राहुल गाँधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर निकले हुए हैं। इस यात्रा के साथ ही कॉन्ग्रेस पार्टी का दुर्भाग्य भी खुलकर सामने आ गया है। जिस I.N.D.I. गठबंधन के सहारे सत्ताप्राप्ति का सपना कॉन्ग्रेस देखने लगी थी, उस सपने को ग्रहण भी लग चुका है। पश्चिम बंगाल में यात्रा घुसी ही थी कि दीदी ने आँख दिखा दी और पश्चिम बंगाल में लगभग एकतरफा तरीके से चुनाव लड़ने का इशारा कर दिया, तो अगले पड़ाव बिहार में जिस गठबंधन को बेस बनाने की कोशिश हुई, उसका प्लेटफार्म ही उखड़ गया।
जी हाँ, जिस नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ इस गठबंधन को खड़ा करने में पूरी ताकत झोंक दी थी, वही नीतीश कुमार इस गठबंधन से निकल गए हैं। बिहार मे NDA की सरकार आ गई है। पर इतने बड़े बदलाव आखिर हुए कैसे? अब जो जानकारियाँ निकल कर सामने आ रही हैं, वो बता रही हैं कि इन सबके पीछे राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी की अपरिपक्वता है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ में कूमी कपूर का एक लेख छपा है। इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि कैसे राहुल गाँधी का ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ ही कॉन्ग्रेस की जड़ में मट्ठा साबित हुआ। उसमें भी कॉन्ग्रेस के रणनीतिकारों ने ऐसी गलतियाँ की कि पूरी कॉन्ग्रेस पार्टी को ही शर्मिंदा होना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में 13 साल पहले स्वर्ग सिधारे नेता के नाम पर सीट की माँग
कॉन्ग्रेस पार्टी की नजर यूपी फतह पर थी। यहाँ वो समाजवादी पार्टी के साथ I.N.D.I. गठबंधन में है। इसके विस्तार की कोशिश में वो BSP से भी गठबंधन करना चाहती थी। समाजवादी पार्टी ने इसके लिए दो-टूक मना कर दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी पर दबाव बनाने के लिए कॉन्ग्रेस की तरफ से पहले तो 40 सीटों की माँग की गई, फिर मामला तीस पर आया और आखिर में बीस पर। यहाँ पर कॉन्ग्रेस पार्टी ने एक ऐसी सीट पर दावेदारी उस नेता के नाम पर कर दी, जिसे दुनिया से गए 13 साल का लंबा वक्त बीत चुका है।
फिर क्या था, सपा ने इसके बाद कॉन्ग्रेस को 11 सीटों का झुनझुना थमाने का ऐलान कर दिया। बताइए, कि जिस नेता के निधन पर कॉन्ग्रेस की हरियाणा सरकार ने 3 दिनों का राजकीय शोक 2010 में घोषित किया था, उसके नाम पर लोकसभा सीट माँगते समय कॉन्ग्रेस को कुछ याद भी नहीं था? इस घटना ने सपा को ये साबित करने का मौका दे दिया कि कॉन्ग्रेस पार्टी न तो जमीन पर है और न ही उसके नेता जमीन पर रहते हैं।
इस लेख को एक्स पर साझा कर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने बताने की कोशिश की है कि कैसे कॉग्रेस पार्टी को यूपी, बिहार, पंजाब और दिल्ली में लग रहे झटकों के पीछे खुद कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी का ‘हाथ’ ही नहीं, सबकुछ है। उन्होंने लिखा, “दस साल पहले स्वर्ग सिधारे नेता के लिए कॉन्ग्रेस समाजवादी पार्टी से माँग रही थी सीट? ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में कूमी कपूर ने अपने पाक्षिक स्तंभ ‘इनसाइड ट्रैक’ में लिखा है कि कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश की बांसगाँव सीट से महावीर प्रसाद को खड़ा करना चाहती थी। शुरुआती बातचीत में कॉन्ग्रेस की ओर से उनका नाम रखा गया। इस पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने याद दिलाया कि महावीर प्रसाद जी का दस साल पहले निधन हो चुका है। इसके बाद बातचीत वहीं ख़त्म हो गई और अब सपा ने कॉन्ग्रेस को ग्यारह सीटें देने का एकतरफ़ा ऐलान कर दिया। इसी तरह राहुल गाँधी ने अरविंद केजरीवाल से कहा कि इससे पहले कि वे न्याय यात्रा पर जाएँ और केजरीवाल जेल, कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी को सीटों का बँटवारा कर लेना चाहिए।“
दस साल पहले स्वर्ग सिधारे नेता के लिए कॉंग्रेस समाजवादी पार्टी से माँग रही थी सीट?
