Sunday, November 17, 2024
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इस साल दलितों पर अत्याचार के 6000 मामले, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में शीर्ष पर: राजस्थान के पीड़ितों को गले क्यों नहीं लगाते राहुल-प्रियंका?

सवाल ये है कि जिस पार्टी के किसी राज्य के शीर्ष दो नेता दूसरे राज्य के एक मुद्दे को हवा देने में लगे हैं, उनके खुद के राज्य में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और रेप व दलितों पर अत्याचार के मामले में वो अव्वल है।

पूरी की पूरी कॉन्ग्रेस पार्टी अभी सिर्फ और सिर्फ ‘लखीमपुर खीरी’ की माला जप रही है। मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को कोई पूछने वाला नहीं है। लेकिन, अब ‘किसान आंदोलन’ के सहारे पार्टी न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पंजाब की चुनावी वैतरणी पार करने का ख्वाब भी देख रही है। छत्तीसगढ़ के कवर्धा में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है। पंजाब में ईसाई धर्मांतरण बढ़ रहा है। लेकिन, कॉन्ग्रेस को चिंता सिर्फ यूपी की है।

इसका कारण ये है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का शासन है। भगवा पहनने वाले एक महंत वहाँ के मुख्यमंत्री हैं, जो खुद के हिन्दू होने पर गर्व महसूस करते हैं। कारण ये है कि योगी आदित्यनाथ को ज्यादा से ज्यादा बदनाम कर के वोट बटोरे जाएँ। अब तो प्रियंका गाँधी ‘हिन्दू’ भी बन चुकी हैं। चंदन लगा रही हैं और मंदिर-मंदिर घूम रही हैं। अंबानी-अडानी के बाद अब टाटा को पीएम मोदी का दोस्त बताया जा रहा है।

लखीमपुर खीरी हिंसा: राजस्थान के नेताओं की ‘अति-सक्रियता’

जैसा कि हमें पता है, जहाँ-जहाँ कॉन्ग्रेस की सत्ता है, वहाँ-वहाँ वो आंतरिक कलह से जूझ रही है। राजस्थान के हालात तो सभी को पता हैं, जहाँ पिछले साल सचिन पायलट ने ‘लगभग’ पार्टी छोड़ दी थी। उनके बगावत के बाद कॉन्ग्रेस के होश उड़ गए थे। किसी तरह मामला सलटाया गया। लेकिन, नेताओं में अब भी होड़ मची है कि कौन राहुल-प्रियंका द्वारा उठाए गए मुद्दों को सबसे ज्यादा तूल देता है।

फिर क्या था, अशोक गहलोत भी सक्रिय हो गए। ‘जादूगर’ कहे जाने वाले गहलोत यूँ तो कई दिनों से बीमार थे और भगवान भरोसे चल रही राज्य सरकार में REET की प्ररीक्षा भी हो गई और प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप भी लग गए, लेकिन वो कहीं नहीं दिखे। जैसे ही लखीमपुर खीरी का मामला सामने आया, वो जिन्न की तरह प्रकट हो गए। उन्होंने कह दिया कि इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है।

अशोक गहलोत ने इस घटना पर कहा, “केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ को सबने सुना। जब वो कह रहे हैं कि आप सबको मालूम नहीं है कि सांसद बनने से पहले मैं क्या था? उन्होंने धमकाया कि मैं जिस दिन चाहूँगा, ऐसी स्थिति पैदा कर दूँगा कि आप लोग यहाँ से भाग जाओगे। जो अगर इस प्रकार की धमकी दे रहा है अपनी पब्लिक को, अपने मतदाताओं को, उसके बाद में जो कुछ भी हुआ वो देश के सामने है। यूपी में विपक्षी नेताओं को रोकने की परंपरा बन गई है।

सचिन पायलट की तो पूछिए ही मत। वो तो अपने पूरे लाव-लशकर, यानी बड़ी-बड़ी कई गाड़ियों के काफिलों के साथ लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े। साथ में उन्होंने आचार्य प्रमोद कृष्णन को लिया हुआ था। हालाँकि, मुरादाबाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया। तब उन्होंने ‘लोकतंत्र व संवैधानिक मूल्यों को कुचलने’ और ‘देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को आहत करने’ का रोना रोया था। उनके काफिले में आधा दर्जन गाड़ियाँ थीं।

सवाल ये है कि जिस पार्टी के किसी राज्य के शीर्ष दो नेता दूसरे राज्य के एक मुद्दे को हवा देने में लगे हैं, उनके खुद के राज्य में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और रेप के मामले में वो अव्वल है। आखिर क्या कारण है कि इन्हें अपने राज्य के लोगों की चीखें नहीं सुनाई देती। क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, ऐसे में यहाँ के नेताओं को तो गृह राज्य के मुद्दों से फुरसत ही नहीं होनी चाहिए।

लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद राजस्थान में हुई 5 घटनाएँ

