Friday, March 29, 2024
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छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेसी सरकार: भ्रष्टाचार पर लिखेंगे तो सड़क पर भी मार खाएँगे और थाने में भी, देखती रहेगी पुलिस

"कांकेर की स्थानीय पुलिस ने इस मामले में निष्पक्षता से काम नहीं किया। पुलिस ऐसा चाह रही थी कि पत्रकारों के साथ मारपीट हो, इसलिए पुलिस ने थाने के भीतर भारी संख्या में असामाजिक तत्वों को घुसने दिया।"

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक पत्रकार के साथ सार्वजनिक तौर पर मारपीट हुई। पत्रकार कमल शुक्ला के साथ यह घटना बीते दिन (26 सितंबर 2020) हुई। इस दौरान उन्हें सड़क पर घसीटा गया और अपशब्द भी कहे गए, ऐसे में सवाल उठता है कि इतना कुछ किया किसने? आरोपों के अनुसार पूरी घटना को अंजाम दिया कॉन्ग्रेस पार्षद, विधायक प्रतिनिधि और अन्य कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने। 

हैरानी की बात है कि राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री हैं भूपेश बघेल। यानी उनके शासन में पत्रकारों के साथ हिंसा और सरेआम अत्याचार हो रहा है। कमल शुक्ला के साथ हुई इस मारपीट का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इसमें साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे कॉन्ग्रेस के उपद्रवी नेता उन्हें घसीटते हैं और उनके साथ मारपीट करते हैं। कमल शुक्ला को काफी चोटें भी आई हैं। हालाँकि पुलिस ने फ़िलहाल इस मामले में कुल 4 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।

घटना 26 सितंबर दोपहर के आस-पास की है, जब सतीश यादव नाम के पत्रकार के साथ मारपीट शुरू हुई। सतीश यादव स्थानीय नगपालिका में फैली अव्यवस्था पर ख़बरें लिख रहे थे और यह बात सत्ता में मौजूद कॉन्ग्रेस के स्थानीय नेताओं को रास नहीं आई। नतीजतन उन्होंने सतीश के साथ मारपीट की और इसके बाद थाने लेकर गए। ख़बरों की मानें तो थाने के भीतर भी उनके साथ मारपीट जारी थी। इस घटना की जानकारी मिलते ही कमल शुक्ला कांकेर स्थित आदर्श पुलिस थाना पहुँचे। 

उनकी फेसबुक वॉल पर देखा जा सकता है कि पहले थाने से लाइव किया और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने सतीश यादव का वीडियो भी साझा किया, जिसमें सतीश ने नगरपालिका अध्यक्ष समेत अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं का नाम लिया, जिन्होंने उनके साथ इतनी बुरी तरह मारपीट की।

इतना कुछ हो रहा था। लेकिन कॉन्ग्रेसी नेताओं के लिए यह शायद कम था! उन्होंने पत्रकार कमल शुक्ला के साथ भी इसके बाद मारपीट करनी शुरू कर दी, उन्हें अपशब्द कहे। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे सत्ता के नशे में चूर कॉन्ग्रेस के नेता उन्हें पीटते हुए कपड़े फाड़ देते हैं और उसके बाद धमकी भी देते हैं। 

कमल शुक्ला ने यहाँ तक आरोप लगाया है कि वहाँ पर मौजूद कॉन्ग्रेस के लोगों ने बन्दूक तक लहराई। कमल शुक्ला अपने क्षेत्र के मशहूर पत्रकार हैं और भूमकाल समाचार के संपादक हैं। वह काफ़ी समय से पत्रकार सुरक्षा और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर लिखते रहे हैं। इसके पहले भी उन पर कई मामले दर्ज हो चुके हैं।

इस घटना के संबंध में उन्होंने बात करते हुए कहा: 

“सबसे पहले मैं यह बताना चाहता हूँ कि मैं डरा नहीं हूँ। हमारे एक पत्रकार साथी को मारते हुए ले आए, यहाँ की नगरपालिका एक पुराना गुंडा है। बस्ती के सभी लोग जानते हैं लेकिन पता नहीं ऐसे गुंडे को कैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाते हैं। वह अपने गुंडे पार्षदों के साथ हमारे पत्रकार साथी को थाने तक पीटते हुए ले आए, इसकी वजह थी कि वह नगरपालिका के विरुद्ध सूचना का अधिकार लगा रहा था। इसकी जानकारी मिलते ही मैं थाने पहुँचा, मेरे साथ कई अन्य पत्रकार भी पहुँचे। फिर नगर के कई असामाजिक तत्व भी वहीं पर इकट्ठा हो गए। मैंने पुलिस अधीक्षक को फोन लगाया, कलेक्टर को फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। अंत में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने फोन उठाया और उन्होंने मामले का संज्ञान लिया। विधायक शिशुपाल सोरी के प्रतिनिधि ने थाने में पिस्तौल भी लहराई।” 

कमल शुक्ला का कहना है कि कांकेर की स्थानीय पुलिस ने इस मामले में निष्पक्षता से काम नहीं किया। उनके मुताबिक़ पुलिस ऐसा चाह रही थी कि पत्रकारों के साथ मारपीट हो, इसलिए पुलिस ने थाने के भीतर भारी संख्या में असामाजिक तत्वों को घुसने दिया।

उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संबोधित करते हुए लिखा, “भूपेश बघेल के संरक्षण में कांकेर नगर पालिका के सारे कॉन्ग्रेसी पार्षदों ने आज खुलकर की गुंडागर्दी और एक पत्रकार के साथ की पिटाई।”

पुलिस अभी तक इस मामले में 4 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है और घटना की जाँच जारी है। राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार है, भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं और पत्रकारों के साथ इस तरह का बर्ताव हो रहा है। ऐसे में सरकार से लेकर पूरे प्रदेश के तंत्र पर कई सवाल खड़े होते हैं। क्या राज्य में पत्रकार वाकई सुरक्षित हैं? 

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