Wednesday, May 14, 2025
Homeराजनीतितबरेज पर राहुल गाँधी ने मोटे-मोटे आँसू बहाए, सुभान अंसारी की लिंचिंग पर चुप...

तबरेज पर राहुल गाँधी ने मोटे-मोटे आँसू बहाए, सुभान अंसारी की लिंचिंग पर चुप क्यों: झारखंड के पूर्व CM रघुवर दास

रघुवर दास ने ट्वीट किया है, "इस घटना को बीते 4 दिन हो गए, लेकिन मॉब लिचिंग के शिकार सुभान अंसारी के लिए न तो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को आँसू बहाने का समय मिला और न ही राहुल गाँधी व उनकी बहन प्रियंका गाँधी को इस पर कुछ बोलने या फिर इस पर कुछ ट्वीट करने का मन हुआ है।"

झारखंड के दुमका में 11 मई को भीड़ ने पीट-पीटकर सुभान अंसारी की हत्या कर दी थी। इस मामले को लेकर राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास ने कॉन्ग्रेस और झामुमो से तीखे सवाल पूछे हैं।

सिलसिलेवार ट्वीट के जरिए उन्होंने सुभान अंसारी की मॉब लिंचिंग पर कॉन्ग्रेस की चुप्पी को लेकर सवाल पूछे हैं। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी, राहुल गॉंधी और प्रियंका गॉंधी को घेरा है।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 11 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह जिला दुमका में सरेआम काठीकुंड, शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में बकरी चोरी का आरोप लगाकर दो लोगों की निर्मम तरीके से पिटाई की गई। इनमें से एक सुभान अंसारी की मौत हो गई। मॉब लिंचिंग की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर आखिर कॉन्ग्रेस चुप क्यों है?

दास ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी को निशाने पर लिया और 2019 में तबरेज अंसारी की मौत को मानवता पर धब्बा बताने वाली कॉन्ग्रेस को उसकी मानवता याद दिलाई। उन्होंने लिखा, “इस घटना को बीते 4 दिन हो गए, लेकिन मॉब लिचिंग के शिकार सुभान अंसारी के लिए न तो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को आँसू बहाने का समय मिला और न ही राहुल गाँधी व उनकी बहन प्रियंका गाँधी को इस पर कुछ बोलने या फिर इस पर कुछ ट्वीट करने का मन हुआ है।”

दास ने कॉन्ग्रेस से सवाल किया कि आखिर इनके (कॉन्ग्रेस) ट्वीट और आँसू भी सेलेक्टिव क्यों होते हैं? उन्होंने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, “राहुल गाँधी ने 17 जून 2019 को सरायकेला में तबरेज अंसारी पर हुए हमले पर मोटे-मोटे आँसू बहाए थे। गुलाम नबी आजाद ने सरायकेला की घटना के बाद पूरे झारखंड को मॉब लिचिंग का अड्डा बता दिया था। लेकिन सुभान अंसारी के मामले में अब तक गुलाम नबी आजाद ने भी अपनी जुबान नहीं खोली है।”

पूर्व सीएम ने चुप्पी पर सवाल उठाते हुए लिखा है, “ऐसा दोहरा व्यवहार सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि उस समय झारखंड में भाजपा की सरकार थी। आज यहाँ झामुमो के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस, राजद और वामपंथियों की अवसरवादी सरकार शासन में है।”

उन्होंने राज्य सरकार से माँग की कि अंसारी के मामले की जाँच के लिए सरकार को एसआईटी का गठन करना चाहिए और उसकी पत्नी खैरून बीबी एवं पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद भी की जानी चाहिए।

रघुवर दास ने कहा है कि हेमंत सोरेन राज्य की जनता को बताएँ कि वह और उनकी पार्टी तो दावा करती थी कि अभी सरकार में मॉब लिचिंग नहीं होगी तथा किसी की भी भूख से मौत नहीं मौत नहीं होगी, लेकिन अब इस तरह उनके गृह जनपद दुमका में हुई मॉब लिचिंग पर आखिर उनके पार्टी के नेताओं के होठ क्यों सिले हुए हैं।

उन्होंने एक पिछली घटना का जिक्र करते हुए लिखा, “रामगढ़ के गोला में संग्रामपुर गाँव में तीन अप्रैल को 17 वर्षीय दलित महिला उपासो देवी की भूख से हुई मौत हो गई थी, लेकिन उसकी मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है?”

आपको बता दें कि बीते सोमवार (11 मई, 2020) शाम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह जिला दुमका के काठीकुंड प्रखंड के झिलमिल गाँव में बकरी चोरी करने का आरोप लगाकर भीड़ ने पेड़ से बाँधकर दो लोगों की निर्मम तरीके से पिटाई की गई थी। इसमें 26 वर्षीय सुभान अंसारी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि 22 वर्षीय दुलाल मिर्धा का हालत गंभीर बनी हुई है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सर्च एंड डिस्ट्रॉय… कश्मीर में लश्कर-TRF के कमांडर ढेर, हथियारों का जखीरा मिला: क्या है ‘ऑपरेशन केलर’, भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ...

पहलगाम आतंकी हमले पर कार्रवाई करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया है। दूसरी तरफ शोपियाँ में आतंकियों का सफाया करने के लिए 'ऑपरेशन केलर' चलाया है।

अमेरिकी यूनिवर्सिटी को मुस्लिम-ईसाई-यहूदी के आयोजन कबूल, पर हिंदू हेरिटेज मंथ नहीं मनेगा: बर्कले यूनिवर्सिटी छात्र संघ के विरोध ने सनातन घृणा पर छेड़ी...

एएसयूसी ने अक्टूबर को हिंदू विरासत माह के रूप में मान्यता देने के खिलाफ मतदान किया। यह निर्णय तब आया जब इस सेमेस्टर में कई अन्य विरासत माह प्रस्ताव पारित किए गए।
- विज्ञापन -