राजस्थान में आपराधिक घटनाएँ आम बात हैं और NCRB की सूची में भी ये शीर्ष पर रहता है, खासकर महिलाओं के साथ अपराध के मामले में। राज्य में आए दिन बलात्कार की घटनाएँ सामने आते रहती हैं। अपराधियों की तो छोड़िए, यहाँ के पुलिसकर्मियों पर बलात्कार के आरोप आम बात हो गए हैं। ऐसे तो वहाँ अपराध की हाल में कई घटनाएँ हुई हैं, लेकिन हम यहाँ मुख्य रूप से 5 घटनाओं के बारे में बता रहे।

पहला मामला: राजस्थान के हनुमानगढ़ में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। भाजपा और बसपा सुप्रीमो मायावती तक ने पूछा कि क्या भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी वहाँ जाकर पीड़ित परिवार को मुआवजा देंगे? इसका वीडियो भी वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुआ। 11 लोगों पर FIR हुई। राजस्थान सरकार का कोई व्यक्ति वहाँ नहीं गया। पीलीबंगा थाने के बाहर लोगों ने न्याय के लिए धरना दिया।

दूसरा मामला: बुधवार (6 अक्टूबर, 2021) को डूंगरपुर और बाँसवाड़ा, एक ही दिन में दो जिलों में लूट की घटनाएँ हुईं। तीन बाइक सवार बदमाशों ने दोनों जिले के दो ज्वेलरी शॉप में बंदूक की नोक पर लूट की वारदात को अंजाम दिया । लाखों रुपए की चाँदी लूट कर ले गए। पिस्तौल की नोंक पर इन घटनाओं को अंजाम दिया गया। दुकानदार से मारपीट हुई। व्यवसायी डर के साए में जी रहे हैं, कॉन्ग्रेस सरकार सोइ हुई है।

तीसरा मामला: कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान के भरतपुर जिले में दो अलग-अलग घटनाओं में गौ तस्करों ने गुरुवार और शुक्रवार को पुलिस टीमों पर गोलियाँ चलाईं और पथराव किया। इन घटनाओं में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। मवेशियों के अवैध परिवहन के साथ-साथ सीकरी से नगर क्षेत्र में अंतर-राज्यीय अपराधियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। दूसरी घटना में गौ तस्करों ने 25 राउंड फायरिंग की

चौथा मामला: झालावाड़ जिले में आदिवासी समुदाय की एक किशोरी से उसके पड़ोसी ने एक साल तक कथित तौर पर बार-बार दुष्कर्म किया और बाद में उसे गर्भपात के लिए गोलियाँ दीं। इससे भ्रूण की भी मौत हो गई। लड़की ने पेट में दर्द की शिकायत की और उसे एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने पाया कि वह 6 महीने की गर्भवती है। आरोपित का नाम दाऊद है। राहुल गाँधी तो क्या, कॉन्ग्रेस का एक कार्यकर्ता तक नहीं जाएगा पीड़िता के यहाँ।

पाँचवाँ मामला: गाँव या शहर तो छोड़िए, राजस्थान की राजधानी तक सुरक्षित नहीं है। जयपुर के सांगानेर सदर इलाके में रविवार रात को एक युवक की सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मीणा समुदाय से आने वाले उस युवक का नाम रिंकू था। गुर्जर-मीणा एकता की वकालत करने वाले पायलट वहाँ नहीं जाएँगे, स्पष्ट है। रिंकू टैक्सी चलाया करता था। गोली सिर में मारी गई थी। लेकिन, मामला भाजपा शासित राज्य का नहीं है, इसीलिए मुख्यधारा की मीडिया में तूल नहीं पकड़ पाया।

इस तरह की कई घटनाएँ सामने आई हैं, लेकिन हमने इनमें से 5 आपको बताया है ताकि आप एक अंदाज़ा लगा सकें। लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद बलात्कार, हत्या, लूटपाट। गौ-तस्करी और पुलिस पर गोलीबारी जैसे मामले सामने आए लेकिन पीड़ितों से मिलने कॉन्ग्रेस का कोई नेता नहीं गया। मुआवजे का ऐलान नहीं हुआ। दलित की हत्या हुई। मीणा समुदाय के युवक की हत्या हुई। लेकिन, कॉन्ग्रेस शासन होने के कारण देश को कुछ पता नहीं चला।

अब बात कुछ आँकड़ों की

दलितों से अत्याचार के मामले में राजस्थान पूरे देश में दूसरे नंबर पर आता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों की मानें तो केवल इसी साल अब तक दलितों के साथ अपराध के वहाँ 6000 से अधिक मामले आ चुके हैं। अभी तो ढाई महीने से भी अधिक हैं इस वर्ष को जाने को। इतना ही नहीं, इनमें से मात्र आधे में ही आरोपितों को सज़ा मिल सकी है। साल 2019 में 6,794 मामले दलितों पर अत्याचार के दर्ज हुए थे।

साल 2020 में ये आँकड़ा बढ़ कर 7017 हो गया। वहीं इस साल मात्र 24 दिनों के भीतर 3 दलितों की पीट-पीट कर हत्या का मामला सामने आ गया। भाजपा का तो कहना है कि अशोक गहलोत की सरकार ने अपराध के मामले में पिछले समस्त रिकार्ड्स तोड़ डाले हैं। 26 सितंबर को अलवर में एक दलित युवक की खेत में ले जाकर हत्या कर दी गई थी। मुस्लिम भीड़ ने 15 सितंबर को अलवर में ही योदेश की हत्या कर दी थी।

दलित ही नहीं, बेटियाँ भी राजस्थान में सुरक्षित नहीं हैं। 2020 में देश में सबसे ज्यादा रेप केस राजस्थान में दर्ज किए गए हैं। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश जरूर है, लेकिन यहाँ रेप के मामले राजस्थान के आँकड़ों से आधे से भी कम हैं। जबकि यूपी जनसंख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान ने तीन गुना अधिक लोग यहाँ रहते हैं। राजस्थान में एक साल में 5,310 रेप केस दर्ज किए गए

आँकड़ों को देख कर ये सवाल तो उठता है कि अपने शासन वाले राज्य में दलितों और महिलाओं को सुरक्षित न रख सकने वाली कॉन्ग्रेस दूसरे राज्यों में दो गुटों के बीच हुए संघर्ष को भी मुद्दा बना कर राजनीति करने पहुँच जाती है, जबकि मरने वालों में भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल हैं। मृतकों तक के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट से राहुल-प्रियंका सवाल क्यों नहीं पूछते?

संगठन के कलह में डूबी है कॉन्ग्रेस, ख़ाक चलाएगी सरकार

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना कर भेजा गया। कैप्टेन अमरिंदर सिंह से उनके विवाद हुए। सीएम अमरिंदर से इस्तीफा लेकर चरणीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया और दलित राजनीति की गई। एकाध दिन सब ठीक रहा, फिर सिद्धू ने इस्तीफा सौंप दिया। लेकिन, सिद्धू लखीमपुर खीरी में धरना देने ज़रूर गए। उनका इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं, कुछ साफ़ नहीं है। बस वो घूम रहे हैं इस्तीफा देकर।

सीएम चन्नी के बेटे की शादी हुई, लेकिन सिद्धू वहाँ से नदारद रहे और वैष्णो देवी घूमने चले गए। पंजाब का कलह शांत नहीं हुआ है। तल्खी अभी भी चरम पर है। उधर छत्तीसगढ़ को ही ले लीजिए, जो अपेक्षाकृत छोटा राज्य है। कवर्धा में मुस्लिम भीड़ ने भगवा ध्वज उखाड़ के फेंक दिया, इसे अपमानित किया, लेकिन पुलिस ने हिन्दुओं को पीटा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मजे में यूपी में रैली कर रहे।

यहाँ भी आंतरिक कलह है। ज्यादा से ज्यादा चुनाव प्रचार कर रहे और राहुल-प्रियंका के साथ दिख रहे भूपेश बघेल को भी कुर्सी जाने का डर है, तभी उन्होंने अपने समर्थक विधायकों से दिल्ली में कई दिनों तक कैंप करवाया। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, जो सुरगुजा के ‘महाराजा’ भी हैं, सीएम पद की रेस में है। ढाई साल वाले फॉर्मूले को लेकर भाजपा हमलावर है। यहाँ भी कॉन्ग्रेस में कई फाड़ हो चुके हैं।

राजस्थान की तो पूछिए ही मत। कई महीने से ‘कैबिनेट विस्तार’ का रट्टा मारा जा रहा है, लेकिन ये होगा कब, किसी को नहीं पता। सचिन पायलट के गुट ने एक बार फिर दिल्ली में डेरा डाला था, लेकिन गहलोत की कुर्सी बच गई। बस बच गई, हिल अब भी रही है। उनके करीबी मंत्री रघु शर्मा को गुजरात की जिम्मेदारी दी गई है। राजस्थान में संगठन में कई पद खली पड़े हैं। अंतर्विरोध के कारण उन्हें भरा नहीं जा रहा।

ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि भाजपा शासित राज्यों के सेलेक्टिव मुद्दों उठा कर राजनीति करने वाली कॉन्ग्रेस, जो हर राज्य में आंतरिक कलह से जूझ रही है, जिसके खुद के शासन में अपराध चरम पर है – वो इस देश का भला कर सकती है? अब तो TMC भी राहुल गाँधी की जगह ममता बनर्जी को विपक्ष का चेहरा बताने लगी है। शिवसेना शरद पवार के गुण जाती है। कॉन्ग्रेस ये सब कर के अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही है। अगर उसे मोदी-शाह का मुकाबला करना है, तो अपने शासन वाले राज्यों में अपराध को काबू में करे।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
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