Wednesday, April 24, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देजब आदमी मुकेश सहनी जैसी गलतियाँ करता है तो उसका 'उपेंद्र कुशवाहा' हो जाता...

जब आदमी मुकेश सहनी जैसी गलतियाँ करता है तो उसका ‘उपेंद्र कुशवाहा’ हो जाता है: VIP सुप्रीमो ने ऐसे अपने ही पाँव मार ली कुल्हाड़ी

उन्होंने पप्पू यादव की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए मई 2021 में कहा था कि ये सरकार का संवेदनहीन रवैया है। इसी तरह नीतीश सरकार पर पंचायत प्रतिनिधियों की हकमारी के आरोप लगाए थे। जुलाई 2021 में NDA की बैठक में नहीं गए और बाहर बयानबाजी की।

बिहार के एक नेता हैं, जिनका नाम है मुकेश सहनी। उनका राजनीतिक दल ‘विकासशील इंसान पार्टी (VIP)’ अपेक्षाकृत नया है। मंत्रीजी की महत्वाकांक्षाएँ इतनी हिलोरें मारने लगी कि 3 विधायकों के साथ एक ऐसे व्यक्ति को धौंस जमाने चले थे, जो पिछले 17 वर्षों से बिहार की सत्ता पर काबिज है। साथ ही एक ऐसी पार्टी को घुड़की दे रहे थे, जिसकी भारत की 21 में से 19 प्रदेशों में सरकार है। वो पार्टी, जिसमें बिहार में भी एक से बढ़ कर एक घाघ नेता हैं।

मुकेश सहनी की VIP के तीनों विधायक भाजपा में: अब जाएगा मंत्री पद भी?

ताज़ा खबर ये है कि मुकेश सहनी की VIP के तीनों विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इनकी पार्टी जीती तो 4 सीटों पर थी, लेकिन मुजफ्फरपुर के बोचहाँ विधायक मुसाफिर पासवान के लंबी बीमारी से निधन होने के बाद उनके पास ये तीन विधायक बचे थे – मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से राजकुमार सिंह, दरभंगा के गौरा बौराम से स्वर्णा सिंह और उसी जिले के अलीनगर से मिश्रीलाल यादव। तीनों अब भाजपा में हैं।

खुद मुकेश साहनी ने सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था। उनकी पार्टी की औकात से ज्यादा सीटें राजग में मिली थीं। उन्हें कुल 11 सीटों पर लड़ाया गया था। अब अपनी पार्टी में वो अकेले विधान पार्षद बचे हैं और उनका कार्यकाल भी जुलाई 2022 से पहले ख़त्म ही हो रहा है। इसके पीछे भी एक कहानी है, जो ज्यादा नहीं बस एक साल पहले जाती है। ये वो समय था, जब सुशील कुमार मोदी राज्यसभा सांसद बनाए जा चुके थे और विनोद नारायण झा मधुबनी से बेनीपट्टी से जीत कर विधायक बन चुके थे।

इन दोनों नेताओं की बात इसीलिए, क्योंकि ये उससे पहले विधान पार्षद हुआ करते थे। जहाँ सुशील कुमार मोदी का कार्यकाल 6 वर्षों का बचा हुआ था, विनोद नारायण झा का मात्र डेढ़ वर्ष। मुकेश सहनी 6 साल वाली सीट चाहते थे, लेकिन शायद भाजपा ने तभी उनकी नीयत भाँप ली थी और उन्हें डेढ़ साल कार्यकाल वाली सीट दे दी। ऐसा नहीं है कि उस समय उन्होंने मान-मनव्वल नहीं करवाया था। तब भी भाजपा आलाकमान को उन्हें समझाना पड़ा था।

अगर मुकेश सहनी को ये विधान परिषद की सीट नहीं मिलती, तो वो मंत्री बने नहीं रह पाते। ‘सुप्रीमो’ कल्चर वाली इन पार्टियों की खासियत यही होती है कि भले ही कितने भी विधायक जीत जाएँ, मंत्री तो ‘सुप्रीमो’ या उनके परिवार का ही कोई बनेगा – चाहे वो जीते ये हारे। अब ‘हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM)’ के जीतन राम माँझी को ही देख लीजिए। विधायक भले ही इस पार्टी में 4 हैं, मंत्री ‘सुप्रीमो’ जीतन राम माँझी के बेटे संतोष सुमन ही हैं।

