सीमा पर चीन के सैन्य गतिरोध के जवाब में सोनम वांगचुक सहित कई सेलिब्रिटी ने चीन के आर्थिक बहिष्कार की अपील की थी। वांगचुक ने कहा था, “एक सप्ताह में चीन के सभी सॉफ्टवेयर को छोड़ें और एक साल में चीन के सभी हार्डवेयर को।” वांगचुक वही शख्स हैं, जिनसे प्रेरित होकर फिल्म थ्री इडियट्स बनाई गई थी।
इसके बाद से गिरोह विशेष के पत्रकार और कॉन्ग्रेसी समर्थकों ने सोशल मीडिया में दुष्प्रचार चला रखा है। सरदार पटेल की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को चीन निर्मित बताकर उसे गिराने की मॉंग कर रहे हैं। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
द वायर के स्तंभकार ने पूछा कि क्या चीन का आर्थिक बहिष्कार करने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी गिरा दिया जाएगा?
Any plan to dismantle the statue of unity? https://t.co/wCXkszWtiF
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) May 31, 2020
Will all those advocating boycott of Chinese products agree to dismantle the Statue of Unity which was built mostly in China?
— Ajay Kamath (@ajay43) May 31, 2020
So are we boycotting the #StatueOfUnity too?
— Burping Indian | سیف (@BurpingI) May 31, 2020
कई लोग तो स्टैच्यू के ‘मेड इन चाइना’ होने का दावा करते हुए इसे ध्वस्त करना चाहते थे।
Boycott China. Demolish Statue of Unity build by Chinese and build our own.
— Radical Dalit (@believe_0369) May 31, 2020
With due respect, while we’re uninstalling Chinese apps, what’s the plan about the Made in China ‘Statue of Unity’. 🤔 pic.twitter.com/f39F5WCuA1
— VIKASH GURJAR (@VIKASHG09304575) May 31, 2020
With due respect, while we’re uninstalling Chinese apps, what’s the plan about the Made in China ‘Statue of Unity’. 🤔 pic.twitter.com/5gDUey9Rgd
— KaptanHindustan (@GautamTrivedi_) May 31, 2020
FYI the Statue of Unity was made in China.
— Drunk Journalist (@drunkJournalist) May 31, 2020
Just saying.
पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी इस झूठ को फैलाया कि मूर्ति चीन में बनाई गई थी।
क्या स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ‘मेड इन चीन’ है ?
आपको बता दें, दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण भारत के सबसे बड़े नेताओं में से एक “सरदार वल्लभभाई पटेल” को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया है। वास्तव में यह चीन से नहीं, बल्कि भारत की प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो द्वारा बनाया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ एक तीन-स्तरीय प्रतिमा है। जिसकी पहली और सबसे अंदर की परत में दो 127 मीटर ऊँचे टॉवर हैं जो कंक्रीट से बने हैं। इसकी दूसरी परत का निर्माण स्टील का उपयोग कर किया गया है। ये दोनों परतें भारत में ही बनी थीं।
जो तीसरा सबसे बाहरी परत है, वह कांस्य आवरण का उपयोग करके बनाया गया है, जो पटेल के कपड़े, मुद्रा और चेहरे के भावों को अच्छे से दर्शाता है। इसी परत को चीन में बनाया गया था।
सबसे जरूरी बात यह है कि जब स्टैच्यू का निर्माण शुरू हुआ, तो बिल्डरों को पता चला कि भारत में 15 प्रमुख कांस्य ढलाई में से कोई भी इन क्लैडिंग का निर्माण करने में सक्षम नहीं है। इसके बाद लार्सन ऐंड टुब्रो ने ग्लोबल टेंडर निकाला। इसके तहत ही चीनी कंपनी को काम दिया गया था।
2015 में L&T ने खुद यह स्पष्ट किया था कि इस स्टैच्यू को भारत में बनाया जा रहा है और कंपनी सिर्फ ब्रॉन्ज प्लेट्स चीन से मँगा रही है। L&T ने एक आधिकारिक बयान में कहा था, “पूरी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत में बन रही है और सिर्फ ब्रॉन्ज प्लेट्स चीन से आयात कर रहा है, जिसकी कीमत इस पूरे प्रॉजेक्ट का सिर्फ 9 प्रतिशत है।”
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, स्टैच्यू प्रोजेक्ट के साइट पर दो शिफ्टों में काम करने वाले कुल 4,076 मजदूरों में से केवल 200 श्रमिक ही चीन के थे। सितंबर 2017 से प्रत्येक बैचों में दो-तीन महीनों के लिए काम करने वाले श्रमिक, एक हजार श्रमिकों वाली टीम का हिस्सा थे, जिन्हें क्लेडिंग के काम के लिए लगाया गया था। यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में शामिल कुल कर्मचारियों की संख्या का केवल 5 प्रतिशत है।
इस स्टैच्यू को भारत के 95 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों के साथ बनाया गया है। साथ ही 90 प्रतिशत काम भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया है।
लेकिन सरदार पटेल के प्रति कॉन्ग्रेस समर्थकों के मन में भरा नफ़रत उन्हें इससे आगे सोचने और समझने की क्षमता ही नहीं देता।