हिंसाग्रस्त बिहार में अब इफ्तार पार्टी की राजनीति का मौसम है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने आज शुक्रवार (7 अप्रैल 2023) को मुख्यमंत्री आवास में इफ्तार पार्टी का आयोजन करके मुस्लिम वोटरों को एक संदेश देने की कोशिश की। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से यह पहले नीतीश कुमार की यह गर्मजोशी बहुत कुछ कहती है।
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बाद उनकी सरकार में भागीदार राजद ने भी इफ्तार पार्टी की तारीख तय करके बता दिया कि वह भी पीछे नहीं रहने वाली है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू (JDU) ने 8 अप्रैल को अलग से इफ्तार पार्टी की तारीख मुकर्रर की है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस की तरफ से अभी तारीखों की घोषणा नहीं की गई है।
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की माँ राबड़ी देवी 13 अप्रैल 2023 को अपने आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगी। वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) HAM के सुप्रीमो जीतनराम माँझी भी पीछे रहने वाले नहीं हैं। उन्होंने 16 अप्रैल 2023 को अपने आवास पर इफ्तार का आयोजन किया है।
नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक आवास 1 अणे मार्ग पर इफ्तार का आयोजन किया। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल और भाजपा के नेताओं से लेकर तमाम नेताओं को न्यौता दिया। हालाँकि, भाजपा इफ्तार की राजनीति से अब तक दूर ही रही है। भाजपा ने इसमें शामिल होने से साफ मना कर दिया। वैसे सुशील कुमार मोदी ऐसे अकेले भाजपाई थे, जो इफ्तार पार्टी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। अब वे भी बिहार से बाहर हैं।
इफ्तार राजनीतिक खिचड़ी पकाने का एक आयोजन है और साथ ही यह भी दिखाने का एक मौका कि ‘देखो मुस्लिमों का एक मात्र खामख्वाह मैं ही हूँ।’। हालाँकि, मुख्यमंत्री के इस आयोजन का भाजपा ने तीखी आलोचना की है। भाजपा के नेता विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार जल रहा है और मुख्यमंत्री अपने आवास में इफ्तार पार्टी का आयोजन कर रहे हैं।
दरअसल, रामनवमी के बाद से बिहार के सासाराम, बिहार शरीफ, मुंगेर, मुजफ्फरपुर सहित कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा में हैं। इसकी आग लंबे समय तक लोगों को झुलसाती रही। इस पर चुप्पी को लेकर विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा कर दिया और हिंसा के लिए उनकी मौन सहमति बता दी। हालाँकि, नीतीश इससे विचलित नहीं हुए और इसी दरम्यां वे फुलवारी शरीफ के इफ्तार पार्टी में पहुँच गए।
उस दौरान भी नीतीश कुमार की खूब आलोचना हुई। किसी ने उन्हें नीरो कहा तो किसी ने मुहम्मद बिन तुगलक तो किसी ने उन्हें तुष्टिकरण की हद पार करने वाला मौकापरस्त राजनेता बता दिया। हालाँकि, राजनीतिक मंच और सोशल मीडिया में लोग अपनी बातें कहते रहे और नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर फैसले लेते रहे। इस नफा-नुकसान के पीछे उनकी महत्वकांक्षा भी एक आधार है।
यहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा का जिक्र करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि वह लंबे समय से प्रधानमंत्री बनने के लिए जी तोड़ कोशिश करते रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कई प्रयास भी किए। कॉन्ग्रेस के राहुल गाँधी से लेकर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी तक से वे मिले, लेकिन ये सारे नेता खुद ही पीएम पद के उम्मीदवार हैं। इसलिए बात बनती नहीं दिखी।
अंत में उन्हें खुद आगे आकर कहना पड़ा कि प्रधानमंत्री पद में उनकी कोई रुचि नहीं है। हालाँकि, राजनीति में कथनी और करनी के बीच भयानक शत्रुता होती है। ऐसे में राजनीति की थोड़ी-बहुत समझ रखने वाले लोग भी ये मानने को तैयार नहीं है कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के सांसारिक ख्वाबों से परे हो गए हैं और उनका मकसद सिर्फ जनता की सेवा रह गया और यह सेवा वे सीएम रहते हुए भी कर सकते हैं।
नीतीश ने भले कह दिया कि वे पीएम नहीं बनना चाहते, लेकिन बिहार में हिंसा के बीच जब वे फुलवारी शरीफ में इफ्तार पार्टी में शामिल हुए तो नेपथ्य में लगी तस्वीरों ने लोगों को चौंका दिया। नीतीश कुमार जहाँ बैठे हुए थे, उसके ठीक पीछे लाल किले की तस्वीर लगी हुई थी। फिर क्या, बिहार की राजनीति में बवाल हो गया। लोग हिंसा में मरते रहे और नीतीश कुमार इधर राजनीति में व्यस्त दिखी।
हालाँकि, लाल किले की तस्वीर के सामने मसनद पर पसर कर भले ही नीतीश कुमार गंभीर दिख रहते रहे, लेकिन लोगों में मन खुसफुहाट बनी रही कि वे आम जनता की सुरक्षा को लेकर वे गंभीर नहीं हैं। बिहार की राजनीति में कभी उनके बेहद करीबी रहे भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ही नीतीश कुमार पर तंज कसा था। सुशील मोदी ने कहा कि लाल किला ही क्यों, नीतीश कुमार अपना मन बहलाने के लिए ह्वाइट हाउस का बैनर लगाकर फोटो खिंचवा लें।
जाहिर है कि सुशील मोदी कहना चाह रहे हैं कि नीतीश के लिए दिल्ली अभी दूर ही नहीं….. बहुत दूर है। हालाँकि, पिछली बार के इफ्तार पार्टी में तेजस्वी यादव को शॉल ओढ़ाकर स्वागत करने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा को सत्ता से ही बाहर कर दिया, लेकिन इस बार वे क्या गुल खिलाते हैं यह अभी देखना बाकी है।