विश्वास लायक नहीं रहा है मुकेश सहनी का राजनीतिक करियर, बन जाएँगे ‘उपेंद्र कुशवाहा’

मुकेश सहनी का राजनीतिक करियर वैसे भी विश्वास लायक रहा नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में जहाँ उनका समर्थन भाजपा को था, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो राजद और कॉन्ग्रेस के महागठबंधन में हो लिए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में सीटों के मतभेद के कारण वो वापस राजग में आ गए। कैबिनेट में जगह मिली। उन्हें पशुपालन और मतस्य पालन मंत्रालय दिया गया। लेकिन, उनके नखरे कम नहीं हो रहे थे।

उन्हें अपने सामने कम से कम उपेंद्र कुशवाहा का उदाहरण तो देख लेना चाहिए था। उन्होंने भी नीतीश कुमार से मतभेदों के बाद ‘राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP)’ का मार्च 2013 में गठन किया था और 2014 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने बिहार में अपने खाते में मिली तीनों लोकसभा सीटें राजग का हिस्से रहते जीती थी। उन्हें केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बनाया गया। लेकिन, कभी जदयू तो कभी यूपीए का हिस्सा बनते-बनते उनकी पार्टी का जदयू में विलय हो गया। मंत्री पद से हटने के बाद वो बयानवीर बन गए थे, लेकिन अब वो भी नहीं रहे।

अब तो मुकेश सहनी के मंत्री पद पर भी संकट बन आया है। इसीलिए, अब वो नीतीश कुमार का गुणगान करने में लगे हैं, ताकि भाजपा-जदयू के बीच खाई बढ़ा कर वो मंत्री बने रह सकें। लेकिन, यही मुकेश सहनी यूपी विधानसभा चुनावों में घूम-घूम कर कहते नहीं थक रहे थे कि नीतीश सरकार उनके ही बलबूते चल रही है। अब तो ये भी खबर आ गई है कि भाजपा ने नीतीश को भरोसे में लेकर ही तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया।

समस्या ये है कि मुकेश सहनी खुद को निषाद समाज (मल्लाह/मछुआरा समुदाय) का सबसे बड़ा नेता मानते हैं। उस दौर में जब नरेंद्र मोदी की लहर के कारण जाति की गोलबंदियाँ टूटी हुई हैं, उनका ये वहम ही उन्हें ले डूबा। अगर जाति की ही बात करें तो यूपी में भाजपा के गठबंधन साथी संजय निषाद के पास यूपी में 6 विधानसभा सीटें हैं और वो हिंदुत्व की बातें भी करते हैं। जीत के बाद भाजपा के तमाम जश्न समारोहों में उन्हें उचित सम्मान दिया गया।

बिहार को ही ले लीजिए, अगर कोई नेता मुकेश सहनी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर था तो उसमें अजय निषाद का नाम आता है, जो मुजफ्फरपुर के सांसद हैं। भाजपा के अजय निषाद ने तो कह दिया था कि मुकेश सहनी ने यूपी चुनाव में जो भाजपा के खिलाफ काम किया है, उसका प्रायश्चित वो बोचहाँ में भाजपा उम्मीदवार बेबी कुमारी का समर्थन कर के करें। उनका कहना था कि मुकेश सहनी बुलडोजर का सामना खुरपी से करने निकले थे।

उन्होंने बताया कि मुकेश सहनी को पहले ही इसके लिए आगाह किया गया था, लेकिन उन्होंने अनसुना कर के वहाँ चुनाव लड़ने की ठानी। उन्होंने याद दिलाया कि मुकेश सहनी को सब कुछ भाजपा की बदौलत ही मिला था, लेकिन अब वो भाजपा को ही आँख दिखा रहे हैं तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यूपी में 165 सीटों पर दावेदारी ठोकने वाले मुकेश सहनी की हालत भी अब उपेंद्र कुशवाहा, या उनसे भी बदतर होने वाली है। राबड़ी देवी ने भी ‘जैसी करनी, वैसी भरनी’ कह कर उन्हें आईना दिखा दिया है।

