नागपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के बाद कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जेल की धमकी दे डाली।
रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि चौकीदार अनिल अंबानी जैसे घरों के बाहर तैनात होते हैं न कि किसानों के घर के बाहर। राहुल ने ‘चौकीदार चोर है’ का बिगुल फूँकते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस की सत्ता आने पर देश में एक अलग चौकीदार होगा, जो जाँच करने की शुरूआत करेगा और ‘चौकीदार’ जेल जाएगा।
Congress President Rahul Gandhi has threatened to jail Prime Minister Narendra Modi after elections. He said, ‘after elections, there will be an inquiry, the chowkidaar will go to jail’ while addressing a rally in Nagpur, Maharashtra. | #May23WithTimesNow
— TIMES NOW (@TimesNow) April 5, 2019
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राहुल के ऐसे बोल यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि फ़िलहाल उन घोटालों का क्या, जिसमें गाँधी-वाड्रा परिवार के दलाली के रिश्ते उजागर हो चुके हैं। इन तमाम घोटालों पर राहुल क्या कहना चाहेंगे जिन पर गाँधी परिवार का एकछत्र राज रहा है, क्या वो उस जेल के बारे में भी बताएँगे कुछ जहाँ उन्हें भेज दिया जाना चाहिए?
बताना चाहूँगी कि राहुल गाँधी, भारत और फ्रांस सरकार के बीच हुए राफ़ेल सौदे को लेकर इतना मगन थे कि उसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को तरह-तरह की धमकी तक दे रहे थे और देश की जनता को भी भ्रमित करने का दुष्प्रचार कर रहे थे, उसका क्या हुआ, आख़िर कैसे लगी उनके दुष्प्रचार पर लगाम। राहुल को इस चुप्पी का कारण बताना चाहिए था कि जिसे वो वेवजह का मुद्दा बनाकर बरगलाने का काम करते रहे असल में वो राफ़ेल डील यूपीए के मुक़ाबले 2.86% सस्ती थी और इसका ख़ुलासा कैग की रिपोर्ट से हुआ था।
एक के बाद एक हुए ख़ुलासे के बाद गाँधी-वाड्रा परिवार की मिलीभगत उजागर हुई जिसमें ज़मीनी सौदे और रक्षा सौदे शामिल थे, उन पर राहुल कोई सफ़ाई क्यों नहीं देते?
हथियारों के सौदागर संजय भंडारी के साथ अपने ख़ुद के प्रगाढ़ रिश्ते के बारे में क्या वो कभी अपनी चुप्पी तोड़ेंगे? अफ़वाह तो यह भी है कि राहुल गाँधी भारत में राफ़ेल डील के ख़िलाफ़ थे और यूरोफाइटर की पैरवी कर रहे थे। इस बात का ख़ुलासा एबीपी के पत्रकार ने किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी जर्मनी में यूरोफाइटर के प्रतिनिधियों से मिले थे।
राहुल गाँधी जिस ‘चौकीदार’ को जेल का रास्ता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं असल में वो अपनी बौखलाहट को पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि उनके और उनके परिवार की अंधी कमाई पर लगाम जो लग गई है। इसके अलावा राहुल गाँधी बोफ़ोर्स तोप घोटाले के बारे में क्या कहेंगे जिसके तार सोनिया गाँधी और उनके बहनोई तक से जा जुड़े? अब यह बात अलग है कि बात चाहे राहुल की माँ सोनिया गाँधी के बहनोई की हो या उनके ख़ुद के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा की हो, घोटालों के बेताज़ बादशाह तो दोनों ही हैं, यहाँ तो वो कहावत एकदम सटीक बैठती है, ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’।
ज़रा गहराई से सोचिए कि भारत में अब तक जितने बड़े घोटाले हुए हैं उसके पीछे कौन है? इसकी तह तक जाने पर पता चलता है कि कॉन्ग्रेस ने ही हर बड़े घोटाले की नींव डाली है। चाहे वो वर्षों पुराना हो या ताज़ा मामला हो जिसमें पता चला है कि यूपीए का कार्यकाल (2004-14) में राहुल की इनकम में 1600% की वृद्धि हुई और मोदी काल में मात्र 70% की वृद्धि हुई। इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गाँधी परिवार के राजकुमार कितने मेहनती हैं और ख़ून-पसीने की कमाई का हिसाब भी ठीक से नहीं लगा पाते क्योंकि एक सांसद के तौर पर इतना पैसा इकट्ठा करना असंभव है। घोटाले का पैसा जमा करना, फिर उसे संभालना, फिर छिपाए रखना और कड़ी मशक्कत के बावजूद भी अगर घोटालों में ‘परिवारवाद की छवि‘ उजागर हो भी जाए तो अनंत काल तक मौन धारण किए रखना, जानते हो कितने साहसिक और जोखिम भरा काम है? और इस साहसिक काम में गाँधी-वाड्रा परिवार को पुश्तैनी महारत हासिल है।
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि चोरों के बीच में रहकर राहुल की फ़ितरत ही अनरगल भाषणबाजी की हो गई है। इसलिए हर जगह उन्हें चोर ही चोर नज़र आते हैं और उसमें भी मोदी का चेहरा सबसे पहले नज़र आता है। अब इसे राहुल का दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि जिन बेबुनियादी झूठे दावों के बलबूते वो आगामी लोकसभा चुनाव में फ़तह हासिल करना चाहते हैं वो इतने खोखले हो चुके हैं कि जर्जर होकर ढह जाने को तत्पर हैं। अभी देखना बाक़ी है कि अगली सरकार कितनी मुस्तैदी के साथ किसको किस जेल में भेजती है!