Sunday, November 3, 2024
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छत्तीसगढ़ में BJP के 10 नेताओं की हत्या, सिर्फ नक्सली ही नहीं, कॉन्ग्रेसियों पर भी आरोप… CM बघेल ने इसलिए कहा छिटपुट घटना?

भाजपा नेता रतन दुबे की हत्या पहली घटना नहीं है जो छत्तीसगढ़ में हुई...। भूपेश बघेल के सत्ता में आने के बाद गाँव के सरपंच से लेकर विधायक, जिला पदाधिकारी और जनता में अपना प्रभाव रखने वाले 10 नेताओं की हत्या हो चुकी है।

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद से अब तक भाजपा के 10 नेताओं की हत्या नक्सलियों और कॉन्ग्रेसियों द्वारा की जा चुकी है। 2019 में भाजपा विधायक भीमा मंडावी से लेकर 4 नवम्बर को हुई भाजपा नेता रतन दुबे की हत्या तक यह सिलसिला चलता ही चला आ रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन घटनाओं को छिटपुट मान रहे हैं।

गौरतलब है कि 4 नवम्बर 2023 को नारायणपुर जिले में मतदान से मात्र तीन दिन पहले भाजपा उपजिलाध्यक्ष रतन दुबे की हत्या कर दी गई है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे छिटपुट घटना करार दिया था।

हालाँकि, ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार भाजपा के किसी नेता की हत्या हुई हो। भूपेश बघेल के सत्ता में आने के बाद गाँव के सरपंच से लेकर विधायक, जिला पदाधिकारी और जनता में अपना प्रभाव रखने वाले 10 नेताओं की हत्या हो चुकी है। कभी हत्या के आरोपित नक्सली रहे हैं तो कभी कॉन्ग्रेस के नेता।

रतन दुबे की हत्या से मात्र 15 दिन पहले ही मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी जिले में भाजपा नेता बिरजू तारम की हत्या की गई थी। तारम इस इलाके में ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरण के विरुद्ध काम कर रहे थे। उन्होंने यहाँ पर आसामजिक तत्वों द्वारा माँ दुर्गा की मूर्ति तोड़े जाने पर भी विरोध किया था।

बिरजू तारम की 20 अक्टूबर को नक्सलियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। उनकी मौत के कुछ दिनों बाद उनके गाँव में नक्सलियों ने इस हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए पर्चे भी फेंके थे। नक्सलियों ने यह धमकी दी थी कि वह आरएसएस भाजपा से जुड़े लोगों को ऐसे ही मारते रहेंगे।

बिरजू की हत्या से 5 दिन पहले भाजपा नेता चंद्रशेखर गिरी गोस्वामी की भी छत्तीसगढ़ के धमतरी में हत्या कर दी गई थी। वह पूर्व विधायक सोमप्रकाश गिरी गोस्वामी के बेटे थे। उनकी हत्या में खुलासा हुआ था इसके लिए उनके भाइयों ने ही 1 लाख रुपए की सुपारी दी थी। उनकी पत्नी ने आरोप भी लगाया था कि हत्या करवाने वाले उनके दोनों देवर कॉन्ग्रेस नेता हैं इसलिए कार्रवाई में देर हो रही है।

अगस्त 2023 में बीजापुर जिले के तर्रेम थाना क्षेत्र में पूर्व सरपंच रामा पूनेम की भी अगवा किए जाने बाद हत्या कर दी गई थी। बताया गया है कि वह भाजपा से जुड़े हुए थे इसलिए उन पर मुखबिरी का आरोप लगाकर नक्सलियों ने उन्हें मार दिया।

इसके अलावा जून 2023 में बीजापुर जिले में भाजपा के एसटी मोर्चा के जिला मंत्री काका अर्जुन की हत्या कर दी थी। पहले नक्सलियों ने उन्हें अगवा किया और फिर उनके गाँव के बाहर उनका शव फेंक कर चले गए। उनके शव पर रखे गए पर्चे में भी नक्सलियों ने भाजपा के लिए काम ना करने की धमकी दी थी।

वर्ष 2023 छत्तीसगढ़ में क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से कॉन्ग्रेस सरकार के लिए विफलता का स्मारक रहा। खबर में जिक्र की गई घटनाओं से जान सकते हैं कि 2023 में ही आधा दर्जन से अधिक भाजपा नेताओं की हत्या की गई।

फरवरी माह में बीजापुर जिले में ही भाजपा मंडल अध्यक्ष नीलकंठ काकेम की कुल्हाड़ियों से काट कर हत्या कर दी थी। उनकी हत्या एक शादी समारोह के दौरान सादे कपड़ों में आए नक्सलियों ने की थी।

नीलकंठ के बाद नारायणपुर जिले में भाजपा नेता सागर साहू की हत्या नक्सलियों ने उनके घर में घुसके कर दी थी। सागर की जब हत्या हुई तब वह अपने घर में बैठ कर टीवी देख रहे थे। सागर ढाई दशकों से भाजपा से जुड़े हुए थे।

सागर की हत्या के एक सप्ताह के भीतर ही एक अन्य भाजपा नेता और पूर्व सरपंच रामाधीर अलामी की हत्या नक्सलियों ने कर दी थी। यह दस दिनों के भीतर छत्तीसगढ़ में तीसरे भाजपा नेता की हत्या थी।

भाजपा ने इस दौरान भूपेश बघेल पर ऐसी हत्याओं पर कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा था कि ऐसा क्यों है कि हमारे ही नेता मारे जा रहे हैं?

भाजपा ने इसे कॉन्ग्रेस का क्षद्म युद्ध बताया था। जनवरी 2023 में भाजपा नेता बुधाराम कर्तम की हत्या का शक नक्सलियों पर जताया गया था। हालाँकि पुलिस ने बताया था कि उनकी मौत एक गाड़ी से कुचलने के कारण हुई है।

भाजपा नेताओं की हत्या का सिलसिला भूपेश बघेल के सत्ता में आने के कुछ महीनों के बाद ही चालू हो गया था। दिसम्बर 2018 में भूपेश बघेल के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के भीतर अप्रैल 2019 में दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी और उनके दो अंगरक्षकों की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।

भाजपा नेताओं की हत्याओं के इस सिलसिले पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का इसे छोटी मोटी घटना कहना दिखाता है कि वह कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं हैं और ना ही वह राज्य नक्सलियों को खत्म करने में रूचि रखते हैं।

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अर्पित त्रिपाठी
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