सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण के भीतर आरक्षण लागू करने को वैध ठहराने के निर्णय का तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने स्वागत किया है। CM रेड्डी ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार सबसे पहले राज्य में आरक्षण में भी कोटा सिस्टम लागू करेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही काम चालू होगा।
गुरुवार (1 अगस्त, 20224) को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तेलंगाना विधानसभा में CM रेवंत रेड्डी ने यह ऐलान किया। उन्होंने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ। 7 में से 6 जजों ने कहा कि राज्य सरकारें आरक्षण का वर्गीकरण अपना सकती हैं। राज्य सरकार की ओर से मैं यह घोषणा कर रहा हूँ कि तेलंगाना आरक्षण के भीतर आरक्षण को लागू करने वाला पहला राज्य होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “राज्य सरकार नौकरियों की अधिसूचना के में मडिगा और अन्य उप-जातियों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए उचित कदम उठाएगी। इस संबंध में एक अध्यादेश जारी किया जाएगा।” CM रेवंत रेड्डी ने कहा कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार वर्गीकरण को लेकर काम चालू किया जाएगा।
CM रेवंत रेड्डी ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार SC-ST आरक्षण को A,B,C और D वर्षों में बाँटेगी। कॉन्ग्रेस सरकार के इस फैसले को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। तेलंगाना में SC आरक्षण के वर्गीकरण की लम्बे समय से माँग चल रही थी।
जहाँ तेलंगाना की कॉन्ग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया है, वहीं उनकी ही पार्टी के नेता उदित राज इसके खिलाफ हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसमें बदलाव की अनुमति केवल विधायिका को है। उन्होंने कहा कि उन्हें क्रीमी लेयर का निर्णय मंजूर नहीं है।
उदित राज कॉन्ग्रेस के असंगठित कामगारों की विंग के मुखिया हैं। उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से कॉन्ग्रेस ने अपना उम्मीदवार भी बनाया था लेकिन वह भाजपा के योगेन्द्र चंदोलिया से हार गए थे। वह 2014 में केवल एक बार भाजपा से सांसद बन पाए थे।
सुप्रीम कोर्ट 30% एससी/एसटी के आरक्षण का फैसला कैसे कर सकता है? क्रार्मी लेयर कि शर्त नामंज़ूर है। विधायिका से मिला अधिकार वही बदल सकती है ।
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) August 1, 2024
गौरतलब है कि गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय संविधान बेंच ने यह निर्णय दिया है। इस निर्णय में 6 जज एकमत थे जबकि जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस पर अपनी असहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि राज्य SC-ST को दिए जाने वाले आरक्षण के भीतर ऐसी जातियों को ज्यादा तरजीह दे सकते हैं, जो आर्थिक-सामाजिक रूप से अधिक पिछड़ गई हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि SC-ST कोई एक एक सजातीय समूह नहीं है और इस बात के सबूत भी हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण के भीतर आरक्षण देने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस मामले में 6 निर्णय पहले भी आ चुके हैं और सभी में इस बात को माना गया है कि आरक्षण के भीतर आरक्षण देना सही है।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस BR गवई ने कहा कि यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह अधिक पिछड़ी जातियों को तरजीह दे। उन्होंने कहा कि SC-ST समुदाय में भी केवल कुछ ही लोग आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि SC-ST आरक्षण में भी क्रीमी लेयर पहचानी जाए और जिन जातियों को लाभ मिल चुका है, उन्हें इससे बाहर कर दिया जाए।
कोर्ट का यह निर्णय पंजाब राज्य के बनाए गए एक कानून के मामले में आया है। पंजाब ने 2006 में यह कानून बनाया था कि वह राज्य में SC-ST को दिए जाने वाले आरक्षण में भी वर्गीकरण करेगा। इस कानून को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के पास पहुँची थी।
यह मामला 2020 में संविधान बेंच के पास पहुँचा था। इस मामले में केंद्र सरकार भी पंजाब के पक्ष में थी। इस निर्णय से पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों को फायदा होगा। इन राज्यों में आरक्षण के भीतर कोटा दिए जाने का प्रावधान किया गया है।