केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) चीफ शरद पवार का बयान का केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वागत किया है। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार पवार की सोच से सहमत है और इस दिशा में केंद्र ने 11 बार किसान यूनियनों के साथ बातचीत की है। केंद्र सरकार की मंशा है कि बातचीत के जरिए ही इस समस्या का समाधान निकले।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “हम चाहते हैं कि किसान आंदोलन जल्दी से जल्दी समाप्त हो। जिन बिंदुओं पर आपत्ति है, उन बिंदुओं पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सरकार किसानों का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है और उनके लाभ को बढ़ाने के लिए बीते सात सालों में कई उपाय किए गए हैं।
#NewsAlert | #FarmLaws Debate: Centre welcomes #NCP chief #SharadPawar‘s comments. Listen in to Agriculture Minister @NSTomar appreciating Pawar for his comments. pic.twitter.com/9c9zT5ROnp
— TIMES NOW (@TimesNow) July 2, 2021
उन्होंने आगे कहा, “किसानों को लाभान्वित करने के लिए हमने कई योजनाएँ शुरू की हैं। 2006 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान सरकार को सौंपी गई स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर कृषि कानूनों में बदलाव किए गए हैं, जबकि कॉन्ग्रेस सरकार इस रिपोर्ट को ही दबाकर बैठ गई थी।”
तोमर ने नए कृषि कानून को किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि शरद पवार कहते हैं कि पूरा कृषि बिल वापस नहीं होना चाहिए, बल्कि जिन मुद्दों पर समस्या है उनमें संशोधन करना चाहिए। मोदी सरकार भी लगातार यही कर रही है। बता दें कि पवार ने 1 जुलाई को मुंबई में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में कहा था, “पूरे बिल को खारिज करने के बजाय हम उस हिस्से में संशोधन की माँग कर सकते हैं, जिस पर किसानों को आपत्ति है।”
I welcome stand of ex-Agri Min Sharad Pawar where he said that there’s no need to change the laws, the points on which there’s objection should be changed after deliberation. I welcome his stand. Centre agrees with him, we want that matter be resolved at earliest: Agri Minister pic.twitter.com/ruCGjybS7H
— ANI (@ANI) July 2, 2021
गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले एक साल से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मामले में सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। हालाँकि, उसका कोई नतीजा नहीं निकला है।