चुनावी बॉन्ड ने देश की राजनीतिक बहस में कुछ दिनों से प्रमुख स्थान बना रखा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ विपक्षी आरोप लगा रहे हैं कि उसने कॉर्पोरेट घरानों से चंदा लेने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया। हालाँकि, इंडियन एक्सप्रेस के एक विश्लेषण से पता चला है यह आरोप असलियत से कहीं दूर हैं। भाजपा पर लगातार आरोप लगाया कि उसने ED की जाँच राडार पर रहने वाली कम्पनियों से चंदा लिया। हालाँकि, तथ्य इसके विपरीत कहानी दर्शा रहे हैं।
यह विश्लेषण उन 26 कंपनियों के विषय में किया गया है जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे और ED, आयकर विभाग कैसी एजेंसियों के जाँच में आया। इन 26 कम्पनियों में से 16 ने जाँच एजेंसियों के राडार पर आने के बाद ही चुनावी बॉन्ड से चंदा दिया। इसके अलावा, 6 कंपनियों के खिलाफ जाँच जब शुरू हुई तो उन्होंने अपना चंदा बढ़ा दिया।
हालाँकि, इनके द्वारा दिए गए चंदे के विश्लेषण से एक काफी विचित्र तथ्य निकल कर आया है। इन कम्पनियों के चंदे का 37.34% हिस्सा भाजपा को मिला, जबकि बड़ा हिस्सा यानि 62.66 % हिस्सा विपक्षी दलों जैसे कि TMC, JDU, BJD और DMK आदि को मिला।
इसके अलावा, डाटा से पता चलता है कि जाँच के दायरे में आने वाली कम्पनियों से भाजपा को मिला चंदा पहले से ममिल रहे चंदे की लाइन पर ही था। इसके अलावा विपक्षी पार्टियों को भी पैसा मिला, इससे मालूम होता है कि पैसे का बड़ा लेनदेन हुआ है। हालाँकि, इससे निशाने पर लेकर वसूलने वाली बात साबित नहीं होती।
इसके लिए फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स का उदाहरण लिया जा सकता है, यह कम्पनी ED की जाँच का सामना कर चुकी है। जब ED की जाँच इस पर शुरू हुई तब इसने चुनावी बॉन्ड खरीदने चालू किए। फ्यूचर गेमिंग के खरीदे बॉन्ड का बड़ा हिस्सा TMC को मिला, DMK को भी बड़ा हिस्सा मिला। भाजपा को इस कंपनी से चुनावी बॉन्ड चंदे में सिर्फ ₹100 करोड़ मिले। एक और इसी तरह की कम्पनी हल्दिया एनर्जी ने जांच के बाद बांड खरीदे। इस कम्पनी ने TMC और भाजपा, दोनों को चंदा दिया।
सबसे ज्यादा चन्दा देने वाली कम्पनियों का एक पैटर्न भी सामने आया। यह पैटर्न है कि इन कम्पनियों ने जाँच का सामना करने पर अपना चंदा तो बढ़ाया लेकिन यह चंदा भाजपा यानी केंद्र में बैठी पार्टी को ना जाकर विपक्षी पार्टियों के पास गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के हवाले से भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस विषय में कुछ बिंदु उठाए हैं। उन्होंने लिखा कि यहाँ वह डाटा है जो बताता है कि कि आरोप खोखले हैं। 2014-22 के बीच ईडी ने 3,000 छापे मारे थे 3,000 छापों में, एजेंसी की कार्रवाई का सामना करने वाली केवल 26 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड्स खरीदे। इन 26 कंपनियों में से केवल 16 ने एजेंसी की कार्रवाई के “तुरंत बाद” चुनावी बॉन्ड खरीदे।
Data is as good as how you read it. Is there any merit in Opposition’s allegations that BJP was extorting money using agencies?
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 26, 2024
The answer is NO.
