश कुमार को अंजाम तक पहुँचते हुए देखना चाहती हो। चूँकि, बिहार में सरकार बने रहने के लिए नीतीश कुमार की हाँ में हाँ मिलाना राष्ट्रीय जनता दल की मजबूरी है, साथ ही अपनी हैसियत भी बनाए रखना जरूरी है। इसलिए आरजेडी अभी वेट एंड वॉच की मुद्रा में है।

राहुल, खगड़े या प्रियंका नेता?

वैसे, इंडी गठबंधन के गठन के बाद से ही इसमें खींचतान शुरू हो गई थी। गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच एक-दूसरे को कमजोर करने की कोशिशें चल रही हैं। सबसे अधिक निशाने पर नीतीश कुमार और गाँधी परिवार हैं। आम आदमी पार्टी और टीएमसी की महत्वाकांक्षा राष्ट्रीय पार्टी बनने की है। इसके लिए उन्हें गाँधी परिवार को कमजोर करना होगा।

इसलिए इंडी गठबंधन की चौथी बैठक में राहुल गाँधी की जगह मल्लिकार्जुन खडगे का नाम प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने का प्रस्ताव दे दिया गया। बात यहीं तक नहीं रुकी। इससे आगे बढ़ते हुए टीएमसी ने प्रियंका गाँधी को वाराणसी से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव भी दे दिया। यह भी एक ऐसा कदम है, जिसका उद्देश्य गाँधी परिवार को कमजोर करना है।

टीएमसी चाहती है कि गाँधी परिवार अपना जोर मोदी को रोकने में और यूपी में कॉन्ग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाने में लगाए। ऐसे में पश्चिम बंगाल में वो कॉन्ग्रेस के साथ मोलभाव करने की स्थिति में रहेगी। चूँकि एक अन्य महत्वपूर्ण नेता नीतीश कुमार को लगभग अलग-थलग ही कर दिया गया है। ऐसे में बाकी के क्षेत्रीय क्षत्रप अपने सामने आने वाली चुनौतियों को धीरे-धीरे मिटाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री पद के कितने दावेदार?

इंडी गठबंधन की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गाँधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल जैसे नेता प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में जो पार्टी जितनी अधिक सीट हासिल करेगी, उसकी पार्टी के नेता का इस रेस में आगे निकलना उतना ही आसान रहेगा।

चूँकि कॉग्रेस पूरे देश में चुनाव लड़ती है, लेकिन अखिलेश यादव का 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान और साथ में आरएलडी का उसे मिलने वाला साथ… उसे इस रेस में दूसरे नंबर पर खड़ा करती है। हालाँकि, सवाल ये है कि क्या प्रियंका गाँधी के वाराणसी सीट से उतरने पर भी कॉन्ग्रेस सपा की 60 सीटों वाली बात मान लेगी?

गठबंधन में जल्द से जल्द सीट बँटवारे का ऐलान करने का दबाव लगभग सभी पार्टियाँ कॉन्ग्रेस पर डाल ही रही हैं। टीएमसी, सपा, AAP की कोशिश है कि इस माह के आखिर में या अगले माह की शुरुआत में शीट शेयरिंग पर बात हो ही जाए, लेकिन सीटें कम मिलने की सूरत में भी क्या ये गठबंधन खड़ा रह पाएगा? ये बड़ा सवाल है।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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