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) January 28, 2024
आज इंडियन एक्सप्रेस में कूमी कपूर ने अपने पाक्षिक स्तंभ इनसाइड ट्रैक में लिखा है कि कॉंग्रेस उत्तर प्रदेश की बांसगांव सीट से महावीर प्रसाद को खड़ा करना चाहती थी।
शुरुआती बातचीत में कॉंग्रेस की ओर… pic.twitter.com/c25OLREj35
राहुल गाँधी का ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ पड़ा भारी
I.N.D.I. गठबंधन की आखिरी बैठक के बाद से इस गठबंधन में दरार काफी चौड़ी हो गई। दरअसल, नीतीश कुमार, जिन्होंने इस गठबंधन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की वजह से कॉन्ग्रेस ने उन्हें किनारे लगा दिया। उन्हें संयोजक पद पर तब बैठाने की पेशकश की गई, जब अध्यक्ष पद पर पहले से ही मल्लिकार्जुन खड़गे की नियुक्ति कर दी गई। मायने साफ है, नीतीश कुमार जिस उम्मीद के साथ इस गठबंधन को खड़ा कर रहे थे, उसी में उन्हें ‘छोटा’ बना दिया गया। वहीं, अरविंद केजरीवाल के सामने राहुल गाँधी ने ऐसा मजाक कर दिया कि अरविंद केजरीवाल उखड़ ही गए।
इस लेख के मुताबिक, राहुल गाँधी ने ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) के साथ सीट समझौते में ये कहकर तेजी लाना चाहते थे कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर निकलने और ‘अरविंद केजरीवाल के जेल जाने’ से पहले ही सीटों का समझौता हो जाए। ये बात अरविंद केजरीवाल को नागवार गुजरी। हालाँकि, राहुल गाँधी ने अपने कथित ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ की आड़ में ये सब बोला, लेकिन संदेश जहाँ जाना था, वो चला ही गया। इस बात को ANI की शेफ एडिटर स्मिता प्रकाश ने अपने ट्वीट में हाईलाइट भी किया है।
Lo Kallo Baat pic.twitter.com/nkDR6RoXeP
— Smita Prakash (@smitaprakash) January 28, 2024
राहुल गाँधी की वजह से कमजोर पड़ा गठबंधन!
नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल.. ये ऐसे नेता हैं, जो बीजेपी विरोध की धुरी बन सकते थे। ये नेता अपने राज्यों में बेहद मजबूत भी हैं। हालाँकि ये साफ है कि ये नेता धीरे-धीरे इस इंडी गठबंधन से बाहर निकल ही चुके हैं। ऐसे में यदि अन्य दलों ने भी INDI गठबंधन छोड़ने का निर्णय लिया, तो यह भाजपा के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों में फायदेमंद साबित हो सकता है। हालाँकि इससे क्षेत्रीय दलों का महत्व बढ़ भी सकता है, लेकिन एनडीए के एकजुट और ताकतवर रहकर चुनाव जीतने की सूरत में उनके लिए भी आगे की डगर चुनौतीपूर्ण होगी।
ऐसे में जिन राज्यों में हाल-फिलहाल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहाँ भी क्षेत्रीय पार्टियों को दबदबा बरकरार रखने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।