Link: https://t.co/hlHtQqoocF
Here is the data, which establishes that the charges are hollow:
• ED did 3,000 raids between…
उन्होंने लिखा कि एजेंसी की की कार्रवाई का सामना करने वाली कंपनियों से बीजेपी को सिर्फ 37% पैसा मिला है। जबकि चुनावी बॉन्ड में भाजपा की कुल हिस्सेदारी 47% है। इसलिए भाजपा को उन कंपनियों से कम पैसा मिला जिन पर छापे मारे पड़े और बाकी उन कम्पनियों से जिन पर छापे पड़े। जिन कंपनियों पर छापे पड़े उन्होंने अपना 63% पैसा विपक्ष को और 37% भाजपा को दिया है। ऐसे में यह वसूली तो नहीं दिखती लेकिन हाँ इससे विपक्ष पर जरुर कुछ प्रश्न उठते हैं।
ऑपइंडिया ने किया चुनावी चंदे का विश्लेषण
चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आँकड़ों से साफ़ पता चलता है कि लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन की फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने TMC को ₹542 करोड़, DMK को ₹503 करोड़ दिए। जबकि भाजपा को कंपनी से केवल ₹100 करोड़ मिले। कंपनी ने कुल ₹1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इसके खिलाफ जाँच जुलाई 2019 में चालू हुई जबकि इसे बॉन्ड अक्टूबर 2019 में खरीदे थे।
फ्यूचर गेमिंग के बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड सबसे अधिक बॉन्ड खरीदने वाली कम्पनी है। इसने ₹1,107 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। इस कम्पनी के विरुद्ध आयकर की जाँच अक्टूबर 2019 में शुरू की गई थी। इस पार्टी से सबसे ज्यादा चन्दा BRS, DMK, YSRCP, TDP और कॉन्ग्रेस के बाद भाजपा को मिला।
इसी तरह एक और कम्पनी हल्दिया एनर्जी ने कार्रवाई से पहले ₹22 करोड़ और कार्रवाई के बाद ₹355 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। इसमें देखने वाली बात यह है कि 2020 में CBI की कार्रवाई से पहले भाजपा को ₹16 करोड़ के बॉन्ड इस पार्टी से मिले और TMC को ₹6 करोड़ के बॉन्ड मिले। जबकि इस कार्रवाई के बाद TMC को ₹275 करोड़ और बीजेपी को ₹65 करोड़ के बॉन्ड मिले।
इसी तरह जिंदल स्टील्स पर अप्रैल 2022 में कार्रवाई हुई। इसने कार्रवाई के बाद ₹123 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। इनमें BJD को ₹100 करोड़ के बॉन्ड मिले, कॉन्ग्रेस को ₹20 करोड़ और भाजपा को सिर्फ ₹3 करोड़ के बॉन्ड मिले। अप्रैल 2022 के बाद जिंदल ग्रुप की अन्य कंपनियों ने भाजपा को ₹72.5 करोड़ के बॉन्ड किए लेकिन फिर भी यह बाकि पार्टियों के चंदे के बराबर नहीं पहुँचा।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से मामले BRS को सबसे ज्यादा चंदा मिला। जबकि चेन्नई ग्रीन वुड्स से भी BRS को सर्वाधिक चंदा मिला। रश्मी ग्रुप ने BJD और और TMC तथा हेटेरो फार्मा ने BRS को सबसे ज्यादा पैसा दिया। अरबिंदो फार्मा ने BRS, ऋत्विक प्रोजेक्ट्स ने कॉन्ग्रेस, शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स ने TDP को सबसे ज्यादा पैसे दिए। हीरो मोटोकॉर्प, यूनाइटेड फॉस्फोरस, रैमको सीमेंट, वेलस्पन, डिविस लैब्स और एनसीसी के मामले में, बीजेपी को पैसा मिला। इन आँकड़ों से यह साफ़ हुआ कि कम्पनियों से देश की सभी पार्टियों को पैसा दिया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने के बाद इस विषय में सारी जानकारी को चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया गया। चुनाव आयोग ने यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है।