मुकेश सहनी के लिए बुरी खबर ये भी है कि जदयू ने भी उन्हें आइना दिखा दिया है अब। जदयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने स्पष्ट कह दिया है कि धैर्यहीन मुकेश सहनी ने अपने दुर्भाग्य को खुद न्यौता दिया, अब आगे बीजेपी और वो जानें। अशोक चौधरी ने उन्हें समझा दिया कि राजनीति में दो और दो हमेशा चार नहीं होते। अब मुकेश सहनी कोई चारा न देख लालू यादव की तारीफ करने में लगे हैं। कभी फिल्म इंडस्ट्री में सेट डिजाइन का काम करने वाले VIP सुप्रीमो को ये सबक 2019 में ही सीख लेना चाहिए था, जब राजद के साथ लड़ते हुए उन्हें तीन में से एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली।

मुकेश सहनी की वो गलतियाँ, जो उन्हें ले डूबीं

मुकेश सहनी की कई गलतियाँ उन पर बाहरी पड़ीं। हाल ही में 7 विधान परिषद की सीटों पर उन्होंने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार उठाए दिए। वो खुद को शिवसेना वाले उद्धव ठाकरे या अकाली दल वाला बादल समझ बैठे थे। इन दोनों की तो बनी-बनाई पुरानी पार्टियाँ हैं और जनाधार भी है। इसी तरह बोचहाँ में भी मुकेश सहनी ने उम्मीदवार उतारने की भूल कर दी। वैसे जो तीन विधायक भाजपा में उनके गए हैं, उनका बैकग्राउंड भाजपा वाला ही था।

अब मुकेश सहनी संघर्ष की बातें कर रहे हैं। खुद को आरक्षण के लिए लड़ने वाला बता रहे हैं। झारखंड में भी उन्होंने पार्टी का नया कार्यालय खोलते हुए मल्लाह जाति को अनुसूचित श्रेणी में शामिल कराने की बातें की थीं। मतलब, एक राज्य में जमे नहीं और बाकी में भाजपा को परेशान करने चले थे। उन्होंने पप्पू यादव की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए मई 2021 में कहा था कि ये सरकार का संवेदनहीन रवैया है। इसी तरह नीतीश सरकार पर पंचायत प्रतिनिधियों की हकमारी के आरोप लगाए थे। जुलाई 2021 में NDA की बैठक में नहीं गए और बाहर बयानबाजी की।

फरवरी 2020 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के समाचारपत्रों में ये विज्ञापन देकर अपने ताबूत ठोक ली कि कमल छाप पर बटन नहीं दबाएँ। उन्होंने ‘हम निषादों की ताकत दिखा देंगे और कमल को नहीं खिलने देंगे’ जैसे जातिवादी नारों को जगह देकर भाजपा के खिलाफ खुली बगावत कर रखी थी। फरवरी 2022 में NDA के विधायक दल की बैठक में मंत्री पद छोड़ने की धमकी दी, लेकिन अब समय आ गया तो इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। इसी को कहते हैं आदमी का ‘उपेंद्र कुशवाहा’ बन जाना।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात CM रहते मुस्लिमों को OBC सूची में जोड़ा’: आधा-अधूरा वीडियो शेयर कर झूठ फैला रहे कॉन्ग्रेसी हैंडल्स, सच सहन नहीं...

कॉन्ग्रेस के शासनकाल में ही कलाल मुस्लिमों को OBC का दर्जा दे दिया गया था, लेकिन इसी जाति के हिन्दुओं को इस सूची में स्थान पाने के लिए नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने तक का इंतज़ार करना पड़ा।

‘खुद को भगवान राम से भी बड़ा समझती है कॉन्ग्रेस, उसके राज में बढ़ी माओवादी हिंसा’: छत्तीसगढ़ के महासमुंद और जांजगीर-चांपा में बोले PM...

PM नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस खुद को भगवान राम से भी बड़ा मानती है। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा सरकार है, तब तक आपके हक का पैसा सीधे आपके खाते में पहुँचता रहेगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe