Saturday, July 27, 2024
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सचिन के नाम पर चुप्पी, मुबारक पर हंगामा: राँची में चोरी के आरोप में 2-2 मॉब लिंचिंग, हेमंत सरकार से सवाल क्यों नहीं?

मुबारक खान के मामले में सोशल मीडिया में कई लोग बोल रहे कि अब देश में मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग आम हो गई है। लेकिन, सचिन वर्मा के नाम पर आपको ये सब नहीं मिलेगा।

झारखंड की राजधानी राँची में बाइक चोरी के आरोप में मॉब लिंचिंग की वारदात सामने आई है। बीते एक सप्ताह में वहाँ ये उस तरह की दूसरी घटना है। ताजा मामला अनगड़ा स्थित सिरका गाँव का है। महेशपुर निवासी मुबारक खान नाम के 26 वर्षीय युवक पर चोरी का आरोप लगा और स्थानीय लोगों ने पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी। ये घटना शनिवार (मार्च 13, 2021) देर रात की है। इसके बाद थाने पर परिजनों व लोगों की भीड़ जुट गई।

पुलिस ने दोषियों की गिरफ़्तारी का आश्वासन देकर किसी तरह आक्रोशित लोगों को शांत कराया। मृतक के भाई तबारक खान ने इस मामले में FIR दर्ज कराई है। ये भी बताया गया है कि मुख्य आरोपित ने कुछ दिनों पहले मृतक को जान से मार डालने की धमकी भी दी थी। FIR के अनुसार प्लानिंग करके सिरका गाँव के एक बिजली के खंभे में बांधकर मॉब लिंचिंग की घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है।

सभी आरोपित इस घटना के बाद फरार हो गए थे। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मुबारक खान एक स्थानीय व्यक्ति के घर में घुस गया था और बाइक का चक्का खोल कर चोरी की फिराक में था। लेकिन, पड़ोसियों के जग जाने के कारण वो भागने लगा और सड़क किनारे गिर गया, जहाँ लोगों ने उसकी पिटाई की। मृतक के शव के पास बाइक की रिम, बैटरी और जैक मिला था।

राँची में 8 मार्च को भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जहाँ काफी चहल-पहल वाले क्षेत्र अपर बाजार में सचिन वर्मा नामक एक मजदूर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। नवाटोली भुताहा तालाब के पास के निवासी 22 वर्षीय युवक के शरीर को लोहे के गर्म रोड से भी दागा गया था। एक ट्रक की चोरी के आरोप में उसे बाँध कर पीटा गया था। पुलिस ने जाँच में पाया कि उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।

राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने इन हत्याओं पर हेमंत सोरेन की सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, वहीं मीडिया में भी इन ख़बरों में दोनों पक्षों की तरफ से चीजें पेश की गईं। अधिकतर हेडलाइंस में बताया गया कि चोरी के आरोप में ये घटनाएँ हुई हैं।

एक सप्ताह में मरने वाले में दोनों अलग-अलग मजहब के भी हैं, ऐसे में किसी भी मामले को सांप्रदायिक एंगल भी नहीं दिया गया। लेकिन हाँ, दोनों मामलों में चोरी का आरोप और भीड़ द्वारा हत्या कॉमन है।

झारखंड में जब रघुबर दास के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग का मुद्दा जम कर उठाया गया था। देश भर में प्रदर्शन हुए थे और मीडिया में इसे सांप्रदायिक एंगल दे दिया गया था। जबकि उस पर भी चोरी के आरोप थे। झारखंड में इस तरह की घटनाएँ आए दिन होती हैं, लेकिन जब से सरकार बदली, तब से मीडिया या बुद्धिजीवियों ने ऐसे किसी मामले को सांप्रदायिक रंग नहीं दिया।

चोरी के आरोपित का महिमामंडन कर के उसके नाम पर इस्लामी कट्टरवादियों ने कई टिक-टॉक वीडियो भी बनाए थे। देश में ‘हिन्दुओं की भीड़ द्वारा मुस्लिमों को मारे जाने’ की अफवाह फैलाई गई थी। लेकिन, सचिन वर्मा का मामला मीडिया में ज्यादा नहीं आया क्योंकि इससे उस नैरेटिव की पोल खुल जाती। ऐसी घटनाओं की आशंका हमेशा बनी रहती है कि कल को अगर भाजपा की सरकार आ जाए तो फिर इसे कम्युनल एंगल दिया जाएगा।

अभी भी अगर आप मुबारक खान का नाम ट्विटर पर सर्च करेंगे तो आपको उसके परिजनों के बयानों के वीडियो मिल जाएँगे और कई लोग ये सवाल उठाते हुए मिलेंगे कि अब देश में मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग आम हो गई है। लेकिन, सचिन वर्मा के नाम पर आपको ये सब नहीं मिलेगा। मुबारक खान की हत्या की बात व्हाट्सएप्प पर भी सर्कुलेट हो रही है, जिसका स्क्रीनशॉट शेयर कर के लोग एक खास नैरेटिव को आगे बढ़ा रहे हैं।

झारखंड के सरायकेला-खरसावाँ जिले के सरायकेला थाना इलाके के धातकीडीह गाँव में 2019 में पिटाई के बाद तबरेज अंसारी की मौत हो गई थी। तबरेज अंसारी की मौत के मामले के सहारे पूरे देश में ‘मॉब लिंचिंग’ का माहौल होने का दुष्प्रचार भी फैलाया गया था।

जनवरी 2021 में एक घटना हुई थी। चोरी किए गए दो मोबाइल फोन्स के साथ खरसा के कदमडीहा गाँव निवासी आरिफ अंसारी को दबोचा गया था। वो मृतक तबरेज अंसारी का साथी था और दोनों चोरी का सामान बेचा करते थे।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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